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चिकन पॉक्स क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें इस समस्या का इलाज ?

क्या आपके के घर में या फिर आप में से कोई भी व्यक्ति शरीर में लाल धब्बे के कारण हो रही खुजली से परेशान है ? यदि हाँ है तो यह चिकन पॉक्स या फिर चेचक की समस्या हो सकती है | कई लोगों का यह मानना है कि चेचक की समस्या केवल बच्चों को ही प्रभावित करता है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, चेचक छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार पूर्वक से :- 

 

चिकन पॉक्स क्या होता है ? 

 

चिकन पॉक्स को चेचक या फिर मेडिकल टर्म्स में इसे वैरिसेला-जोस्टर के नाम से जाना जाता है | यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो खुजली वाले और छाले जैसे त्वचा के दाने के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण दो तरह की होते है, पहला छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी है बड़ी माता यानी बड़ी चेचक | इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को छाले-फोफले, खुजली के दाने और बुखार हो सकता है | यह चेहरे, पीठ और पेट पर सबसे पहले दिखाई देते है और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर की त्वचा में फैलने लग जाते है |  यदि इस समस्या का सही समय पर इलाज न करवाया तो यह स्थिति को गंभीर कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण और कारण क्या है ? 

चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण क्या है ? 

 

  • खुजली वाले दानों का उत्पन्न होना 
  • अत्यधिक उल्टी का होना 
  • बुखार के साथ सिरदर्द 
  • दानों का धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलना 
  • पूरे शरीर में दर्द होना 
  • गर्दन में अकड़न
  • खांसी और थकान 
  • गले में खराश की समस्या 
  • मांसपेशियों का ढीला पड़ना 
  • भूख की कमी होना 
  • मुंह में घाव होना 

 

चिकन पॉक्स के मुख्य कारण क्या है ?

 

चिकन पॉक्स वैरिसीले-जोस्टर के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण नाक और गले में रहता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या केवल बात करने फ़ैल सकता है | इसके मुख्य कारण है :- 

 

  • संक्रमित व्यक्ति के छालों, लार या फिर बलगम को सीधे छू लेना  | 
  • संक्रमित व्यक्ति के दूषित वस्तुओं के संपर्क में आना  |    
  • दाद से पीड़ित व्यक्ति के छालों के संपर्क में आना | 

चिकन पॉक्स से कैसे पाएं निदान ? 

 

चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर बिस्तरे में पूरी तरह से आराम करने को और गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है, जिससे खुजली की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाती है | लेकिन आपको बता दे, ऐसे कुछ प्रभावी होमेओपेथिक उपचार मौजूद है, जो चिकन पॉक्स के इलाज के लिए बेहद कारगर सिद्ध है | चूँकि ऐसा माना जाता है की होमेओपेथिक उपचार से किसी भी तरह के संक्रमण बीमारों का इलाज बिना किसी दुष्प्रभावों के आसानी से किया जा सकता है | 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति चिकन पॉक्स की समस्या से पीड़त है तो इलाज में डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होमेओपेथिक में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी की ओफिसिअल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

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मिस आरती शिंदे ने बताया की कैसे होम्योपैथी द्वारा किया गया उनके पाइल्स की समस्या का इलाज

डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट एक वीडियो द्वारा एक मरीज़ ने यह बताया की उनका नाम मिस आरती शिंदे और वह पिछले एक-डेढ़ साल से पाइल्स की समस्या से जूझ रही थी | उन्हें पेट में काफी जलन और सूजन समस्या की हमेशा शिकायत रहती थी | इसलिए एक महीने पहले वह डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी में अपना इलाज करवाने आये थे | इस संस्था की डॉक्टर सोनल जैन ने काफी अच्छे से उनकी परशानी को समझा और जाँच-पड़ताल के बाद पाइल्स की समस्या का इलाज के लिए उन्हें एक महीने तक की होम्योपैथी दवा और मलहम की क्रीम निर्धारित कर दिया | 

 

होम्योपैथी दवाओं के सेवन के कुछ ही दिनों बाद उनकी स्थिति में काफी सुधार आने लग गया और अब वह 70 प्रतिशत तक ठीक भी हो गयी है | इसलिए आज वह फिर से डॉक्टर सोनल जैन के पास अपना इलाज कराने आयी है, ताकि वह पूर्ण रूप से ठीक हो सके | इसलिए वह डॉक्टर सोनल जैन का तेह दिल से इलाज के लिए शुक्रिया करना चाहते है और साथ में यह भी कहना चाहते है की यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा ही परिस्थिति से गुजर रहा है तो उनकी सलाह यही है कि वह व्यक्ति अपना इलाज डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी से ही करवाएं | 

यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की समस्या से गुज़र रहा है और एलॉपथी इलाज करवाने के बाद भी उनकी स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो इसके लिए आप डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने होम्योपैथी उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 सालों से पीड़ित मरीज़ों का सटीक इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |       

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मिस आरती रोबिन ने बताया डॉक्टर सोनल ने कैसे किया डरमोइड सिस्ट का होम्योपैथी से इलाज ?

डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से होम्योपैथी दवाओं से मिले सफलतापूर्वक इलाज के बारे में बताते हुए एक मरीज़ ने यह कहा की उनका नाम आरती रोबिन है | इस संस्था के बारे में उन्हें सर्च इंजन में रिसर्च के दौरान पता चला था, जहां उन्हें वेबसाइट में बने समीक्षा अनुभाग में इस संस्था के बारे में जाना की कैसे यह होम्योपैथी दवाओं के माध्यम से सभी मरीज़ों का सटीक इलाक़ कर रहे है | इसी से प्रेरित होकर उन्होंने डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी से इलाज करवाने का निर्णय लिया | 

 

जब पहली बार उनकी मुलाकात डॉक्टर सोनल जैन से हुई तो डॉक्टर ने एक से डेढ़ घंटे का समय लिया उनकी परेशानी को समझने का | सबसे खासियत वाली बात तो यह है की डॉक्टर सोनल जैन ने उनके बचपन से अब तक के पूरे इतिहास के बारे पुछा जैसे की उन्हें पहले कोई समस्या तो नहीं थी, कोई मेजर ऑपरेशन तो नहीं हुआ है और भी कई ऐसे बातों को जानने का प्रयास किया, जो उन्हें काफी प्रभावशाली लगा, क्योंकि यहाँ आने से पहले उन्होंने कई डॉक्टरों से अपना इलाज करवाया है, लकिन डॉक्टर सोनल जैन जैसे व्यवहार आजतक उन्हें और कहीं से भी देखने को नहीं मिला था |  

डॉक्टर सोनल जैन ने न केवल उनकी समस्याओं को भी समझा बल्कि इस समस्या का उपचार भी किया | इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर ने कुछ होम्योपैथी दवाएं निर्धारित की थी | हालाँकि शुरुआत दिनों में उन्हें दवाओं के सेवन से काफी संदेह हो रहा था, लेकिन सेवन के कुछ ही हफ़्तों बाद डरमोइड सिस्ट से होने वाले प्रभाव काफी कम होने लग गए थे | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखिए | इसके अलावा आप डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट र सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है |      

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है और एलोपैथी इलाज कराने के बाद भी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा तो होम्योपैथी इलाज के लिए आज ही डॉक्टर सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |      

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फैटी लीवर क्या है ? जाने होम्योपैथिक उपचार से कैसे किया जा सकता है फैटी लीवर का इलाज

डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल मे पोस्ट एक यूट्यूब शोर्टस के माध्यम से यह बताया कि हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद लीवर शरीर का सबसे बड़ा अंग होता है, जो भोजन को पचाने, शरीर के ऊर्जा को जमा करने और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है | यदि बात करें तो फैटी लीवर की यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमे अनियमित रूप से वसा लीवर में जमा होने लग जाते है | दरअसल लीवर में मौजूद वसा की मात्रा यदि बहुत कम है तो यह सामन्य-सी बात होती है ओर इससे किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर लीवर में मौजूद वसा इसके वजन से 5 प्रतिशत अधिक है तो इस समस्या को फैटी लीवर या फिर वसायुक्त कहा जाता है | 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह भी बताया की फैटी लीवर दो प्रकार के होते है, पहला है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर और दूसरा है अल्कोहलिक फैटी लीवर | आइये जानते है दोनों में क्या अंतर है :- 

 

  • नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर :- यह समस्या भी दो प्रकार के होते है पहला जो साधारण फैटी लीवर की समस्या होती है, उसमे बिना लीवर की कोशिकाओं में सूजन के वसा एकत्रित होने लग जाते है, साथ ही इसकी जटिलताओं का जोखिम खतरा भी बहुत कम होता है और जो दूसरा नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर होता है उसे स्टीटोहेपेटाइटिस के नाम से से भी जाना जाता है, जो लीवर की कोशिकाएं में सूजन और लीवर को अन्य नुकसान भी पहुंचाने लग जाता है |

 

  • अल्कोहलिक फैटी लीवर :- जो व्यक्ति शराब और धूम्रपान जैसे नशीली पदार्थों का सेवन सबसे अधिक करता है वह  अल्कोहलिक फैटी लीवर का शिकार हो जाता है | 

 

यदि आप भी फैटी लिवर जैसी समस्या से गुज़र रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिट है,  जो होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर इस समस्या को कम करने में आपकी पूरी तरह से मदद कर सकते है | इसलिए डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी की वेबसाइट पर जाएं  और आज ही अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें या फिर वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते  है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी पूरी जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है |

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क्या होम्योपैथी दवाएं कर सकती है अस्थमा का इलाज, जानें एक्सपर्ट्स से क्या है इस पर उनकी राय

अस्थमा व्यक्ति के शरीर के श्वसन प्रणाली से जुड़ी एक गंभीर बीमारी होती है | वैसे तो यह बीमारी जीन के द्वारा बच्चों में आ जाती है, लेकिन आजकल के बदलती लाइफस्टाइल के कारण कई लोग इस बीमारी का शिकार भी हो रहे है | अस्थमा को भयंकर बीमारियों में एक माना जाता है, क्योंकि यह फेफड़ों में सांस जाने वाली नली को इतनी पतली कर देती है, जिस कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ जाता है |  

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक की निदेशक और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपनी यूट्यूब चैंनले में पोस्ट  एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसका पूर्ण रूप से इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन आप इस बीमारी को नियंत्रित ज़रूर कर सकते है | अस्थमा के सामान्य लक्षणों में शामिल है साँस लेने में तकलीफ होना, खांसी होना, बलगम आना और सांस लेते दौरान घरघर जैसे आवाज़ का आना | जो एलॉपथी विशेषज्ञ होते है वह मरीज़ को इन्हेलर लेने की सलाह देते है, ताकि अस्थमा के अटैक से मरीज़ बचे रहे | लेकिन क्या आपको इस बात का पता है की होम्योपैथी उपचार से अस्थमा का प्राकृतिक रूप से इलाज किया जा सकता है | 

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक एकलौती एक ऐसी संस्था है जहाँ अस्थमा का इलाज होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग से किया जाता है | यह न केवल समस्या से शरीर पर पड़ रहे प्रभाव को कम करता है, बल्कि समस्या को जड़ से ख़तम करने की भी कोशिश करता है | यह तो सभी जानते है की होम्योपैथिक दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता , इन दवाओं का असर भले ही धीरे-धीरे होता है, लेकिन यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में सक्षम होती है |  

 

यदि आप भी अस्थमा की समस्या से जूझ रहे है और एलॉपथी दवाओं का सहारा लेने के बाद भी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक से परामर्श कर सकते है | इस संस्था की निदेशक और सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक में स्पेशलिस्ट है और इन्हे 18 से अधिक वर्षों का तज़र्बा है, जो अस्थमा जैसी गंभीर समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए आज ही डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करें या फिर आप दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट करें, यहाँ आपको इस समस्या से संबंधित संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी |        

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How Homeopathic Treatment Can Help with Child’s Growth Problems

Every parent wants the best for their child, especially in terms of growth and development. Growth problems in children can be a reason for worry for some guardians, driving them to investigate different treatment choices. One such alternative methodology that has acquired significant popularity is homeopathic treatment. With its holistic standards and natural cures, homeopathy offers a gentle and effective solution for addressing a child’s growth problems.

In this blog, we will dive into how homeopathic treatment can support and upgrade your child’s growth. If you’re in Mumbai and looking for reliable homeopathic care, Dr. Sonal Jain’s homeopathic clinic is here to direct you on this transformative excursion.

Understanding Homeopathy:

A Holistic Way to Deal with Health Homeopathy is a natural system of medication that expects to invigorate the body’s inborn abilities to mend. It depends on the standard that a substance that can cause symptoms in a healthy individual can likewise be utilized to treat comparable symptoms in an unwell individual. Homeopathy perceives the uniqueness of every individual and treats the individual overall, considering their physical, profound, and mental perspectives.

  1. Promoting Growth and Development Naturally: Homeopathy offers a gentle and natural way to deal with advanced ideal growth and development in children. The homeopathic cures are gotten from natural substances like plants, minerals, and creatures, ready in an exceptionally weakened structure. These cures work by invigorating the body’s fundamental power, improving its intrinsic capacity to restore balance and advance healthy growth.
  2. Individualized Treatment for Unique Needs: One of the essential qualities of homeopathy is its individualized way to deal with treatment. The homeopathic doctor in Mumbai, Dr. Sonal Jain, carefully surveys the child’s overall health, growth patterns, and specific worries prior to recommending a customized treatment plan. This personalized methodology addresses the underlying reasons for the growth issue, instead of simply easing the symptoms.
  3. Holistic Care for Enhanced Well-being: Homeopathy centers around holistic care, taking into account the physical symptoms as well as the profound and mental well-being of the child. The homeopathic cures are picked in view of an exhaustive understanding of the child’s personality, temperament, and emotional state. By addressing the profound perspectives related to growth problems, homeopathy expects to restore balance and advance overall well-being.
  4. Safe and Gentle Treatment for Children: One of the significant benefits of homeopathy is its safety profile, particularly for children. The cures are non-toxic, non-addictive, and liberated from incidental effects, making them appropriate for children, everything being equal. Homeopathy offers a gentle methodology without compromising the child’s overall health and well-being. It very well may be safely utilized alongside traditional treatments, giving a reciprocal and integrative way to deal with care.

Conclusion:

Homeopathic treatment has arisen as a safe, gentle, and effective way to deal with address growth problems in children. With its holistic standards and individualized care, homeopathy offers a complete arrangement that sustains your child’s growth naturally. Dr. Sonal Jain’s homeopathic clinic in Mumbai gives master direction and personalized treatment intends to help your child’s ideal growth and development. By embracing the power of homeopathy, you can allow your child the best opportunity to flourish and arrive at their maximum capacity.

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Arnica: Nature’s Secret Remedy for Pain and Inflammation

Homeopathy Treatment is a form of alternative medicine that utilizes highly diluted substances to stimulate the body’s natural healing abilities. It is generally based on the principle of “like cures like,” which simply means that a substance which shows symptoms in a healthy person can be used to treat similar traits in a sick person. Homeopathic remedies are believed to function by stimulating the body’s vital force, as they are made from plant, animal, or mineral sources. Homoeopathic treatment is a gentle and individualized approach to healing. 

Arnica

Arnica is a herb from a plant named Arnica Montana Plant. It is commonly used in alternative medicines. It is also sometimes used to add flavors to the food. The Arnica has chemicals that reduce pain and swelling and act as an antibiotic. Consuming Arnica directly from the mouth or in large quantities can be very unsafe. It is usually diluted in homeopathic medicine to be easily consumed. These arnica medicines are helpful in muscle pain treatment in Mumbai, diabetic eye damage swelling and pain after surgery.

Instructions regarding Arnica

Arnica can be used in different types, such as creams and gels. It is essential to follow proper instructions before the usage of Arnica:

  • Apply a layer of Arnica to the affected place.
  • Gentle massage the Arnica into the skin.
  • If you feel any irritation or unusual reaction, then it is suggested to discontinue its usage.
  • Avoid the usage of Arnica in open wounds.
  • Make sure to use homeopathy diluted arnica medicine because pure Arnica can be very toxic for your body.

Risks related to the Arnica

Some general risks related to the Arnica are: 

  • Pure Arnica can be very risky and is considered to be toxic for your liver. Using a diluted version as homeopathic can be a safer option. However, Homeopathic arnica creams or gels can still cause burning and skin irritation.
  • It is suggested that you consult your doctor before consuming the Arnica. Because consuming it directly from your mouth may increase the heartbeat and gastrointestinal problems. It can have a significant effect on the kidneys and liver or may lead to coma and even death in some cases.
  • If you take Arnica in the form of medicine daily, you are advised to consult a doctor before taking it. Arnica could interact with drugs like painkillers, steroids, blood thinners and herbs like garlic, ginkgo biloba, etc.

Benefits related to Arnica

Some general benefits of Arnica, as per homeopathy doctors in Mumbai, are: 

  • Arnica is used to reduce inflammation.
  • It helps relieve pain.
  • Arnica aids in healing bruises.
  • Available in creams, ointments, and gels for easy application.
  • Follow instructions and seek professional advice when using Arnica products.

How quickly does Arnica work for pain relief? 

Arnica works very quickly for pain relief. Many people have reported that they feel relieved shortly after applying. The exact time it takes for Arnica to show its results may vary according to the individual and his or her condition. Many people find it beneficial for pain relief, but scientifically, it is proven that its benefits are limitless. It is suggested to consult a homeopathy doctor in Mumbai.

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Embrace the Healing Touch of Homeopathy

Homeopathy treatment is a form of alternative medicine that utilizes highly  diluted substances to stimulate the body’s natural healing abilities. Homeopathy treatment is generally based on the principle of “like cures like” which means that a substance that causes symptoms in a healthy person can be used to treat similar traits in a sick person. Homeopathic remedies are believed to work by stimulating the body’s vital force as it is made from plant, animal or mineral sources. Homeopathic treatment is a gentle and individualized approach to healing. 

 

Common skin related problems:

Skin related issues are a very common problem nowadays due to the exposure to various external factors such as pollution, UV rays, weather changes, and even our own lifestyle choices. Additionally factors like hormonal changes, genetics and other underlying health conditions also become a reason for the skin issues. Here are some common skin related problems:

  • Acne: Acne is a common skin problem which is characterized by the pimples, blackheads, cyst etc, caused mainly by factors such as hormones and bacteria.
  • Eczema: Eczema is a skin allergy chronic condition in which red, itchy, and inflamed skin occurs.
  • Psoriasis: Psoriasis is another chronic condition  in which skin cells start multiplying too quickly because of overactive immune system and causes red, scaly patches on the skin.
  • Dry skin: Dry skin shows the symptoms of rough, flakiness and tightness in the skin  caused by lack of moisture in the skin.
  • Sunburn: Sunburn is caused to the skin due to over exposure to the sun’s UV rays leading to the redness, pain and peeling of the skin.

 

Homeopathic approach to skin related issues

Homeopathic remedies for any skin related issues are selected based on the individual’s unique symptoms and overall health. Here are some commonly used homeopathic remedies for skin care treatment in mumbai:

  • Calendula: Calendula has anti-inflammatory and antiseptic properties which is used for various skin conditions such as skin irritations, cuts and wounds.
  • Arsenicum album: Aesenicum album is used in conditions such as eczema, psoriasis, and hives which show symptoms such as itching, burning, and restlessness. It may be helpful for dry, scaly skin.
  • Graphites: It is used in the condition of a skin with dry, rough and cracks. It is also used to correct the skin condition such as eczema and psoriasis
  • Silica: Silicea is used for the skin condition in which skin’s healing power is slow when it gets any scar, boils and acne.
  • Hepar sulphur calcareum: It is  used for  conditions with pus formation in the skin, indicated with skin abscesses, boils, and infection.

 

Benefits of Homeopathic skin treatment

Homeopathy serves several potential benefits for skin treatment. It provides personalized treatment, taking into account your unique symptoms and overall health aiming for the holistic approach. Homeopathic remedies provide gentle treatment without any side effects which helps in correcting various skin issues like acne, eczema, psoriasis, dry skin, and sunburn. Homeopathy treatment consists of highly diluted substances, which minimizes the risks of side effects compared to conventional medications and this also makes homeopathic remedies suitable for individuals with sensitivity or allergies. However it is important to consult a qualified homeopathic doctor in mumbai

 

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Unraveling the Neurodevelopmental Condition.

A neurological condition called autism spectrum disorder is usually identified in children. Many people still refer to ASD as autism, which was its previous moniker. However, within the spectrum, ASD encompasses several conditions. Your child’s interactions and communication style are altered by ASD. Although there is not a treatment for autism, with time, the symptoms might go away. Homeopathic medicines have the treatment of all problems consulted with the best homeopathy doctor in Mumbai

 

What is the definition of autism spectrum disorder? 

Autism is a neurodevelopmental illness that is currently known as autism spectrum disorder. ASD is a developmental impairment brought on by variations in your child’s brain. Individuals with autism spectrum disorder may exhibit distinct behavior, interactions and learning styles. They could struggle to understand and utilize verbal and non-verbal cues in social situations. 

 

What are the causes of autism spectrum disorder? 

There is still much to learn about the complicated etiology of autism spectrum disorder. Among the risk factors and possible causes are:

  • Genetic Factors: ASD is significantly influenced by genetics. It is thought that some genetic variants or mutations may make autism more likely to occur.
  • Environmental Factors: Although the precise mechanisms underlying their relationship to ASD development remain unclear, certain environmental factors may also play a role in its development. 
  • Brain development: It is believed that variations influence ASD in the brain’s connectivity and development. The anomalies are the surface and function of autistic people’s brains, such as synaptic and neural connection variations. 
  • Prenatal Factors: ASD risk may be influenced by prenatal factors, including nutrition, mother health, and prenatal stress. There is a link between specific pregnancy-related issues or illnesses and an increased likelihood of autism in the offspring.
  • Immune System Dysfunction: Autism Spectrum Disorder has been linked to immune system dysfunction. Autism may have a pathophysiological component, including abnormalities in immunological function, such as inflammation and autoimmune reactions.
  • Neurological Factors: People with ASD have been shown to have changes in their serotonin, dopamine, and gamma-aminobutyric acid systems.

 

Treatment of autism spectrum disorder.  

A multidisciplinary approach is usually used in the treatment of autism spectrum disorder. The following are some typical elements of autism spectrum disorder treatment: 

  • Behavioral Therapies: To teach and reinforce desirable behaviors and social skills, behavioral therapies, such as applied behavior analysis, are frequently utilized. The main goals of ABA therapy are to provide positive reinforcement for desired behaviors and break down complex tasks into smaller, more manageable steps.
  • Speech and Language Therapy: Communication and language skills are problematic for many people with ASD. Speech and language therapy helps enhance social communication, language understanding, and speech articulation.
  • Occupational Therapy: The goals of occupational therapy are to enhance functional abilities in daily life, motor coordination, social engagement, and sensory processing. Occupational therapists assist people with autism spectrum disorders, creating plans to cope with sensory sensitivity, develop fine and gross motor abilities, and encourage self-sufficiency in everyday tasks.
  • Educational Interventions: Specialized educational programmes catered to the unique requirements and learning styles of individuals with ASD may be beneficial. 
  • Medication: Although it is not the primary treatment for the fundamental symptoms of ASD, medication may be administered to alleviate symptoms or co-occurring illnesses such as obsessive-compulsive behaviors, anxiety, depression, hyperactivity, or violence.
  • Parental Support and Training: When helping people with ASD, parents and other carers are critical. Parent education programmes offer information, direction, and tactics for handling challenging behaviors, encouraging constructive relationships, and standing up for their child’s needs.
  • Alternative and Complementary Therapies: Therapies like painting, music, art therapy, dietary modifications, sensory integration therapy, or animal-assisted therapy may be helpful for certain people with ASD. 

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Harnessing the Power of Homeopathic Medicine for Throat Infection Relief

Throat infections are common diseases that can cause distress and hinder our everyday tasks. While traditional treatments are broadly available, numerous individuals are presently going to homeopathic medicine for a natural and holistic approach to throat infection relief.

In this blog, we will investigate the advantages of homeopathy in treating throat infections and shed light on the expertise given by the famous homeopathic clinic and doctor in Mumbai, Dr. Sonal Jain.

  1. Understanding Throat Infections: To successfully address throat infections, understanding their causes and symptoms is significant. Throat infections, frequently brought about by bacteria or viruses, can prompt symptoms, for example, sore throat, difficulty swallowing, and hoarseness.
    Homeopathy centers around treating the fundamental reasons for these infections, supporting the body’s natural recuperating mechanisms, and giving long-term relief.
  2. The Principles of Homeopathic Medicine: Homeopathy works on the rule that can cause symptoms in a sound individual and is utilized in an exceptionally weakened structure to animate the body’s mending reaction.
    Homeopathic cures are produced using natural sources, like plants and minerals, and are custom-made to every individual’s unique symptoms and constitution. This customized approach separates homeopathy from regular treatments.
  3. Advantages of Homeopathic Treatment for Throat Infections: Homeopathic medicine offers a few advantages with regard to treating throat infections. Firstly, it gives a delicate and non-obtrusive approach, making it reasonable for individuals of any age, including kids and pregnant ladies.
    Secondly, homeopathic cures are liberated from secondary effects, going with them a protected decision for long-term use. Besides, homeopathy centers around reinforcing the resistant system, lessening the recurrence and power of throat infections.
  4. Dr. Sonal Jain: Expert Homeopathic Doctor: With regards to looking for a reliable and viable homeopathic doctor in Mumbai for throat infections, Dr. Sonal Jain’s clinic in Mumbai stands out as a confided objective.
    With long periods of involvement and a profound understanding of homeopathy, Dr. Sonal Jain offers customized conferences, considering the individual’s unique symptoms and overall well-being. Her expertise in homeopathy has gained notoriety for greatness in the field.
  5. Holistic Approach to Throat Infection Relief: In addition to recommending proper homeopathic cures, Dr. Sonal Jain embraces a holistic approach to advance overall well-being. She underlines the significance of a sound lifestyle, including proper nutrition, hydration, and stress management, which are critical in forestalling repetitive throat infections.
    By tending to the main drivers and supporting the body’s natural mending systems, Dr. Sonal Jain assists patients with accomplishing long-enduring relief and working on overall well-being.

Conclusion:

Homeopathic medicine offers a protected and powerful option for treating throat infections, focusing on holistic recuperating and long-term relief. Dr. Sonal Jain’s homeopathic clinic in Mumbai gives expert direction and customized treatment, guaranteeing that patients get the best consideration for their throat infection concerns.

By harnessing the power of homeopathy, individuals can encounter relief from throat infections, fortify their insusceptible system, and work on their overall well-being. Embrace the power of homeopathy and experience the natural way to throat infection relief and worked on well-being.