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हर्निया क्या है और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है ? जाने कैसे किया जाता है होम्योपैथी में हर्निया का इलाज

आजकल की भागदौड़ भरी जीवन शैली होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति कई तरह बिमारियों से घिरा हुआ है, जिस वजह वह कई तरह की बिमारियों का शिकार भी हो जाता है | जिनमें से एक है हर्निया रोग | यह समस्या तब उत्पन्न होती जब शरीर की मांसपेशियों अंदर से कमज़ोर हो जाती है | जब शरीर का एक हिस्सा से मांसपेशी या फिर ऊतक में छेद होकर उनके अंदर का अंग बाहर आ जाता है तो उसे मेडिकल टर्म में हर्निया का रोग कहा जाता है | यदि आप हर्निया रोग से पीड़ित है तो डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकती है | उससे पहले आइये जान लेते है क्या है हर्निया रोग और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है :

हर्निया रोग क्या है ?  

 

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन ने यह बताया की हर्निया एक ऐसी समस्या है, जिसमें पेट का कोई अंदरूनी हिस्सा कमज़ोर मांसपेशी में छेदकर बाहर को आ जाता है | यह समस्या आमतौर पर नाभि के आसपास किसी भी हिस्से में उत्पन्न हो सकता है | हर्निया कोई आपातकालीन स्थिति नहीं है, लेकिन इस समस्या का सही पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, क्योंकि इलाज में देरी होने पर इससे पीड़ित व्यक्ति की मौत तक हो सकती है | हर्निया अक्सर पेट के दाहिने हिस्से में या फिर नाभि के आसपास क्षेत्र में उभरता है | अधिकतर मामलों में हर्निया से मेहनत करने वाले व्यक्ति, शरीर पर दबाव पड़ने से या फिर गर्भवस्था महिलाएं प्रभावित हो जाती है | आइये जानते है हर्निया रोग के मुख्य लक्षण कौन से है :- 

 

हर्निया रोग के मुख्य लक्षण कौन-से है ? 

 

  • पेट में अचानक से दर्द होना 
  • जी मिचलाना 
  • उल्टी आना  
  • पेट में लाल और जामुनी रंग के ऊतक का उभारना 
  • पेट में सूजन का आना 
  • वजनदार सामान उठा पर तीव्र दर्द होना 
  • अधिक समय तक खड़े होने पर पेट में दर्द होना    

  

हर्निया रोग के मुख्य कारण कौन-से है ?

 

  • कब्ज के कारण 
  • लगातार खांसी की समस्या 
  • आनुवंशिक कारणों से 
  • गर्भावस्था के दौरान 
  • वजनदार सामान उठाने से 
  • बढ़ती उम्र 
  • नशीली पदार्थों का सेवन करने से 
  • पेट में आंतरिक चोट लगने से 
  • समय से पहले बच्चे को जन्म देने से 

 

कैसे किया जाता है हर्निया का होम्योपैथिक में इलाज ?    

 

हर्निया एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसका सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, क्योंकि समस्या गंभीर होने पर इससे पीड़ित व्यक्ति को इलाज के लिए सर्जरी तक करवाने की ज़रुरत पड़ सकती है | लेकिन घबराएं नहीं, होमियोपैथी में बहुत-सी ऐसी दवाएं मौजूद है, जिसके उपयोग से हर्निया रोग का सटीकता से इलाज किया जा सकता है, क्योंकि होमियोपैथी दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में सक्षम होता है | 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति हर्निया रोग से पीड़ित है और एलॉपथी संस्था से इलाज करवाने के बाद भी उनकी स्थिति पर  किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो इलाज में डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होमेओपथी उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 सालों से हर्निया से पीड़ित व्यक्तियों का होमेओपेथिक उपचार के माध्यम से इलाज कर उन्हें उनकी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद कर रही है | 

 

इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |      

 

      

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ब्रोंकाइटिस क्या है ? इसके लक्षण, कारण और क्या होम्योपैथी है ब्रोंकाइटिस की उपचार के लिए सही उपाय

ब्रोंकाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें फेफड़ों में मौजूद ब्रोन्कियल ट्यूब्स के परत में सूजन आ जाती है | यह सूजन कई तरह के जीवाणु, वायरल संक्रमण या फिर किसी एलर्जी के कारण बन सकता है | अधिकतर मामलों में यह सूजन वायुमार्ग के कम होने के कारण उत्पन्न होता है | यह संकुचन सांस लेने के दौरान परेशानी को खड़ा कर सकता है | इसके आलावा सूजन के कारण श्लेष्म का भी बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन होता है | संकीर्ण वायुमार्ग फेफड़ों के अंदर जमा करने के लिए श्लेष्म से श्लेष्म को दूर करने में असमर्थ हो जाते है | 

 

ब्रोंकाइटिस दो अलग-अलग रूपों में हो सकती है, हल्की या फिर पुरानी ब्रोंकाइटिस, बदलते मौसम के दौरान इससे अतिरिक्त सावधान रहना बेहद ज़रूरी होता है और इस दौरान इस बात का भी सुनिश्चित करना चाहिए, ठंडा होने पर ब्रोन्कियल भड़क न जाएं | कई बार क्या होता है की ब्रोंकाइटिस शरीर में एलर्जी प्रतिक्रियाओं के कारण उत्पन्न होता है, जो ज्यादातर पराग, धुल, पेंट के कारण होता है | आइये जानते है ब्रोंकाइटिस के लक्षण क्या है :- 

 

ब्रोंकाइटिस के मुख्य लक्षण क्या है ? 

 

  • श्वास या फिर थूक का खांदा और उत्पादन ब्रोंकाइटिस, यह दो सबसे आम लक्षण है | 
  • ज्यादा दिनों तक खांसी का रहना
  • घरघराहट की आवाज़ आना 
  • तेज़-बुखार या फिर कंपकंपी वाली ठंड लगना 
  • 3 या फिर उससे भी ज़्यादा दिनों तक तेज़ बुखार का रहना 
  • गाढ़ा या फिर पीला-हरा बलगम होना 
  • खांसी के साथ-साथ बलगम का आना 
  • सांस लेने में कठिनाई या फिर सीने में दर्द होना     

ब्रोंकाइटिस के मुख्य कारण क्या है ?

 

  • तीव्र ब्रोंकाइटिस आमतौर पर वायरस के कारण उत्पन्न होता है | यह वही वायरस होता है जो ज्यादातर सर्दी लगने और फ्लू के कारण बनता है | ये बैक्टीरिया के संक्रमण या फिर सांस के ज़रिए शरीर में जाने वाले भौतिक रासनायिक कारकों के कारण भी हो सकता है | 
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस होने का सबसे अहम कारण होता है सिगरेट का पीना, इसके अलावा वायु प्रदूषण या फिर काम का माहौल भी इसमें अपनी अहम भूमिका को निभा सकता है |  
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के लिए कम से कम तीन महीने तक लगातार बलगम वाली खांसी होती है | 

 

ब्रोंकाइटिस का होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है इलाज ? 

अब अगर ब्रोंकाइटिस के इलाज की बात करें तो होम्योपैथी उपचार को सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है | वास्तव में यह ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए होम्योपैथिक दवाएं सबसे होनहार प्रणाली होता है | होम्योपैथिक दवाएं ब्रोंकाइटिस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक बहुत ही विश्वसनीय और सुरक्षित उपचार के रूप में भूमिका अदा करते है | 

 

यह बात तो सभी जानते है की होम्योपैथिक दवाओं से पीड़ित मरीज़ को किसी भी तरह के दुष्प्रभाव को झेलना नहीं पड़ता और यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में सक्षम होते है | ब्रोंकाइटिस के होमियोपैथी उपचार में किसी भी तरह के दमन की कोई संभावना भी नहीं होती | ब्रोंची से श्लेष्म को निकालने में खांसी काफी मददगार होता है | इससे गले में मौजूद बलगम को आसानी से चयनित होम्योपैथिक दवाओं का सहायता लेकर बाहर की तरफ निकाल दिया जाता है | खांसी, सीने में दर्द से लेकर सांस लेने में कठिनाई ताक लगभग सभी विकार समाप्त हो जाते है | 

 

ब्रोंकाइटिस छाती से जुड़ा एक आम संक्रमण की तरह होता है, जिसका होम्योपैथिक दवाओं के ज़रिये बहुत ही आसानी से इलाज किया ज सकता है | यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ब्रोंकाइटिस की समस्या से पीड़ित है और कई एलॉपथी संस्थानों में इलाज करवाने के बावजूद आपकी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो बेहतर यही है की आप किसी होम्योपैथिक विशेषज्ञ के पास जाएं और अपनी समस्या का इलाज करवाएं | इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से भी मुलाकात कर सकते है | 

डॉक्टर सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन मुंबई के बेहतरीन होम्योपैथिक स्पेशलिस्ट में से एक है, जो पिछले 18 वर्षो से अपने मरीज़ों का होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये स्थिरता से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉक्टर सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर अपनी नियुक्ति की बुकिंग करवा सकते है |

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गर्भावस्था के दौरान बालों के स्वास्थ्य में आये बदलाव का कैसे करें होम्योपैथिक दवाओं से इलाज ?

माँ बनना प्रत्येक महिला के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है | गर्भवस्था के दौरान एक महिला कई तरह की चीज़ों का अनुभव करती है | लेकिन इसके साथ ही इन दिनों गर्भवती महिलाओं को कई तरह के समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है, जैसे की मूड में बदलाव होना, जी-मिचलना, उल्टी आना, सूजन, दर्द होना, चेहरे और त्वचा के बालों में बदलाव आना आदि | हालांकि गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलओं की त्वचा काफी चमकदार हो जाती है, जबकि कुछ महिलों के त्वचा का रंग काला पड़ जाता है और मुहांसे की समस्या उत्पन्न हो जाती है | इसी तरह से कुछ महिलों के बाल गर्भावस्था के दौरान काफी लम्बे और घने हो जाते है,जबकि इसके विपरीत कुछ महिलाओं के बाल गर्भावस्था के दौरान तेज़ी से झड़ने लग जाते है और रुसी की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

ऐसी समस्याओं के इलाज के लिए होम्योपैथिक उपचार को सबसे उपयुक्त तरीका माना जाता है | इसकी खास बात यह है की होम्योपैथिक दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और यह समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम होता है | इसलिए गर्भवती महिलाएं, जो ऐसी किसी परिस्थिति से गुजर रही है, वह एक्सपर्ट्स से मूल्यांकन करके इलाज के होम्योपैथिक उपचार का सहारा ले सकती है | आइये जानते है गर्भवस्था के दौरान किन कारणों से बालों के स्वास्थ्य में आता है बदलाव :-  

गर्भावस्था के दौरान किन कारणों से आता है बालों के स्वास्थ्य में बदलाव ?    

 

हार्मोनल परिवर्तन होना :- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में मौजूद प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोज़ोन हार्मोन स्वास्थ्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते है | यदि एस्ट्रोज़ोन नामक हार्मोन महिला के शरीर में सही मात्रा में मौजूद है तो इससे बालों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है, इसके विपरीत अगर प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का संतुलन प्रभावित हो जाता है तो  इससे बाल झड़ने और अन्य बालों के स्वास्थ्य से जुडी समस्या उत्पन्न हो सकती है | इसलिए इस बेहद संवेदनशील दौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए अपने बालों के सेहत का खास ख्याल रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है, जैसे की आपको उचित व्यायाम करना चाहिए, संतुलित भोजन का सेवन करें, नशीले पदार्थों से दूर रहे, तनाव को प्रबंधन करें आदि |  

 

इसके अलावा और भी ऐसे कारण होते है जैसे की लाइकोपोडियम, फास्फोरस, गंधक, सिलिकाया आदि, जिसकी वजह से बालों का स्वास्थ्य काफी हद तक ख़राब हो जाता है | लेकिन घबराएं नहीं, होम्योपैथिक में इस समस्या का आसानी से इलाज किया जा सकता है |    

होम्योपैथिक उपचार एक बहुत ही सुरक्षित और दुष्प्रभाव से मुक्त एक चिकित्सा उपचार है | इसमें मौजूद होम्योपैथी दवाएं बालों से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सक्षम होती है | लेकिन मरीज़ के स्थिति अनुसार होमेओपेथिक चिकित्सक दवाओं को निर्धारित करता है | यदि आप में से कोई भी महिला ऐसे किसी परिस्थिति से गुज़र रही है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | 

 

डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 15 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |    

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Alopecia treatment

एलोपेसिया क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है इलाज ?

आज के समय में बालों का झड़ना इतना आम हो गया है की हम में अधिकांश लोग अपने जीवन में किसी न किसी समय इस समस्या से ज़रूर गुजरते है | बालों का झड़ना पुरुष और महिला दोनों के लिए ही बेहद आम समस्या है और दोनों में ही बाल झड़ने के अनेको कारण हो सकते है | यदि आपके बाल रोज़ाना गिनती में 50 से 60 की संख्या में गिरते है तब तो यह सामान्य है, लेकिन यदि आपके बाल काफी अधिक मात्रा में टूट कर गिर रहे है तो यह कोई गंभीर होने के बीमारी के लक्षण हो सकते है | अधिकतर मामलों में लोग अच्छे चमकदार, घने, लंबे और काले बालों को ही स्वस्थ मानते है | इसलिए जब भी आप थोड़े से बाल झड़ते हुए देखते है या फिर खोये हुए बालों का समूह देखते है तो इसे आप बाल झड़ने की समस्या समझने लग जाते है | लेकिन आपको बता दें कि बढ़ती उम्र के साथ-साथ कुछ बालों का झड़ना स्वाभाविक है |     

 

यदि आप लगातार अधिक मात्रा में बाल झड़ने की समस्या का अनुभव कर रहे है तो यह आपके लिए एक चिंता का विषय बन सकता है | लगातार बाल झड़ने की वजह से आपको कई तरह के असामान्य स्थितियों से सामना करना पड़ सकता है, जैसे की गंजापन, पैचनेस, गंजे धब्बे आदि शामिल है | हालांकि जो बाल अक्सर रोज़ाना झड़ते है, उनके वापिस आने की उम्मीद होती है, लेकिन जो बाल किसी गंभीर बीमारी, हार्मोनल परिवर्तन, अधिक तनाव में रहने से या फिर अनुवांशिक कारणों से झड़ते है, उनके दोबारा से विकास होने की संभावना बहुत कम होती है | यदि आपके बाल रोज़ाना अधिक मात्रा में लगातार झाड़ रहे है और नायें बालों का विकास नहीं हो पा रहा है तो इस स्थिति को एलोपीसिया कहा जाता है | आवश्यक विटामिन की कमी होने के कारण, कुछ दवाओं का सेवन से, अस्वास्थ्यकर आहार या फिर किसी बीमारी के कारण बाल झड़ने की समस्या हो जाती है | 

 

एलोपेसिया होने के लक्षणों की पहचान करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट भी किये जाते है | प्रत्येक व्यक्ति में बाल झड़ने के कारण विभिन्न होते है और कारणों के आधार पर मरीज़ सटीकता से इलाज किया जाता है | यदि आप भी बाल झड़ने की समस्या से या फिर एलोपेसिया से परेशान है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | आइये जानते है एलोपेसिया होने के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

एलोपेसिया होने के मुख्य लक्षण क्या है ?    

एलोपेसिया समस्या की शुरुआत अक्सर सिर पर बने एक या फिर एक से अधिक गोल, चिकनी गंजे पैच के साथ होता है | इस स्थिति में एक साथ सिर के सभी बालो के गिरना की संभावना होती है | कई मामलों में ऐसा भी होता है, जहां झड़े हुए बाल कुछ ही समय बाद वापिस भी आ जाते है और कुछ लोगों को एलोपेसिया होने के कारण बार-बार बाल उन्हें बाल झड़ने की समस्या से गुजरना पड़ जाता है | एलोपेसिया होने के मुख्य लक्षणों में शामिल है :-          

 

  • सिर में अंडे के आकार का पैच दिखाई देना, जिसका आकार समय के साथ बढ़ते ही जाता है | 
  • सिर पर उत्पन्न हुए पैच पर कोई दाने, लालिमा या फिर निशान नहीं होता है | 
  • बाल झड़ने से पहले सिर की त्वचा में खुजली होता है, झुनझुनी या फिर जलन होने अनुभव हो सकता है | 
  • नाखून में लकीरों या फिर गड्ढों का दिखाई देना आदि | 

 

एलोपेसिया होने के मुख्य कारण क्या है ? 

एलोपेसिया एक ऑटोइम्म्युन बीमारी होती है, जिसके कारण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर में ही हमला कर देती है | आसान भाषा में बात करें तो जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके बालों की रोमों में भी हमला कर देती है तो इससे आपके बाल अधिक मात्रा में झड़ने लग जाते है और अक्सर एक चौथाई के आकार में झड़ते है, जिसकी वजह से अंडे के आकर का पैच बनना शुरू हो जाते है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली को ऐसा लगता है की बालों की रोमें विदेशी आक्रमणकारी है जैसे की बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या फिर कवक, जो संक्रमण, बीमारी या फिर रोग का कारण बनते है | 

होम्योपैथी में एलोपेसिया का कैसे किया जाता इलाज ? 

एलोपेसिया समस्या से निदान पाने के लिए होम्योपैथी उपचार सबसे अधिक प्रभावी होता है | एलोपेसिया के उपचार के लिए होम्योपैथी उपचार सबसे पहले हमारे शरीर में मौजूद प्रतिरक्षा प्रणाली को अनुकूलित करता है, जो शरीर को प्रभावित कर रही होती है | इस प्रकार से होम्योपैथी एक प्रभावी और स्थायी रूप से समाधान को प्रदान करती है | इसके अलावा एक बार होम्योपैथी उपचार होने के बाद एलोपेसिया के दोबारा से उत्पन्न होने की संभावना सबसे कम होती है | इसलिये यदि आप में से कोई भी व्यक्ति एलोपेसिया की समस्या से परेशान है और कई संस्थानों से इलाज करवाने के बाद भी आपकी स्थिति पर किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा तो इलाज के लिए आप होम्योपैथिक उपचार का सहारा ले सकते है, जिसके लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | 


डॉक्टर सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन मुंबई की बेहतरीन होमियोपैथ में से एक है, जो पिछले 18 वर्षों से अपने मरीज़ों का होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉक्टर सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके आलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से भी बातचीत कर सकते है |                  

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चिकन पॉक्स क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें इस समस्या का इलाज ?

क्या आपके के घर में या फिर आप में से कोई भी व्यक्ति शरीर में लाल धब्बे के कारण हो रही खुजली से परेशान है ? यदि हाँ है तो यह चिकन पॉक्स या फिर चेचक की समस्या हो सकती है | कई लोगों का यह मानना है कि चेचक की समस्या केवल बच्चों को ही प्रभावित करता है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, चेचक छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार पूर्वक से :- 

 

चिकन पॉक्स क्या होता है ? 

 

चिकन पॉक्स को चेचक या फिर मेडिकल टर्म्स में इसे वैरिसेला-जोस्टर के नाम से जाना जाता है | यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो खुजली वाले और छाले जैसे त्वचा के दाने के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण दो तरह की होते है, पहला छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी है बड़ी माता यानी बड़ी चेचक | इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को छाले-फोफले, खुजली के दाने और बुखार हो सकता है | यह चेहरे, पीठ और पेट पर सबसे पहले दिखाई देते है और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर की त्वचा में फैलने लग जाते है |  यदि इस समस्या का सही समय पर इलाज न करवाया तो यह स्थिति को गंभीर कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण और कारण क्या है ? 

चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण क्या है ? 

 

  • खुजली वाले दानों का उत्पन्न होना 
  • अत्यधिक उल्टी का होना 
  • बुखार के साथ सिरदर्द 
  • दानों का धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलना 
  • पूरे शरीर में दर्द होना 
  • गर्दन में अकड़न
  • खांसी और थकान 
  • गले में खराश की समस्या 
  • मांसपेशियों का ढीला पड़ना 
  • भूख की कमी होना 
  • मुंह में घाव होना 

 

चिकन पॉक्स के मुख्य कारण क्या है ?

 

चिकन पॉक्स वैरिसीले-जोस्टर के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण नाक और गले में रहता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या केवल बात करने फ़ैल सकता है | इसके मुख्य कारण है :- 

 

  • संक्रमित व्यक्ति के छालों, लार या फिर बलगम को सीधे छू लेना  | 
  • संक्रमित व्यक्ति के दूषित वस्तुओं के संपर्क में आना  |    
  • दाद से पीड़ित व्यक्ति के छालों के संपर्क में आना | 

चिकन पॉक्स से कैसे पाएं निदान ? 

 

चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर बिस्तरे में पूरी तरह से आराम करने को और गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है, जिससे खुजली की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाती है | लेकिन आपको बता दे, ऐसे कुछ प्रभावी होमेओपेथिक उपचार मौजूद है, जो चिकन पॉक्स के इलाज के लिए बेहद कारगर सिद्ध है | चूँकि ऐसा माना जाता है की होमेओपेथिक उपचार से किसी भी तरह के संक्रमण बीमारों का इलाज बिना किसी दुष्प्रभावों के आसानी से किया जा सकता है | 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति चिकन पॉक्स की समस्या से पीड़त है तो इलाज में डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होमेओपेथिक में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी की ओफिसिअल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

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थायराइड क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है इलाज ?

थायराइड हमारे शरीर के गले में मौजूद तितली की तरह एक ग्रंथि होती है, जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होता है | यह  ग्रंथि शरीर में अलग-अलग तरह के हार्मोन का निर्माण करती है, जैसे की ट्राईआयोडोथायरोनिन T3 और थायरोक्सिन T4 आदि शामिल है, जो हमारे शरीर में मौजूद मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करते है और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाये रखने का काम करती है | 

 

हमारे दिमाग में मौजूद एक ग्रंथि प्रतिक्रिया को भी थायराइड द्वारा निर्मित हार्मोन के ज़रिये नियंत्रित किया जाता है | इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि भी इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) का निर्माण करती है, जो रक्त में T3 और T4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज़्यादा करने का कार्य करता है | जब हमारे रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है, तब इस स्थिति को थायराइड के स्तर का बढ़ना कहा जाता है | इसके विपरीत जब रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो इससे भी थायराइड के स्तर कम हो जाता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज़्म भी कहा जाता है | 

थायराइड कितने प्रकार के होते है ? 

पुरुषों की तुलना में महिलाएं सबसे अधिक थायराइड से प्रभावित होती है | थायराइड के स्तर बढ़ने और घटने के अलावा और भी ऐसे कई थायराइड से संबंधित समस्याएं होती है, जैसे की थायराइड में सिस्ट का बनना, ट्यूमर और थायराइड कैंसर आदि शामिल है | अब अगर थायराइड के प्रकार के बात करें तो यह दो प्रकार के होते है पहले है हाइपोथायरॉइडिज़्म और दूसरा है हाइपरथायरॉइडिज़्म |   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है, जब गले की ग्रंथि T4 यानी  थायरोक्सिन का निर्माण सबसे अधिक करने लग जाती है | जिसकी वजह से हमारे शरीर में थायराइड से संबंधित विकार तेज़ी से बढ़ने लग जाते है, जो शरीर के वजन को तेज़ी से घटाने और दिल की धड़कन को तेज़ी से बढ़ाने लग जाता है |      

         

हाइपोथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है जब गले की ग्रंथि कुछ ज़रूरी हार्मोन का निर्माण करना बंद कर देती है | जब हमारे शरीर में बहुत कम ही मात्रा में हार्मोन मौजूद होते है तो हमारा शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है | इसके अलावा शरीर का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ने लग जाता है और ठन्डे तपमान के लिए सहनशक्ति काफी कम हो जाती है |

 

थायराइड के मुख्य लक्षण क्या है ?      

थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करता है | थायराइड में असामान्यताएं के कई लक्षण दिखाई दे सकते है, जिनमें शामिल है :-   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • वजन का तेज़ी से घटना 
  • गंजापन होना 
  • बार-बार पसीना आना 
  • चिड़चिड़ रहना 
  • गर्दन में सूजन होना 
  • गर्मी के संवेदनशील होना 
  • भूख लगना 
  • दिल के धड़कन का तेज़ी से बढ़ जाना 
  • अनियमित रूप से मासिक धर्म आदि 

 

हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • तेज़ी से वजन का बढ़ना 
  • ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होना 
  • बालों और त्वचा का शुष्क होना 
  • हर समय मांसपेशियों में दर्द और कमज़ोरी रहना 
  • हाथों का सुन्न और झुनझुनी होना 
  • अवसाद और चिंता की समस्या 
  • अधिक थकान का अनुभव करना 
  • मानसिक धुंधलापन स्थिति आदि 

थायराइड कैंसर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते है,

  • गर्दन पर गांठ जैसे महसूस होना 
  • आवाज़ का बदलना 
  • खाना को निगलने में परेशानी होनी 
  • गार्ड की समस्या 

  

थायराइड के मुख्य कारण क्या है ?

शरीर में थायराइड से जुड़े विकार होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • किसी तरह के वायरल की चपेट में आने से, थायराइड से जुड़े विकार बढ़ सकते है | 
  • आयोडीन की कमी होना 
  • ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण 
  • कुछ दवाओं के सेवन से 
  • अधिक समय तनाव में रहना 
  • बच्चे की डिलीवरी के बाद 
  • अनुवांशिक कारण से 

 

होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है थायराइड का इलाज ? 

एलॉपथी डॉक्टर थायराइड के आम उपचार में पीड़ित व्यक्ति को कुछ सप्लीमेंट्स निर्धारित कर देते है, ताकि थायराइड के स्तर पर नज़र राखी जा सके, हालांकि यह समस्या का कोई स्थिर इलाज नहीं है | होम्योपैथी एकलौता ऐसा सुरक्षित उपचार है, जिसमें सही परिणाम मिलने के बाद मरीज़ हार्मोन के सप्लीमेंट्स को लेना छोड़ सकता है | 

 

होम्योपैथिक उपचार केवल बीमारी का ही नहीं उपचार करता, बल्कि यह उसके लक्षणों को पूरी तरह से कम करने और अन्य बीमारियों की संभावना को भी ठीक कर देता है | लक्षणों को दबाने के बजाय होम्योपैथिक उपचार इन लक्षणों को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है | यह दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह काम करती है और उन एंटीबॉडी को ख़तम करने का काम करती है, जो थायराइड की ग्रंथि को नुक्सान पहुंचने का कार्य करती है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति थायराइड से जुड़े विकार से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से मिल सकते है | 

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से होम्योपैथी उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |