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साइनोसाइटिस क्या होता है और जाने कैसे किया जाता है होम्योपैथिक उपचार से इस समस्या का इलाज ?

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब वीडियो में यह बताया की साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या होती है जिसमें आपके साइनस के ऊतकों में सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और साइनस के स्थान पर म्यूकस और कीटाणु भर जाते है | जिस वजह से साइनस टिशू सर्दी, एलर्जी से संक्रमित होकर सूज जाती है, जो साइनस के प्रवेश को बंद कर उस मार्ग पर म्यूकस को फंसा देती है | उस मार्ग में म्यूकस का जमा होने के कारण सिरदर्द और दबाव जैसे लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है | 

 

आसान भाषा में बात करें तो साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़त व्यक्ति के गले और नाक में सूजन और इन्फेक्शन हो जाता है | हलाकि इलाज करने के बाद भी गले और नाक का इन्फेक्शन तब तक ठीक नहीं होता, जब तक यह साफ़ नहीं हो जाता | आइये जानते है साइनोसाइटिस के मुख्य लक्षण कौन-कौन से होते है :- 

 

  • नाक का बंद होना 
  • गले और नाक में जलन होना
  • चेहरे पर दबाव पड़ना और दर्द होना 
  • गंध के प्रति कम अनुभूति होना 

 

यदि बात करें कि साइनस क्या होता है तो यह आपके सिर में मौजूद चार युग्मित गुहाएँ होती है, जो संकीर्ण मार्ग को आपस में जोड़ती है | आमतौर पर साइनस का कार्य बलगम बनाना होता है, जो नाक के मार्ग से बाहर की तरफ निकलता है | इसके साथ ही जल निकासी नाक को साफ़ और कीटाणु जैसे रोगजनकों से मुक्त रखने में मदद भी करती है | 

 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह भी बताया की साइनोसाइटिस से पीड़ित व्यक्ति कई बार इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एलॉपथी दवाओं का सहारा ले लेते है, जो समस्या को कम करने के बजाये, इसे बढ़ावा देने का काम करती है | लेकिन घबराएं नहीं साइनोसाइटिस का होम्योपैथिक उपचार की मदद से आसानी से इलाज किया जा सकता है, क्योंकि होम्योपैथी दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ता और साथ ही यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में मदद भी करते है | 

 

यदि आप ही साइनोसाइटिस की समस्या से पीड़ित हो तो इलाज के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके आलावा आप डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है |    

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Allergy

Homeopathy’s approach to seasonal allergy relief.

People prefer homeopathic treatment over allopathic because of its long-lasting results. Preparing homeopathic remedies involves a series of dilutions and forceful shaking or succussion. The diluting process minimizes possible negative consequences while maximizing the substance’s medicinal benefits. Plants, minerals, animals, and naturally harmful items can be used for homeopathic treatments.

 

What is the definition of Homeopathic treatment? 

A complementary and alternative medicine known as homeopathy employs minimal concentrations of natural compounds that, in more significant concentrations, have the potential to induce disease or create symptoms. Many conditions, including colds, upset stomachs, discomfort and menopausal hot flashes, can be treated using homeopathy; nevertheless, the efficacy of homeopathic remedies is not well supported by data. 

 

Some common types of seasonal allergies. 

Allergens present at specific periods of the year cause seasonal allergies, sometimes called hay fever or allergic rhinitis. People can meet the best doctor for Allergy treatment in Mumbai. Typical seasonal allergies include the following:

  • Pollen Allergy: When plants are in flower in the spring and autumn, pollen from trees, grasses and weeds can cause allergic reactions. People might be affected by various kinds of pollen at different periods of the year.
  • Mold Allergy: Mold spores are present outside and indoors, although they are more prevalent outside during warm, muggy weather. Symptoms of mold allergies might be shared throughout the summer and early fall.
  • Grass allergy: In spring and summer, when grasses are in bloom and releasing pollen into the air, many people are impacted by grass pollen, a frequent allergen.
  • Tree Allergy: A significant cause of allergy symptoms for many people is pollen, released by various tree species at multiple points during the spring.
  • Allergy to Weeds: Certain weeds, like ragweed, are known to cause allergy reactions, particularly in the late summer and early autumn, when they release much pollen into the atmosphere.
  • Ragweed Allergy: Ragweed is a common cause of autumn allergies due to its highly allergic and widely distributed pollen.

 

Treatment of seasonal allergies through homeopathy. 

Seasonal allergy homeopathic treatment reduces symptoms and encourages the body’s healing mechanisms. The following six popular homeopathic therapies can be used to address seasonal allergies: 

  • Allium cepa: The common onion, allium cepa, is used to make a cure for allergic rhinitis, which is characterized by symptoms including watery, burning nasal discharge, frequent sneezing and irritated, watery eyes. In heated environments, symptoms might get worse; outside, they might get better.
  • Arsenicum album: Arsenic, or Arsenicum album, is recommended for allergy-causing symptoms, including watery, burning nasal discharge, sneezing, and restlessness or anxiety. Symptoms could worsen at night; however, warmth and hot beverages can help.
  • Euphrasia officinalis: Euphrasia treats allergies that cause symptoms like frequent sneezing, bland nasal discharge and copious, sharp eye tears. Symptoms can go worse at night and get better in the open. 
  • Sabadilla: Sabadilla is recommended for allergies that cause symptoms, including watery nasal discharge, tingling and itching in the nose, and forceful sneezing. Strong smells, dust and chilly air might exacerbate symptoms. 
  • Natrum muriaticum: This medication treats allergies that cause runny nose, sneezing and a clogged nose sensation. Exposure to sunlight, heat and emotional stress might exacerbate symptoms. 
  • Wyethia helenioides: Wyethia is recommended for allergies that cause symptoms, including a dry, irritating cough, a lumpy feeling in the throat, and itching and tickling. Talking and cold air might exacerbate symptoms. 

 

Nowadays, people prefer homeopathic treatment because of its benefits, and the results of homeopathic medicines are long-lasting. The best Homeopathy doctor in Mumbai gives you appropriate guidance about allergy and homeopathy treatments. Contact Dr Sonal’s Jain homeopathy clinic for the treatment of seasonal allergies. 

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Allergy Hindi

एलर्जी से प्रबंधन के लिए होम्योपैथी का चुनाव क्यों करें, जानें एक्सपर्ट्स क्या है उनकी सलाह

रायनाइटिस और हे फीवर की तरह और भी ऐसी कई मौसमी एलर्जी होती है जिससे लाखों की संख्या में लोग जुझ रहे है | हलाकि एलोपैथिक दवा के सेवन और घरेलु उपचार से भी यह समस्या दूर नहीं होती | ऐसे समय पर आप होम्योपैथिक उपचार का सहारा ले सकते है | होम्योपैथिक उपचार एक ऐसा उपचार से जिससे कोई शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और समस्या भी दूर हो जाती है | 

 

डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी के डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट यूट्यूब शॉर्ट्स के माध्यम से यह बताया कि दुनिया भर में लाखों लोग कई तरह के एलर्जी की समस्या से जूझ रहे है, जिससे कम करने के लिए लोग एलोपैथी दवाओं का सहारा लेते है, जो इस एलर्जी को कम करने के बजाये इससे बढ़ावा देते है | लेकिन होम्योपैथिक की दवाएं इन एलर्जी के लिए सबसे अच्छी दवा होती है, क्योंकि यह दवाएं सस्ती होती है और हर बार अपना कार्य करने में सक्षम भी होते     है |

 

उदाहरण के लिए अगर बात करें हे फीवर जैसे एलर्जी की, तो यह एलर्जी अलग-अलग मौसम में भिन्न-भिन्न तरह के पदार्थों से शुरू हो जाता है | यह एलर्जी तब उजागर होती है आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली पराग जैसे हानिरहित पदार्थों को खतरनाक मानने लगती है और उससे रक्षा के लिए रसायन तत्व को छोड़ने लगती है | आइये जानते है इसके मुख्य लक्षण :- 

 

  • बार-बार छींक आना 
  • नाक का बहते रहना 
  • आंखे गीली रहना और खुजली होना
  • गले में खुजली होना 
  • कान में जमाव होना 
  • सिरदर्द होता 
  • लगातार खाँसना आदि 

 

ऐसे मौसमी एलर्जी के लिए कुछ होम्योपैथिक उपचार होते है, जो किसी योग्य होम्योपैथी से ही परामर्श किया जा सकता है | होम्योपैथी दवाओं  के अन्य लाभ यह है कि यह अत्यंत किफायती होने साथ साथ शरीर के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और वास्तविक भी होते है | यह बात तो सभी जानते है की होम्योपैथिक दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं होते | यह समस्या को तेज़ी से ठीक भी करता है और इससे रोकथाम के लिए संकेत भी करता है | 

 

यदि आप भी किसी एलर्जी से परेशान हो और इलाज करवाना चाहते हो तो आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है,इस संस्था के डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक दवाओं में एक्सपर्ट है, जो आपके इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |  

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Allergy homeopathy

Harnessing the Power of Homeopathic Medicine for Throat Infection Relief

Throat infections are common diseases that can cause distress and hinder our everyday tasks. While traditional treatments are broadly available, numerous individuals are presently going to homeopathic medicine for a natural and holistic approach to throat infection relief.

In this blog, we will investigate the advantages of homeopathy in treating throat infections and shed light on the expertise given by the famous homeopathic clinic and doctor in Mumbai, Dr. Sonal Jain.

  1. Understanding Throat Infections: To successfully address throat infections, understanding their causes and symptoms is significant. Throat infections, frequently brought about by bacteria or viruses, can prompt symptoms, for example, sore throat, difficulty swallowing, and hoarseness.
    Homeopathy centers around treating the fundamental reasons for these infections, supporting the body’s natural recuperating mechanisms, and giving long-term relief.
  2. The Principles of Homeopathic Medicine: Homeopathy works on the rule that can cause symptoms in a sound individual and is utilized in an exceptionally weakened structure to animate the body’s mending reaction.
    Homeopathic cures are produced using natural sources, like plants and minerals, and are custom-made to every individual’s unique symptoms and constitution. This customized approach separates homeopathy from regular treatments.
  3. Advantages of Homeopathic Treatment for Throat Infections: Homeopathic medicine offers a few advantages with regard to treating throat infections. Firstly, it gives a delicate and non-obtrusive approach, making it reasonable for individuals of any age, including kids and pregnant ladies.
    Secondly, homeopathic cures are liberated from secondary effects, going with them a protected decision for long-term use. Besides, homeopathy centers around reinforcing the resistant system, lessening the recurrence and power of throat infections.
  4. Dr. Sonal Jain: Expert Homeopathic Doctor: With regards to looking for a reliable and viable homeopathic doctor in Mumbai for throat infections, Dr. Sonal Jain’s clinic in Mumbai stands out as a confided objective.
    With long periods of involvement and a profound understanding of homeopathy, Dr. Sonal Jain offers customized conferences, considering the individual’s unique symptoms and overall well-being. Her expertise in homeopathy has gained notoriety for greatness in the field.
  5. Holistic Approach to Throat Infection Relief: In addition to recommending proper homeopathic cures, Dr. Sonal Jain embraces a holistic approach to advance overall well-being. She underlines the significance of a sound lifestyle, including proper nutrition, hydration, and stress management, which are critical in forestalling repetitive throat infections.
    By tending to the main drivers and supporting the body’s natural mending systems, Dr. Sonal Jain assists patients with accomplishing long-enduring relief and working on overall well-being.

Conclusion:

Homeopathic medicine offers a protected and powerful option for treating throat infections, focusing on holistic recuperating and long-term relief. Dr. Sonal Jain’s homeopathic clinic in Mumbai gives expert direction and customized treatment, guaranteeing that patients get the best consideration for their throat infection concerns.

By harnessing the power of homeopathy, individuals can encounter relief from throat infections, fortify their insusceptible system, and work on their overall well-being. Embrace the power of homeopathy and experience the natural way to throat infection relief and worked on well-being.

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Allergy

Homeopathy & Skin Allergies: The Most Effective Treatment Methods

Just imagine you are sitting with someone with a skin allergy and constantly scratching his skin. Would you like to sit with that person?

Well, nobody will.

People don’t even consider skin allergies a problem, but when their issue crosses a limit, they run to the best Homeopathic clinic in Mumbai to get their issue treated.

Although if they had taken their skin allergy seriously before and gone to a homeopathic doctor in Mumbai, then they could have gotten rid of it now.

In this blog, we will discuss various causes and homeopathic treatment methods for skin allergies that will help us never face skin allergies.

Causes of Skin Allergies 

We all know that skin is one such factor that protects our body parts from plenty of factors, and the layer of skin is integrated with cells from our immunity system. The help of which skin protects us from all bacteria and viruses.

But once our skin gets affected, you will notice redness and rashes around the affected area that causes a lot of itchiness and inflammation.

  • The first and most common cause of skin allergies or itchy skin is dry skin. As you grow old, your skin will ask for more nutrients, and if you cannot provide those nutrients, you will start facing dry skin issues.
  • People who take a lot of cold or hot baths also face the same issue, which later turns into itchy skin issues.
  • Different people face allergies because of different things. For example, some people face allergies because of dust, while others face them because of flowers and other substances. Right after targeting the allergic substance, you can start facing itchiness and other such skin-related issues.
  • Some people think they are facing itchy skin issues, but if you are facing redness, dryness, and itchiness on your skin combined, there is a high chance of facing eczema.

Eczema is more serious than normal itchy skin issues.

Homeopathic Treatment For Skin Allergies

 Let us have a look at some of the most effective homeopathic treatment methods for skin allergies:

  • The first homeopathic medicine is the Arsenicum album, with the help of which you can treat skin allergies such as eczema, urticaria, and psoriasis.
  • The next medicine is Apis Mellifica, with the help of which you can treat issues such as bad rashes. If you face rashes on your skin and that issue is suddenly increasing all over your body, this medicine can help you.
  • Here’s the third most commonly used homeopathic medicine for asthmatic rashes on the skin: callidum.

Conclusion: 

No matter how complex the issue is, skin allergies can be treated using homeopathic medicines. First, ensure that you are well aware of the skin allergies you are facing, based on which you can get the right treatment.

You can contact Dr. Sonal Jain Healing With Homeopathy Clinic for an expert opinion.

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Allergy

जानिए हर तरह की एलर्जी में होम्योपैथिक दवा कैसे रामबाण इलाज है?

एलर्जी हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में अगर हो जाए तो इससे व्यक्ति को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, पर आज के लेख में जानेगे की हम कैसे एलर्जी का इलाज होम्योपैथिक तरीके से कर सकते है, वो भी बिना किसी नुकसान के ;

क्या है एलर्जी की समस्या ?

  • एलर्जी की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, और ये एलर्जी व्यक्ति को किसी भी समय शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकती है। या यू कहे ये समस्या किसी चीज, वातावरण, पशु-पक्षी या अन्य जानवर से भी हो सकती है। 
  • कुछ लोगों में एलर्जी की समस्या इस तरह की नज़र आती है, की उनका पूरा शरीर लाल चकत्तों से भर जाता है, और जब ये समस्या ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो व्यक्ति जल्दी से ठीक नहीं होता इससे।
  • इसलिए जरूरी है की एक बार अगर आपको पता चल जाए की आपको इस चीज से एलर्जी है तो उससे दुरी बनाना ही आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।  

क्या है विभिन प्रकार की एलर्जी ?

हमारे शरीर को कई तरह की एलर्जी का सामना करना पड़ता है और वो एलर्जी कौन सी है उसके बारे में चर्चा करेंगे ;

  • फफूंदी एलर्जी, यह एक प्रकार की एलर्जी है जो पूरे वर्ष रहती है। फफूंद एक कवक है जो गर्मी और सर्दी दोनों में बढ़ सकता है और आपकी त्वचा पर प्रतिक्रिया कर सकता है।
  • खाद्य एलर्जी,  यह एक व्यापक प्रकार की एलर्जी प्रतिक्रिया है। आपका शरीर किसी विशेष भोजन पर प्रतिक्रिया कर सकता है। उस एलर्जिक भोजन की न्यूनतम मात्रा आपकी त्वचा पर प्रतिक्रिया, वायुमार्ग में सूजन, पाचन विकार आदि जैसे लक्षणों का कारण बन सकती है।
  • पालतू जानवरों से एलर्जी की प्रतिक्रिया का सबसे आम प्रकार है। यह आपके पालतू जानवर की त्वचा, मूत्र या लार को दूषित कर सकता है। आमतौर पर, जो लोग अस्थमा से पीड़ित है, उनमें पालतू जानवरों से एलर्जी होने की संभावना अधिक होती है। यहां लक्षण की बात करें तो नाक बहना या छींक आना, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना शामिल है।
  • कीट एलर्जी, आपकी त्वचा पर कीड़े के काटने के कारण विकसित हो सकती है। आपके घर में मौजूद कीड़ों की प्रतिक्रिया कीट एलर्जी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • धूल और पराग एलर्जी,  धूल के कण और पराग कण आपके शरीर में एलर्जी प्रतिक्रिया पैदा कर सकते है। इससे मौसमी बुखार, छींक आना आदि हो सकता है।
  • दवा से एलर्जी आपके शरीर पर एक विशेष प्रकार का गलत प्रभाव छोड़ती है। एक उचित निदान आपकी दवा एलर्जी के कारण की पहचान कर सकते है।

एलर्जी के दौरान आपके शरीर में किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  1. खुजली के साथ छींकें आना, नाक बहना या बंद होना।
  2. नेत्रश्लेष्मलाशोथ, जिसमें आँखों में खुजली, लाली और पानी का आना शामिल है।
  3. इसके साथ ही खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न आदि भी हो सकता है।
  4. कुछ मामलों में, आपको घरघराहट का अनुभव भी हो सकता है।
  5. आपकी त्वचा पर लाल चकत्ते और खुजली हो सकती है।
  6. इससे होंठ, जीभ, आंखें या चेहरा सूज सकता है।
  7. त्वचा में रूखापन, लालिमा और फटी त्वचा हो सकती है।
  8. गंभीर मामलों में, आपको पेट में दर्द भी हो सकता है।
  9. बीमारी, उल्टी या दस्त की समस्या का आपको सामना करना पड़ सकता है। 

अगर आपको तरह-तरह की एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो इससे बचाव के लिए आपको मुंबई में होम्योपैथिक डॉक्टर से अपनी एलर्जी का उपचार जरूर से शुरू करवाना चाहिए। 

एलर्जी में कौन-से होम्योपैथिक उपचार सहायक माने जाते है ?

  1. एपिस मेलिस्पा, एक बेहतरीन होम्योपैथिक दवा है, जिसका उपयोग एलर्जी पित्ती के सभी मामलों के लिए किया जाता है, वहीं जलन और चुभने वाली संवेदनाओं के साथ जिनको हिंसक खुजली होती है, उनके लिए भी सहायक है ये दवाई। इसके अलावा इस दवाई से रोगी को ठंडे अनुप्रयोगों से राहत मिल सकती है। 
  2. आर्सेनिक एल्बम, एक प्राकृतिक होम्योपैथिक दवा है, जो नाक की एलर्जी के इलाज के लिए होम्योपैथिक दवा में से एक मानी जाती है। वहीं जब छींक के साथ नाक से एक धाराप्रवाह और जलने वाला निर्वहन निकलते है। तो यह पानी आँखों में जलन का कारण बनते है, पर इन सब समस्या से आप आसानी से निजात पा सकते है यदि आप इस होम्योपैथिक दवाई का चयन करते है। 
  3. नैट्रम मुर, एक प्राकृतिक होम्योपैथिक दवा है जो नाक और त्वचा की एलर्जी दोनों के उपचार के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। नाक की एलर्जी में नैट्रम म्यूर का उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु छींकने और सांस लेने में कठिनाई के साथ चलने वाली नाक है। 

वहीं त्वचा की एलर्जी में, नेट्रम म्यूर अत्यधिक खुजली के लिए आदर्श होम्योपैथिक उपाय है जो मुख्य रूप से गर्म कमरे में खराब हो जाती है और खुली हवा में बेहतर रहती है। नैट्रम म्यूर की आवश्यकता वाले सभी रोगियों में आमतौर पर नमक की लालसा देखी जाती है।

  1. प्राकृतिक होम्योपैथिक दवा ‘सल्फर’ अत्यधिक खुजली और जलन के साथ त्वचा की एलर्जी का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। त्वचा आमतौर पर सूखी रहती है और रोगी को खरोंच से राहत दिलाती है। होम्योपैथिक चिकित्सा सल्फर का चयन करने के लिए संवैधानिक लक्षणों में स्नान करने के लिए एक घृणा, एक अस्वास्थ्यकर और गंदी दिखने वाली त्वचा, मिठाई के लिए तरस और पूरे शरीर में अत्यधिक गर्मी शामिल है।

इन होम्योपैथिक दवाइयों का चयन करना कोई गलत नहीं है लेकिन ध्यान रहें किसी भी तरह की दवाई को लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें, वही आप चाहे तो इन होम्योपैथिक दवाइयों से अपना इलाज मुंबई में होम्योपैथिक क्लिनिक से भी करवा सकते है।

ध्यान रखें :

एलर्जी की समस्या गंभीर है इसको टाला नहीं जा सकता, लेकिन इस समस्या से हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में भी हमने उपरोक्त जाना, लेकिन किसी भी दवाई को लेने से अगर आपको एलर्जी के अलावा भी किसी और चीज की समस्या हो तो कृपया दवाई के बारे में जानकारी हासिल करें, अपने अनुभवी डॉक्टर की मदद से। इसके अलावा आप चाहें तो आपके एलर्जी की होम्योपैथिक दवा डॉ. सोनल होम्योपैथिक क्लिनिक से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

आपको आपकी समस्या से हमेशा के लिए निजात आसानी से मिल सकता है। पर ध्यान रहें डॉक्टर क चयन करने से पहले उनके अनुभव के बारे में जरूर जानकारी हासिल करें। 

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एलर्जी की होम्योपैथिक दवाई और क्या है इसके उपचार ?

एलर्जी की समस्या भी काफी हद्द तक लोगों को अपना शिकार बना रही है। क्युकि व्यक्ति आज के समय में बहुत ही जल्दी एलर्जी जैसी समस्या के ग्रिफत में आ जाता है। इसके इलावा हम बात करेंगे कि ये एलर्जी की समस्या क्यों उत्पन हो जाती है, इसके कारण क्या है और होम्योपैथिक में इसकी दवाई व इलाज क्या है।

एलर्जी की समस्या क्या है ?

इसके बारे में जानने के लिए आपको पूरे आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा, तो चलिए निम्न में बात करते है एलर्जी क्या है, इसके बारे में ;

  • एलर्जी की बात की जाए तो ये किसी भी तरह की हो सकती है। जैसे नाक की एलर्जी, त्वचा पर एलर्जी, वातावरण से एलर्जी, खाने की चीजों से एलर्जी, पेंट से एलर्जी आदि।
  • तो वही जब हमारा शरीर किसी चीज को बर्दाश्त नहीं कर पाता और उसके संपर्क में आने से ओवर-रिऐक्ट करता है, तो उसे एलर्जी कहते हैं.एलर्जी की वजह से कई बार सांस लेने में तकलीफ और आंख-नाक से पानी आने की समस्या हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति काफी परेशान हो जाता है।

एलर्जी की समस्या से यदि अपना और अपनों का बचाव करना चाहते हो तो मुंबई में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक से अपना उपचार करवाए।

एलर्जी  के कारण क्या है ?

एलर्जी के कई तरह के कारण हो सकते है, जैसे ;

  • खाने की चीजों से एलर्जी।
  • धूल के कणों से एलर्जी।
  • कीट और मच्छर से एलर्जी आदि।

एलर्जी के कारणों को अच्छे से जानने के बाद इससे निजात कैसे पाना है, इसके बारे में जानने के लिए मुंबई में में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श ले।

एलर्जी से हम खुद का बचाव कैसे कर सकते है ?

 निम्न तरीको को अपनाकर हम एलर्जी से खुद का बचाव कर सकते है ;

  • मान लो अगर बच्चों में एलर्जी की समस्या उत्पन हो जाए, तो इसके लिए हमे उनकी इम्यूनिटी को मजबूत करने वाला खाना खिलाना चाहिए। साथ ही उन्हें धूल-मिट्टी और धूप में खेलने दें, ताकि उनके शरीर को उन चीजों को सहने की क्षमता मिले साथ ही उनमें इम्यून सिस्टम विकसित हो।
  • इसके अलावा जिन लोगों को धूल-धुएं से एलर्जी है, वह हमेशा मास्क लगाकर घर से निकलें और ऐसी चीजों को खाने से बचें, जिनसे आपको एलर्जी हो।

एलर्जी के लिए कौनसी होम्योपैथिक दवाई है कारगर ?

निम्न कुछ दवाई कारगर मानी जाती है, एलर्जी की समस्या से निजात दिलवाने में ;

  • एपिस की दवाई, जलन, खुजली और चुभन के लिए सहायक मानी जाती है।
  • आर्सेनिकम एल्बम, आँखों से पानी का आना व आँखों में जलन की समस्या से निजात दिलवाती है, ये दवाई।
  • नक्स वोमिका, इसका प्रयोग नाकों में जलन की समस्या उत्पन होने पर किया जाता है।
  • सबडिला, का उपयोग लगातार छींक आने, आंखों में लालिमा की समस्या उत्पन होने पर इस दवाई का प्रयोग किया जाता है।

इन दवाइयों का प्रयोग करके आप अपना उपचार आसानी से शुरू कर सकते है। पर इन दवाइयों को अपनी मर्ज़ी से उपयोग में न लाए।

सुझाव :

एलर्जी की समस्या क्या है, ये क्यों उत्पन होती है इसके बारे में आपने जान ही लिया है। तो आपने अगर होम्योपैथिक तरीके से अपनी एलर्जी का इलाज करवाना है, तो डॉ सोनल्स होम्योपैथिक क्लिनिक से जरूर एक बार सम्पर्क करे।

निष्कर्ष :

एलर्जी की समस्या कोई आम समस्या नहीं है। ये भी काफी गंभीर समस्या बन कर सामने आ रही है, इसलिए इसका उपचार मौजूद होने पर इसको जरूर से प्रयोग में लाए।

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मानसून में मौसमी एलर्जी से बचाव के लिए किन बातों का रखें ध्यान !

मानसून का मौसम एक ताज़ा बदलाव हो सकता है, जो गर्मी की चिलचिलाती गर्मी से राहत दिला सकता है। हालाँकि, इससे एलर्जी में भी वृद्धि होती है जो मौसमी एलर्जी से ग्रस्त लोगों पर कहर बरसा सकती है। स्वस्थ रहने और बरसात के मौसम का पूरा आनंद लेने के लिए, एलर्जी को रोकने और प्रबंधित करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। तो इस ब्लॉग में, हम मानसून के दौरान मौसमी एलर्जी से निपटने में आपकी मदद करने के लिए कुछ आवश्यक सुझावों का पता लगाएंगे ;

मानसून के दौरान मौसमी एलर्जी से बचाव के तरीके –

अच्छी स्वच्छता बनाए रखें :

अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोने से एलर्जी को आपके चेहरे और आंखों तक फैलने से रोकने में मदद मिलती है।

अपने घर को साफ़ और धूल-मुक्त रखने से घर के अंदर होने वाली एलर्जी को कम किया जा सकता है।

बरसात के दिनों में घर के अंदर ही रहें :

जब बाहर भारी बारिश हो रही हो, तो घर के अंदर रहना ही सबसे अच्छा है। बारिश परागकणों और फफूंदी वाले बीजाणुओं को उत्तेजित कर सकती है, जिससे बाहर रहने पर एलर्जी से बचना मुश्किल हो जाता है।

वायु शोधक का प्रयोग करें :

घर के अंदर की हवा से पराग और फफूंद बीजाणुओं जैसे एलर्जी कारकों को दूर करने के लिए HEPA फिल्टर वाले वायु शोधक का प्रयोग करें।

खिड़कियाँ बंद रखें :

मानसून के दौरान खिड़कियां और दरवाजे बंद रखने से बाहरी एलर्जी को आपके घर में प्रवेश करने से रोका जा सकता है।

बिस्तर और पर्दों को नियमित रूप से साफ करें :

धूल के कण आर्द्र परिस्थितियों में पनपते है, इसलिए अपने बिस्तर और पर्दों को नियमित रूप से धोना और बदलना आवश्यक है।

नमी से बचकर रहें :

फफूंद को नमी पसंद है, इसलिए सुनिश्चित करें कि फफूंद की वृद्धि को रोकने के लिए आपका घर अच्छी तरह हवादार हो। किसी भी रिसाव या पानी के रिसाव को तुरंत ठीक करें।

नाक सिंचाई का प्रयोग करें :

खारे घोल से नाक की सिंचाई करने से आपके नाक मार्ग से एलर्जी दूर करने और नाक बंद होने से राहत मिल सकती है।

एलर्जेन-अवरोधक कपड़े पहनें :

एलर्जी के संपर्क को कम करने के लिए बाहर निकलते समय लंबी आस्तीन, पैंट और टोपी पहनने पर विचार करें।

पराग गणना के बारे में सूचित रहें :

स्थानीय परागकण और फफूंद की संख्या पर नज़र रखें। आप यह जानकारी मौसम पूर्वानुमान या ऑनलाइन पा सकते है। उच्च गिनती वाले दिनों में, अतिरिक्त सावधानी बरतें।

किसी एलर्जी विशेषज्ञ से परामर्श लें :

यदि आपकी एलर्जी गंभीर है, तो किसी एलर्जी विशेषज्ञ से परामर्श लें जो आपके लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद के लिए उचित दवाओं या इम्यूनोथेरेपी की सिफारिश कर सकते है।

नम और फफूंदी वाले क्षेत्रों से बचें :

पुराने बेसमेंट जैसे नम और फफूंदयुक्त स्थानों से दूर रहें, क्योंकि वे एलर्जी को ट्रिगर कर सकते है।

साफ़ पालतू जानवर के पंजे :

यदि आपके पास पालतू जानवर है, तो टहलने के बाद उनके पंजे साफ करें ताकि वे आपके घर में एलर्जी फैलाने वाले तत्वों का पता न लगा सकें।

अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें :

अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने से आपके सिस्टम से एलर्जी को बाहर निकालने और एलर्जी के लक्षणों से राहत पाने में मदद मिल सकती है।

संतुलित आहार लें :

प्रचुर मात्रा में फलों और सब्जियों वाला स्वस्थ आहार आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकते है और आपके शरीर को एलर्जी से लड़ने में मदद कर सकते है।

सुबह के समय बाहरी गतिविधियाँ सीमित करें :

पराग का स्तर प्रायः सुबह के समय सबसे अधिक होता है। यदि आपको बाहर जाना ही है, तो दिन में बाद में ऐसा करने का प्रयास करें।

एलर्जी रोधी बिस्तर में निवेश करें :

धूल के कण और एलर्जी को आपके बिस्तर में घुसपैठ करने से रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए तकिए और गद्दे के कवर का उपयोग करने पर विचार करें।

एंटीहिस्टामाइन का संयम से उपयोग करें :

ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन अस्थायी राहत प्रदान कर सकते है, लेकिन स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के मार्गदर्शन में उनका उपयोग करना सबसे अच्छा है।

एलर्जी की दवाएँ अपने पास रखें :

यदि आपके पास मौसमी एलर्जी का इतिहास है, तो लक्षणों के बढ़ने की स्थिति में अपनी एलर्जी की दवाएं अपने पास रखना सुनिश्चित करें।

मौसम की स्थिति पर सचेत रहें :

आने वाले मौसम परिवर्तनों से सावधान रहें और तदनुसार अपनी गतिविधियों को समायोजित करें। मौसमी एलर्जी सबसे ज्यादा होने वाली एलेर्जियो में से एक है तो आप भी अगर इस एलर्जी का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको मुंबई में होम्योपैथिक डॉक्टर से इसके बारे में जरूर सलाह लेनी चाहिए, क्युकी होम्योपैथिक में हर समस्या का समाधान जड़ से किया जाता है।

लगातार दिनचर्या का पालन करें :

  • अच्छी नींद और व्यायाम सहित दैनिक दिनचर्या बनाए रखने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और एलर्जी के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • उपरोक्त बातों का ध्यान रखने के बाद भी अगर आप गंभीर एलर्जी जैसी समस्या का सामना कर रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको मुंबई में होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।

ध्यान रखें –

अगर मौसमी एलर्जी की समस्या का आपको सामना करना पड़ रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको डॉ. सोनल होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

बरसात के मौसम का भरपूर आनंद लेने के लिए मानसून के दौरान मौसमी एलर्जी से बचाव आवश्यक है। आप एलर्जी के जोखिम को कम कर सकते है और एक स्वस्थ और सुखद मानसून मौसम सुनिश्चित कर सकते है। याद रखें, थोड़ी सी तैयारी और सतर्कता से एलर्जी को दूर रखने में काफी मदद मिल सकती है।

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बदलते मौसम की एलर्जिक राइनाइटिस या हे फीवर का होम्योपैथिक उपचार क्या है ?

एलर्जिक राईनिटिस या हे फीवर एक साधारण बीमारी है, जिस में छींक का आना, आँखों से पानी का आना और नाक बहना जैसे लक्षण दिखाई देते है। एलर्जिक राईनिटिस का होम्योपैथिक उपचार इसे स्थाई रूप से ठीक करने में सक्षम माना जाता है। इस से पहले कि हम एलर्जिक राईनिटिस के होम्योपैथिक उपचार की बात करें, तो इससे पहले ये जान लेते है की होम्योपैथिक में इसका किस तरीके से इलाज किया जाता है ;

क्या है हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस ?

  • एलर्जिक राईनिटिस या हे फीवर एक एलर्जिक बीमारी है जिस में नाक के अंदर की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन आ जाती है। और यह सूजन तब होती है जब कोई एलर्जी करने वाली चीज़ सम्पर्क में आती है। ये चीज़ें धुआँ, मिट्टी के कण या फूलों के कण या कोई तेज़ गंध के सम्पर्क में आने की वजह से होता है। 
  • वहीं यह समस्या पतझड़ और वसंत ऋतु में अधिक होती है।
  • हे फीवर की समस्या एक हानिरहित बाहरी या इनडोर पदार्थ के लिए एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण होता है, जिसे शरीर गलती से कुछ हानिकारक (एलर्जेन) समझ लेता है।

हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस के कारण क्या है ?

  • जेनेटिक कारण इसमें सबसे पहले शामिल है। 
  • अन्य एलर्जी या अस्थमा के कारण भी इस तरह की समस्या हो सकती है। 
  • दूसरे हाथ में सिगरेट धुए के कारण भी इस तरह की समस्या हो सकती है।

हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस के दौरान लक्षण किस तरह के नज़र आते है ?

  • नाक, मुंह, आंख या गले में खुजली की समस्या। 
  • बहती नाक या नाक के बाद जल की निकासी का होना। 
  • रुकावट या जमाव के कारण भरी हुई नाक। 
  • तेज़ सुगंध और धुंआ, जैसे परफ्यूम या हेयर स्प्रे का आँखों पर गलत प्रभाव पड़ना। 
  • सूजी हुई पलकें। 
  • खांसीलाल और पानी वाली आँखें। 
  • सिगरेट का धुंआ। 
  • छींक का आना। 
  • सफाई उत्पाद, पूल क्लोरीन, वाहन उत्सर्जन और अन्य वायु प्रदूषक इसके लक्षणों में शामिल है। 

हे फीवर की समस्या होने पर कब करें डॉक्टर का चयन ?

  • आपके लक्षण अगर बहुत ज्यादा बढ़ जाए और एक सप्ताह से अधिक समय तक रहें।
  • आप ओवर-द-काउंटर एलर्जी दवाओं से ठीक नहीं हो रहे है, तब डॉक्टर का चयन करें।
  • आपकी एक और स्थिति है, जैसे अस्थमा, जोकि हे फीवर के लक्षणों को और बिगाड़ता है।
  • आपके संकेत और लक्षण गंभीर है।
  • आपकी एलर्जी की दवाएं अप्रिय दुष्प्रभाव पैदा कर रही है।
  • आप यह जानना चाहते है कि एलर्जी इंजेक्शन या इम्यूनोथेरेपी आपके लिए एक अच्छा विकल्प है या नहीं।

हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस की कौन-से होम्योपैथिक उपचार है सहायक ?

  • होम्योपैथिक दवाएं एलर्जिक राईनाइटिस के लिए बहुत ही उपयुक्त मानी जाती है। इस की वजह यह है कि होम्योपैथिक दवाएं केवल लक्षणों को दबाने का प्रयास नहीं करती, बल्कि ये दवाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को भी बढ़ाती है। 
  • जैसे  कि सब एलर्जी की बीमारियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमज़ोरी की वजह से ही होती है। किसी एलर्जी करने वाली चीज़ के सम्पर्क में आते ही यह अत्यधिक मात्रा में प्रतिक्रिया करती है और इस वजह से सभी लक्षण महसूस होते है।
  • होम्योपैथिक दवाएं इस अत्यधिक प्रतिक्रिया को ठीक कर देती है और लक्षण भी धीरे-धीरे हर प्रकार से ठीक हो जाते है। उन्हीं चीज़ों से जिन से एलर्जी होती थी अब शरीर उन चीज़ें के विरूद्ध किसी भी प्रकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता।
  • अगर आप हे फीवर समस्या का खात्मा करना चाहते है, तो इसके लिए आपको मुंबई में होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए। और अपने उपचार को होम्योपैथिक तरीके से करवाना चाहिए।

हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस समस्या के लिए कौन-सी होम्योपैथिक दवा है बेहतरीन ?

  • एलर्जिक राइनाइटिस से बचाव के लिए कुछ होमियोपैथिक दवाइयां है, जिसका सेवन करके आप इस तरह की समस्या से खुद का बचाव आसानी से कर सकते है, तो बात करें होम्योपैथिक दवाई की तो इसमें आपको – एलीयम सीपा, जोकि आँखों में पानी के साथ एलर्जिक राईनाइटिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा मानी जाती है। को डॉक्टरों के द्वता दिया जाता है। 
  • आर्सेनिक ऐल्बम, बढ़ी हुई प्यास के साथ एलर्जिक राईनाइटिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा के रूप में मानी जाती है। 
  • नेट्रम म्यूर, छींकों के साथ एलर्जिक राईनाइटिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। 
  • मर्क सॉल, गर्मी और ठंड के प्रति संवेदनशीलता के साथ एलर्जिक राईनाइटिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा के रूप में लोगों के द्वारा प्रयोग में लाई जाती है 
  • अरुण्डो, खुजली के साथ एलर्जिक राईनाइटिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा मानी जाती है।

उपरोक्त में से किसी भी तरह की दवाई का सेवन करने से पहले कृपया इस दवाई को किस तरह से लेना चाहिए, इसके बारे में जानने के लिए आपको मुंबई में होम्योपैथिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

सुझाव :

हे फीवर की समस्या को हल्के में लेने की भूल कृपया न करें वरना ये हल्की सी बीमारी आगे चल के आपके लिए काफी बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है, वहीं इस तरह की समस्या से बचाव के लिए आपको डॉ. सोनल होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए। 

हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस के दौरान क्या करें और क्या न करें ?

क्या करें :

  • पराग या फफूंदी को अपने घर में आने से रोकने के लिए रात में खिड़कियां बंद रखें।
  • यात्रा के दौरान कार के शीशे बंद रखें।
  • अपने डॉक्टर के द्वारा बताई गई निर्धारित दवाइयां लें। 
  • नियमित रूप से वैक्यूम करें और नरम कपड़े से झाड़ें।
  • जितना भी संभव हो घर के अंदर ही रहें। 

क्या न करें :

  • ज्यादा समय बाहर न बिताएं।
  • धुंए से दुरी बनाकर रखें।
  • कपड़ों को बाहर ना सुखाएं क्योंकि वे परागकणों को पकड़ सकते है।
  • यदि आपको हे फीवर का संदेह है तो स्वयं दवा लें। 
  • अत्यधिक शराब पीने से बचें।

निष्कर्ष :

हे फीवर की समस्या एक तरह का वायरस है और इससे बचाव के लिए आपको जितनी जल्दी हो सकें इसके लक्षणों के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए और जल्द से जल्द डॉक्टर के सम्पर्क में आना चाहिए। और किसी भी तरह के उपाय या दवाई का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

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Homeopathic treatment for Asthma: Safe, gentle, and effective

Asthma: A common health concern

Many people around the globe are diagnosed with Asthma. Moreover, it’s becoming a major concern in terms of disability and death. Individuals between the ages of 2 to 14 even have Asthma problems. In this condition, the airways become narrow and inflamed. Additionally, the tubes get narrow and compress the bronchioles. And this is the reason to be prompt in getting Respiratory Diseases treatment in Maharashtra to ensure proper management. For an asthmatic person, it’s normal to have the symptoms like:

  • Problem breathing
  • Breath shortness
  • Chest tightness

Asthma makes the person sensitive toward several things and makes it much easier to have inflammation and other problems. If your body reacts all differently against foreign substances like chemicals, dust, pollens, food protein, bacteria, viruses, and other allergens, then you should visit one of the best homeopathic doctor in Mumbai. In most cases, there’s a high possibility that asthma symptoms go away with a clinical homeopathic treatment plan.

Don’t ignore the asthma symptoms

Some of the symptoms that you should not ignore if you have Asthma are:

  • Restlessness
  • Nostrils begin to move rapidly
  • Rapid breathing along with chest retraction
  • Acute asthmatic increases the chances of having cyanosis
  • Stomach and chest moving in and out rapidly & deeply

If you have any of these symptoms, don’t delay and visit one of the leading Homeopathic Clinic in Mumbai to make the situation manageable.

Homeopathic Treatment for Asthma

The homeopathic approach is different from other sorts of treatment, which is why it stands out in the clinical evaluation. To understand how homeopathy treatment works for Asthma, here are some points which you need to consider:

  • Helps in easy management of acute symptoms like breathing problems, fever, cough, and other concerns. Most importantly, it’s a way to have a safe and effective treatment plan.
  • For patients with the acute asthmatic attack, oral medication helps in better mobilization. By doing so, the patients feel relief against chest tightness and won’t let the muscles contract. This is how the patient can breathe like normal.
  • With the regular and on-time intake of homeopathy medication, the problem of wheezing & breast shortness gets addressed.
  • Homeopathy helps to cure respiratory allergy conditions and well-address the necessary trigger factors.
  • With homeopathy treatment, the emphasis is upon addressing the hypersensitivity affecting the immune system. And that’s the way to make the entire immune system work effectively. Most importantly, any sort of adverse reaction will be addressed right away.
  • All homeopathic medications are based upon a natural approach. And this plays a pivotal factor in reducing any sort of side-effect or major concern. With homeopathy, there’s not any kind of drug or toxic product consumption.

Conclusion

So, it’s time that you understand the importance of homeopathic medication. How homeopathic treatment focuses on asthma will help you get the best results.