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Dengue Fever

डेंगू के बुखार में किन भोजन का करें सेवन और किन चीजों से रखें परहेज़ ?

डेंगू बुखार एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण होता है, जो डेंगू वायरस के कारण उत्पन्न होता है | डेंगू बुखार अक्सर आहार संबंधी आवश्यकताओं पर प्रबंधित लगाने में चुनौतियां पेश करता है | हालांकि शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, रिकवरी का समर्थन करने और जटिलताओं को रोकने के लिए उचित पोषण की आवश्यकता होती है | आइये जानते है डेंगू के बुखार के बारे में विस्तारपूर्वक से :-

 

डेंगू बुखार क्या है ? 

 

डेंगू बुखार डेंगू वायरस के कारण होता है, जो मुख्य रूप से एडीज़ मच्छरों और एडीज़ एजिप्टी के काटने से फैलता है | इस संक्रमण के कारण पीड़ित व्यक्ति को तेज़ बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियां में दर्द, मतली, उलटी और त्वचा पर दाने उगने जैसे लक्षण से सामना करना पड़ जाता है | हलाकि डेंगू बुखार के अधिकतर मामले उचित देखभाल से ठीक किया  जा सकता है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर इससे डेंगू रक्तस्रावी या फिर डेंगू शॉक सिंड्रोम बढ़ सकता है | जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है |   

 

डेंगू बुखार गंभीर समस्याओं में से एक है, जिसका सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, ताकि समय रहते डेंगू से पड़ने वाले प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर डेंगू पीड़ित व्यक्ति के लिए आगे जाकर जानलेवा साबित हो सकता है | कुछ खानपान में बदलाव लाने से आप डेंगू पड़ने वाले प्रभावों को कम करने की कोशिश कर सकते है | आइये जानते है, डेंगू के बुखार से पीड़ित मरीज़ को किन भोजन का करना चाहिए सेवन और किस से रखने चाहिए परहेज़ :- 

डेंगू के बुखार में किन भोजन का करना चाहिए सेवन ?    

 

डेंगू बुखार चरण के दौरान, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय रूप से वायरस संक्रमण से लड़ रही होती है | पर्याप्त पोषण तत्व  और जलयोजन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करते है, ऊर्जा के स्तर को बरक़रार रखते है और ऊतकों के मरम्मत में मदद करते है | एक संतुलित और प्रबंधित भोजन आहार से डेंगू के लक्षणों को कम करने में निर्जलीकरण को रोकने में और तीव्रता से ठीक होने में मदद कर सकता है | आइये जानते है डेंगू भुखार से बेहतर रिकवरी के लिए किन भोजन तत्वों को अपने शामिल करना चाहिए :- 

 

  1. हाईड्रेटिंग तरल पदार्थ को करें शामिल :- 

 

  • पानी :- शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए और हाइड्रेट रहने के लिए खूब सारा सादा पानी का सेवन करें | प्रतिदिन 8 से 10 पानी पीना का लक्ष्य रखें | 

 

  • नारियल पानी :- नारियल पानी में प्राकृतिक रूप से इलेक्ट्रोलाइट्स तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो बुखार के दौरान कम हुए तरल पदार्थ और खनिज पदार्थ को पुनः प्राप्त करने में सहायता करता है |  

 

  • हर्बल चाय :- जलयोजन को बढ़ावा देने और हल्का आराम प्रदान करने के लिए अदरक और कैमोमाइल जैसी सुखदायक हर्बल चाय का सेवन करें |   

 

  • साफ़ शोरबा :- सब्ज़ी या फिर चिकन शोरबा, शरीर में जलयोजन, गर्मीं और कोमल पोषण प्रदान करता है |  

 

  1. नरम और पचने वाले फलों का सेवन करें :- 

 

  • केले पोटेशियम से भरपूर और आसानी से पचने वाले फलों में से एक होता है, जो बुखार से लड़ने में मदद करता है | 

 

  • विटामिन और एंज़ाइम्स से भरपूर पपीता पाचन क्रिया के लिए बेहद सहायक होता है | 

 

  • हाइड्रेट और ताज़गी देने के लिए तरबूज़ एक बेहतर विकल्प है | 

 

  • पपीता के पत्ते में पपैन और कैमोपाइपैपैन जैसे एंज़ाइम्स तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर को पाचन क्रिया में मदद करता है और डेंगू के उपचार के लिए शरीर में मौजूद प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करता है |

 

  • अनार थकावट को कम करने में मदद करता है, ये पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों से भरपूर होता है और सामान्य  प्लेटलेट्स काउंट को बनाये रखने में भी मदद करता है | 

 

  1. डेंगू में प्रोटीन के दुबले स्त्रोत यानी मुर्गी, मछली, टोफू और अंडे का सेवन करे |  

 

  1. कम वसा वाले डेयरी पदार्थ जैसे की स्किम्ड दूध, सफ़ेद चीज़ और  स्किम्ड दही का अपने आहार में शामिल करें | 

 

  1. डेंगू बुखार में वनस्पति आधारित दूध जैसे की सोया दूध, बादाम, चावल और जाई के दूध का सेवन करना चाहिए |  

 

डेंगू के बुखार में किन चीज़ों से रखें परहेज़ ? 

 

  • नमकीन और मसालेदार जैसे भोजन का सेवन बिलकुल न करें | 
  • तलीय और चिकने भोजन के सेवन से बचें | 
  • कैफीन और शराब जैसी नशीली पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें | 
  • कच्चे या फिर अधपके भोजन के सेवन से बचना चाहिए | 
  • डेंगू बुखार में गहरे रंग जैसे की लाल और भूरा रंग जैसे भोजन के सेवन से बचना चाहिए |    

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति डेंगू के बुखार से पीड़ित है और एलॉपथी से अपना इलाज करवाने के बावजूद भी आपकी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधर नहीं आ रहा है तो इलाज के लिए आप डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी संस्था अपने मरीज़ों का इलाज होम्योपैथी उपचारों के माध्यम से करता है, जिससे पीड़ित मरीज़ बहुत जल्द अपने समस्याओं से छुटकारा पाने में सफल हो जाता है | 

 

इस बात से तो सभी वाकिफ है की होम्योपैथिक उपचार से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ने के अवसर काफी कम होते है, लेकिन यह समस्या को जड़ से ख़तम करने के सक्षम होता है | इसके साथ ही इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से होम्योपैथिक उपचार के जरिये पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे रही है | इसलिए इलाज के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है | 

 

 

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महिलाओं को होने वाले थायराइड के मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें इलाज ?

असंतुलन हार्मोन, तनाव, आयोडीन की कमी, वायरल संक्रमण आदि के कारण, महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है | उन्ही में से एक है थायराइड की समस्या, जो महिलाओं को कई तरह से प्रभावित कर सकती है | आइये जानते है थायराइड के बारे में विस्तारपूर्वक से :- 

थायराइड क्या है ? 

 

थायराइड मानव के शरीर के गले के आगे एक ग्रंथि होता है, जिसका आकार तितली की तरह होता है | यह ग्रंथि शरीर के अनेकों आवश्यक गतिविधियों को नियंत्रित करने का कार्य करता है, जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना आदि | थायराइड शरीर में दो तरह के हार्मोन के निर्माण करता है, पहला है टी 3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और दूसरा है टी 4 यानी थायरोक्सिन | यह हार्मोन का काम शरीर में दिल की धड़कन, सांस, पाचन तंत्र, शरीर का तापमान, हड्डियां, माँसपेशिययाँ और कोलेस्ट्रॉल को संतुलित बनाये रखने का होता है | 

 

जब यह दोनों हार्मोन अनियमित रुप से बढ़ने लग जाते है, तो इस स्थिति को थायराइड की समस्या कहा जाता है | पुरुषों की तुलना में यह रोग महिलाओं को सबसे अधिक प्रभाविता करती है | इसके साथ एक गर्भवती महिला को भी थायराइड की समस्या प्रभावित कर सकता है | यदि अब बात करें की एक महिला में थायराइड का कितना होना चाहिए तो थायराइड का सामान्य श्रेणी 0. 4-4.0 ml तक होता है, इसलिए हर व्यक्ति के शरीर में इसी श्रेणी के बीच थायराइड का स्तर होना बेहद महत्वपूर्ण होता है | आइये जानते है थायराइड कितने प्रकार के होते है :- 

 

थायराइड कितने प्रकार के होते है ? 

 

शरीर में थायराइड को दो रूप से जाना जाता है, पहला है हाइपरथायरायडिज़्म और दूसरा है हाइपोरथायरायडिज़्म :- 

 

  • हाइपरथायरायडिज़्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब आपके शरीर में मौजूद थायराइड टी 4 यानी थायरोक्सिन का अनियमित रूप से उत्पादन करने लग जाता है | यह थायराइड विकार आपके शरीर में तेज़ी से बढ़ने लग जाता है, जो वजन को तेज़ी से घटाने और अनियमित रूप से दिल की धड़कन को तेज़ी से बढ़ा सकता  है |  

  • हाइपोरथायरायडिज़्म एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें थायराइड शरीर में कुछ आवश्यक हार्मोन का उत्पादन करना बंद कर देता है | जब शरीर में हार्मोन बहुत कम मात्रा में मौजूद होते है तो इससे महिलाएं सबसे अधिक थका हुआ महसूस करती है | इसके अलावा इस स्थिति में शरीर का वजन बढ़ जाता है और ठंडे तापमान को सहन करने की शक्ति कम हो जाती है | 

 

थायराइड के प्रमुख कारण क्या है ? 

 

  • वायरल संक्रमण की चपेट में आना, थायराइड की समस्या हो सकती है | 
  • जो महिला को अधिक स्ट्रेस और तनाव में रहती है, उन्हें थायराइड होने का सबसे अधिक खतरा रहता है | 
  • एक शिशु को जन्म देने के बाद भी कई महिलाओं में थायराइड की समस्या पैसा होना का खतरा रहता है | 
  • जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है, तो इससे भी थायराइड के बढ़ना का खतरा रहता है | 
  • शरीर में हुए हार्मोनल असंतुलन होने के कारण भी थायराइड की समस्या उत्पन्न हो सकता है | 

थायराइड के प्रमुख लक्षण कौन-से है ?   

 

महिलाओं में थायराइड होने के प्रमुख लक्षणों में से एक है गले में मौजूद ग्रंथि में सूजन आना, हालाँकि यह ज़रूरी नहीं होता की प्रत्येक महिलाओं में यह लक्षण दिखाई दे, कुछ अन्य लक्षण भी होते है, जैसे की :- 

 

जब महिलाओं में हाइपरथायरायडिज़्म का स्तर बढ़ता है, तो इससे निम्नलिखित लक्षण दिखायी देते है :- 

 

  • वजन का कम होना 
  • चिड़चिड़ापन होना 
  • दस्त 
  • गर्मी को बर्दाश्त न कर पाना 
  • आसानी से पसीना आना 
  • हाथ का कांपना 
  • आँखों में खुजली होना 

 

जब महिलाओं में हाइपोरथायरायडिज़्म का स्तर बढ़ता है, तो इससे निम्नलिखित लक्षण दिखायी देते है :- 

 

  • वजन का बढ़ना 
  • यादाश्त कमज़ोर होनी 
  • आवाज़ में कर्कश होना 
  • कमज़ोरी महसूस होनी 
  • बालों में सुर्ख या मोटापा बढ़ना 
  • त्वचा का शुष्क होना 
  • कब्ज़ की समस्या होना 
  • मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहना 
  • दिल की धड़कन का धीमी होना आदि 

 

थायराइड से कैसे पाएं निदान ? 

 

महिलाओं में थायराइड का इलाज उनके उम्र और स्थिति पर निर्भर करता है | थायराइड से निदान कई तरीकों से किया जा सकता है, जैसे की दवाएं का सेवन करके, रेडियोएक्टिव, आयोडीन उपचार, लेवोथायरोक्सिन और सर्जरी आदि शामिल है | लेकिन आपको बता दें, होम्योपैथिक उपचार एकलौता ऐसा इलाज है, जिससे माध्यम से आप बिना संघर्ष किये थायराइड का इलाज कर सकते है | 

  

यदि आप ऐसे ही किसी परिस्थिति से गुजर रहे है और सटीकता से इलाज करवाना चाहते है तो इसमें डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |