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एलोपेसिया एरीटा के लिए सबसे बढ़िया 6 होम्योपैथिक उपचार!

दरअसल एलोपेसिया एरीटा का मतलब है बालों का पैच में झड़ना, आम तौर पर एलोपेसिया एरियाटा की समस्या में व्यक्ति के सिर या अन्य जगहों जैसे भौंहों, दाढ़ी आदि से गोलाकार या अंडाकार पैच में बाल झड़ने लगते हैं। हालांकि, यह समस्या बालों से ढके हुए शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें की जब दाढ़ी में एलोपेसिया एरीटा समस्या दिखाई देती है तो उसको एलोपेसिया एरीटा बारबे के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर सिर या शरीर के किसी भी अन्य जगह पर गंजे पैच पांच रुपये या एक रुपये के सिक्के के आकार के दिखाई पड़ते हैं। इस समस्या दौरान कुछ लोगों में उनके पुरे बालों का झड़ना भी हो सकता है, हालांकि यह आम नहीं है। एलोपेसिया की समस्या सभी उम्र, नस्लों और लिंगों के लोगों को समान रूप से प्रभावित कर सकती है। आम तौर पर सिर, दाढ़ी और भौंहों पर गंजे पैच दिखाई देना व्यक्ति को बहुत परेशान कर देने वाला हो सकता है। हालांकि एलोपेसिया एरियाटा किसी अन्य तरीके से रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है। जब एक व्यक्ति के बाल झड़ने लग जाते हैं, तो ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो खुजली की शिकायत करते हैं। इससे व्यक्ति को कोई शारीरिक समस्या नहीं होती है। 

होम्योपैथिक उपचार क्या है?

दरअसल होम्योपैथी एक बहुत ही उन्नत विज्ञान है जो एलोपेसिया एरीटा के साथ- साथ ऑटोइम्यून मूल की बीमारियों का भी इलाज करता है। आपको बता दें कि शुरुआत में होम्योपैथिक दवाएँ, किसी भी गंजे धब्बों के आकार को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं और इसके साथ ही नए गंजे धब्बों को बनने से रोकती हैं। इसके इलावा होम्योपैथी बालों के पुनः विकास को बढ़ावा देने में काफ़ी मदद करती हैं। एलोपेसिया एरीटा समस्या का जब एक बार होम्योपैथी से इलाज हो जाता है, तो व्यक्ति को दोबारा एलोपेसिया एरीटा जैसी समस्या होने कि संभावना बहुत ज़ियादा कम हो जाती है। 

हालांकि कुछ लोग पारंपरिक तरीकों का प्रयोग करते हैं, और एलोपेसिया एरीटा के इलाज के लिए विशेष रूप से इम्यूनो सप्रेसेंट, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का उपयोग करते हैं। जिनको आम तौर पर या तो शीर्ष पर लगाया जाता है, स्कैल्प में इंजेक्ट किया जाता है या फिर मुंह के माध्यम से लिया जाता है। यह उपचार आमतौर पर व्यक्ति की इम्यून सिस्टम को दबाते हैं, अपने दुष्प्रभावों को दिखाते हैं और तो और नए गंजे धब्बों को दिखने से रोक नहीं पाते हैं। इसलिए होम्योपैथी आपके लिए एक बहुत ही सुरक्षित वैकल्पिक उपचार हो सकता है, जिसको एक मीठी गोलियों के रूप में दिया जाता है। यह दवा खाने में आसान और बहुत ज़्यादा प्रभावी होती हैं। 

होम्योपैथिक उपचार इम्यून सिस्टम में अंदरूनी गड़बड़ियों को दबाने की बजाय उन्हें ठीक करने के लिए अंदरूनी रूप से काम करती है। आमतौर पर होम्योपैथिक दवा का एक बड़ा लाभ यह है कि यह दुष्प्रभावों से मुक्त होते हैं।

क्या होम्योपैथी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाती है?

हाँ, होम्योपैथी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाती है। दरअसल एलोपेसिया एरीटा के लिए होम्योपैथिक दवाएँ आमतौर पर बालों के रोमों को नष्ट करने वाली अति सक्रिय इम्यून सिस्टम को अनुकूलित करके मदद करती हैं। यह उपचार काफ़ी हद तक सफ़ल साबित होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के बालों को दुबारा से वापस बढ़ने में मदद करता है। और बार-बार व्यक्ति के गंजे धब्बे को बनने से रोकता है।

होम्योपैथी का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता

दरअसल होम्योपैथी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थों से बनाई गई दवाओं का इस्तेमाल करती है। आमतौर पर इसमें कोई भी हानिकारक रसायन नहीं होता है। इसकी वजह से ही इसका उपयोग करना बहुत सुरक्षित होता है, और तो और इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। आपको बता दें कि होम्योपैथी का उपयोग सभी आयु वर्ग के लोग बिना किसी चिंता के आराम से कर सकते हैं।

एलोपेसिया एरीटा के लिए होम्योपैथिक दवाएं

  1. विंका माइनर – एलोपेसिया एरीटा की प्रवृत्ति जब दोबारा उगे बाल सफेद होते हैं। 

दरअसल यह दवा ‘लेसर पेरीविंकल’ नामक पौधे से तैयार की जाती है। यह विंका माइनर एलोपेसिया एरियाटा के लिए एक और उपयोगी होम्योपैथिक दवा है। आमतौर पर यह एलोपेसिया एरीटा के उन मामलों में अच्छी तरह से काम करता है, जहां बालों के झड़ने की प्रवृत्ति होती है, और जो बाद में सफेद बालों से बदल जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति की खोपड़ी पर खुजली और हिंसक खरोंच भी हो सकती है। 

विंका माइनर का उपयोग कब करें?

विंका माइनर का उपयोग ज्यादातर उन मामलों में किया जाता है, जहां व्यक्ति के जगह-जगह से बाल झड़ने और उसकी जगह पर दोबारा सफेद बाल उगने की प्रवृत्ति होती है।

विंका माइनर का उपयोग कैसे किया जाता है। 

आमतौर पर इस दवा को 30C पोटेंसी में दिन में दो बार ले सकते हैं। यह दवा दो तरीकों से काम करती है, पहला यह जगह-जगह से बाल झड़ने की समस्या का इलाज करती है और दूसरा यह दोबारा उगने वाले बालों को सफेद होने से रोकने में मदद करती है। 

  1. फ्लोरिक एसिड –एलोपेसिया एरीटा के लिए शीर्ष ग्रेड होम्योपैथिक दवा। 

आपको बता दें कि एलोपेसिया एरियाटा के लिए फ्लोरिक एसिड सबसे अच्छे होम्योपैथिक उपचारों में से एक है। आमतौर पर यह सिर के किसी भी हिस्से में बाल झड़ने की समस्या को दूर करते हैं। यह व्यक्ति के गंजे पैच में बालों के दोबारा उगने में हैरानीजनक रूप से मदद करता है। जिन लोगों को इसकी जरूरत होती है उसके सिर में खुजली हो सकती है और सिर की त्वचा छूने के प्रति संवेदनशील भी हो सकती है। 

फ्लोरिक एसिड का उपयोग कब किया जाता है?

दरअसल इस दवा का इस्तेमाल एलोपेसिया एरीटा के मामले में हो सकता है। जिसमें व्यक्ति के सिर पर कहीं भी गंजे धब्बे हो, जो खुजली-दार और संवेदनशील हो।

फ्लोरिक एसिड का उपयोग कैसे किया जाता है?

हालांकि शुरुआत में फ्लोरिक एसिड का इस्तेमाल 30C दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं। जब आपके बाल दोबारा से नए उगने लगे, तो इस की खुराक को कम कर देना चाहिये। 

  1. फास्फोरस – सिर के आगे या किनारे से बाल झड़ने के साथ। 

वैसे तो सिर के किसी भी हिस्से में बाल झड़ने पर फास्फोरस का इस्तेमाल किया जा सकता है, पर यह दवा सबसे ज्यादा तब कारगर होती है, जब व्यक्ति के सामने से या फिर साइड से बाल झड़ रहे हों। जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उन लोगों के सिर पर बहुत ज़्यादा पसीना आने की संभावना होती है। आमतौर पर सिर पर गर्मी भी महसूस हो सकती है, सिर में डेंड्रफ भी हो सकती है। 

फास्फोरस का उपयोग कब किया जाता है?

दरअसल फास्फोरस का इस्तेमाल मुख्य रूप से तब किया जाता है जब व्यक्ति के सिर के सामने से या फिर बगल से बाल झड़ने लग जाते हैं। 

फास्फोरस का उपयोग कैसे किया जाता है?

वैसे तो इसको कम और ज्यादा किसी भी शक्ति में लिया जा सकता है, पर इसकी सबसे ज्यादा अनुशंसित 30C शक्ति है। आमतौर पर इसके अच्छे नतीजों को प्राप्त करने के लिए आप फास्फोरस 30C को दिन में दो बार ले सकते हैं। 

कैल्केरिया कार्ब – पसीने से सिर के बाल झड़ने के लिए

कैल्केरिया कार्ब दवा का उपयोग उन मामलों में किया जाता है, जहां पर व्यक्ति के पैची बाल झड़ने के साथ-साथ पसीना भी बढ़ जाता है। आमतौर पर व्यक्ति को अपने सिर पर ठंडक का अहसास भी हो सकता है और उसके सिर पर पर खुजली भी हो सकती है। 

कैल्केरिया कार्ब का उपयोग कब किया जाता है?

आम तौर पर कैल्केरिया कार्ब का इस्तेमाल उन लोगों के लिए अनुशंसित होता है, जिन लोगों के सिर से जगह-जगह से बाल झड़ रहे होते हैं और उनको पसीना बहुत ज्यादा आता हो। 

कैल्केरिया कार्ब का उपयोग कैसे किया जाता है?

इसका उपयोग आमतौर पर शिकायत के प्रकार के आधार पर कम से लेकर ज़्यादा तक की अलग अलग शक्तियों में किया जा सकता है, पर इसका सबसे आम उपयोग 30C शक्ति का है। इसके सबसे अच्छे परिणामों के लिए आप कैल्केरिया कार्ब 30C को सुबह एक बार और शाम को एक बार ले सकते हैं। 

  1. लाइकोपोडियम – जब सिर की त्वचा के ऊपरी हिस्से (वर्टेक्स) से बाल झड़ने लगते हैं। 

आमतौर पर लाइकोपोडियम एक प्राकृतिक उपचार है, जिस को पौधे क्लब मॉस से प्राप्त किया जाता है। दरअसल यह विशेष रूप से खोपड़ी के शीर्ष पर होने वाले गंजे धब्बों से उबरने में बहुत अच्छा काम करता है। इस दौरान व्यक्ति को अपनी खोपड़ी पर जलन और जली का अहसास होता है। इसके साथ ही लाइकोपोडियम समय से पहले बालों के सफेद होने के इलाज के लिए, एक बहुत ही प्रमुख दवा है।

लाइकोपोडियम का उपयोग कब किया जा सकता है?

लाइकोपोडियम दवा के इस्तेमाल पर तब ध्यान दिया जा सकता है जब व्यक्ति के सिर के ऊपरी भाग पर बाल झड़ने के निशान दिखाई देने लग जाते हैं 

लाइकोपोडियम का उपयोग कैसे  किया जाता है?

लाइकोपोडियम का इस्तेमाल कम से लेकर ज्यादा तक इसकी अलग अलग शक्तियों में से, इसको दिन में दो बार 30C शक्ति से शुरू करना सबसे अच्छा होता है। इसके बाद ही इसकी ज़्यादा शक्तियों पर ध्यान दिआ जा सकता है, पर केवल होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेने के बाद। 

  1. हेपर सल्फ – छूने के प्रति खोपड़ी की संवेदनशीलता के साथ

असल में हेपर सल्फ एक लाभकारी दवा है। यह दवा बालों के झड़ने के साथ-साथ खोपड़ी को छूने के प्रति संवेदनशीलता के मामलों में मदद करती है। व्यक्ति की खोपड़ी पर खुजली और जलन भी हो सकती है और खोपड़ी पर पसीना भी बढ़ सकता है, जिससे खोपड़ी से खट्टी गंध आती है। 

हेपर सल्फ का उपयोग कब किया जाता है?

आमतौर पर हेपर सल्फ की दवा को उन मामलों में चुना जाता है, जहां व्यक्ति के पैच के रूप में बाल झड़ते हैं, और साथ के साथ सिर की त्वचा छूने के प्रति संवेदनशील हो जाती है।

हेपर सल्फ का उपयोग कैसे किया जाता है?

दरअसल हेपर सल्फ की दवा 30C शक्ति में अच्छी तरह से काम करती है। इस दवा का इस्तेमाल आमतौर पर दिन में एक से दो बार तक सीमित होता है। आमतौर पर तब तक उच्च शक्ति की सिफारिश नहीं की जाती, जब तक कोई डॉक्टर आपको ऐसा करने के लिए नहीं कहता। 

एलोपेसिया एरीटा के संकेत और लक्षण

  1. अंडाकार या गोल आकार के गंजे धब्बे दिखाई देना। 
  2. व्यक्ति के बालों के रोमों का ढीला हो जाना। 
  3. ठंड के मौसम में बालों का बहुत ज्यादा झड़ना। 
  4. सिर के एक स्थान पर बाल उग आते हैं पर दूसरे स्थान पर बाल झड़ जाते हैं। 
  5. खोपड़ी की एक तरफ दूसरे की तुलना में बहुत ज़्यादा पैच का होना। 
  6. हाथों और पैरों के नाखूनों का पतला हो जाना और उनकी चमक खत्म होना। 

एलोपेसिया एरीटा के प्रकार:

एलोपेसिया एरीटा के आम गोलाकार या फिर अंडाकार आकार के पैच के अलावा, एलोपेसिया एरीटा के कुछ दुर्लभ प्रकार भी हैं :

  1. एलोपेसिया एरीटा टोटलिस : इसमें व्यक्ति के पूरे सिर से बाल झड़ जाते हैं। 
  2. एलोपेसिया एरीटा यूनिवर्सलिस : एलोपेसिया यूनिवर्सलिस में व्यक्ति के पूरे शरीर से बाल झड़ जाते हैं जिसमें, सिर, भौहें, पलकें, दाढ़ी, बगल और गुप्तांग शामिल हैं।
  3. ओफियासिस एलोपेसिया एरीटा:  ओफियासिस एलोपेसिया में व्यक्ति के टेम्पोरल क्षेत्र (साइड्स) और ओसीसीपट क्षेत्र (सिर के पीछे) से बैंड जैसा बालों का झड़ना शामिल है। 
  4. डिफ्यूज एलोपेसिया एरीटा : डिफ्यूज एलोपेसिया में लोगों के पैची बालों के झड़ने की बजाय अचानक बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। 

एलोपेसिया एरीटा के कारण और ट्रिगर कारक

एलोपेसिया एरीटा के कारण:

1.आनुवंशिक कारक: 

आपको बता दें कि कई जीन एलोपेसिया एरीटा से जुड़े हुए हैं जो शरीर के इम्यून प्रतिक्रिया में भाग लेते हैं। ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (HLA) से संबंधित जीन इम्यून प्रतिक्रिया को संशोधित करने और आमतौर पर बालों के रोम को निशाना बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। इस विकार से पीड़ित व्यक्तियों में अक्सर देखा जाता है कि एलोपेसिया एरीटा के अलावा कोई और ऑटोइम्यून विकार होता है जो उनके परिवारों में नहीं होता है।

  1. रसायन : 

आमतौर पर सल्फर, ईथर और पैराबेन के आधारित कॉस्मेटिक जैसे कि, शैंपू, कंडीशनर और सीरम आदि चीजों का नियमित उपयोग  बालों के रोमों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे लोगों के बाल झड़ने लगते हैं। 

  1. यांत्रिक : 

दरअसल बालों को लम्बे समय तक कसकर बांधने से व्यक्ति की हेयरलाइन पीछे की ओर खिसक जाती है, जिससे ट्रैक्शन एलोपेसिया हो जाता है। 

एलोपेसिया एरीटा के ट्रिगर कारक :

की गई शोध के अनुसार, आमतौर पर एलोपेसिया एरीटा वाले व्यक्तियों को किसी और ऑटोइम्यून बीमारी का इतिहास भी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर विटिलिगो – मेलेनिन वर्णक की कमी की वजह से व्यक्ति की त्वचा पर सफेद धब्बे; थायरॉयडिटिस- थायरॉयड ग्रंथि की सूजन या फिर परिवार का कोई और सदस्य किसी ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हो सकता है। आमतौर पर वायरल संक्रमण, टीके और व्यक्ति का शारीरिक तनाव जैसे कुछ कारक एलोपेसिया एरीटा को ट्रिगर कर सकते हैं। 

एलोपेसिया एरीटा समस्या कितनी आम है और क्या इससे स्थायी रूप से बाल झड़ते हैं?

आमतौर पर एलोपेसिया एरियाटा की समस्या काफी आम है। यह समस्या व्यक्ति को किसी भी समय हो सकती है, लगभग एक प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित होती है। दरअसल एलोपेसिया एरियाटा में बालों का झड़ना स्थायी नहीं होता है। आमतौर पर एलोपेसिया एरियाटा एक उल्टा बाल झड़ना है, क्योंकि बालों की जड़ को घेरने वाली संरचना(बालों के रोम) को कोई नुक्सान नहीं होता है। 

एलोपेसिया एरीटा का निदान कैसे करें?

आमतौर पर डॉक्टर मरीज़ के बालों के झड़ने और गंजे धब्बों के पैटर्न को देखकर एलोपेसिया एरियाटा के मामलों का तुरंत निदान कर सकते हैं। दरअसल एलोपेसिया एरीटा के बहुत ही दुर्लभ मामलों में, बालों या खोपड़ी की बायोप्सी के नमूने मूल्यांकन के लिए प्रयोगशाला में भेजे जा सकते हैं। इसके निदान की पुष्टि ट्राइकोस्कोपी के द्वारा भी की जा सकती है, जो पीले और काले बिंदु (रोम पर नष्ट हुए बाल) दिखाती है। इसके अलावा कभी-कभी और ऑटोइम्यून बीमारियों की जांच करने के लिए खून टेस्ट की सिफारिश की जा सकती है।

निष्कर्ष : एलोपेसिया एरीटा की समस्या लोगों में काफी आम है। यह समस्या बालों से ढके हुए शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। एलोपेसिया एरीटा जैसी कोई भी समस्या होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये, इससे आपको बेहतर इलाज मिल सकता है। अगर आपको भी बालों से जुड़ी एलोपेसिया एरीटा जैसी कोई समस्या है और आप इस समस्या से काफी परेशान हैं और आप इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो आप आज ही डॉ. सोनल होम्योपैथिक क्लिनिक में जाके अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण, कारण और कैसे पाएं निदान ?

डैंड्रफ एक सामान्य विकार है, जिसकी वजह से सिर की त्वचा पपड़ीदार बनने लग जाती है | रुसी की वजह से सिर में काफी खुजली होती है और बाल झड़ने की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है | यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब सिर के त्वचा की कोशिकाओं काफी बढ़ जाती है | स्कैल्प यानी सिर की त्वचा में सिबेशियस ग्रंथि मौजूद होती है, जो स्कैल्प को नरम और मुलायम रखने के लिए सीबम का स्त्राव करती है | सीबम के अधिक मात्रा में उत्पादन होने के कारण यह त्वचा को तैलीय कर देते है, जिसके चलते स्कैल्प पर खुजली होने लग जाती है | सिर की त्वचा में आये इस तरह के बदलाव से कई तरह के त्वचा से जुड़े रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें से एक है डैंड्रफ | 

 

आमतौर पर यौवनावस्था के बाद ही बहुत से लोगों को डैंड्रफ की समस्या होने लग जाता है और जिसके मामले सबसे अधिक पुरुषों में पाए जाते है | सिबोरिया होने के लक्षणों में भी रूसी हो सकती है | सिबोरिया होने से त्वचा लाल हो जाती है और उनमें काफी जलन होने लग जाता है | डैंड्रफ के इलाज के लिए होम्योपैथी में कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है | यदि आप में से कोई भी व्यक्ति डैंड्रफ की समस्या से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉ सोनल हीलिंग  विद होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | आइये जानते है डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण 

डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण निम्नलिखित है :- 

 

  • सिर की त्वचा यानी स्कैल्प और बालों का सफ़ेद या फिर भूरे रंग की परत होना 
  • स्कैल्प पर बार-बार खुजली होना 
  • स्कैल्प में सूखापन होना 
  • बालों का लगातार झड़ना 
  • सिर की त्वचा से सफ़ेद रंग के पाउडर की तरह गिरना 
  • सिर की त्वचा में लाल और चिकने धब्बे का दिखाई देना 
  • स्कैल्प में तनाव होने का महसूस होना 
  • स्कैल्प, बालों, भौहों, दाढ़ी, मूछों पर या फिर अपने कंधों और पीठ की ऊपरी त्वचा में गुच्छों का दिखाई देना   आदि | 

 

डैंड्रफ होने के मुख्य कारण 

सिर में डैंड्रफ कई कारणों से उत्पन्न हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

यीस्ट मालासेजिया 

यह एक फंगस की तरह होता है, जो अधिकतर लोगों के सिर में ही होता है | यह सीबम पर ही पनपता है और फैटी एसिड से बनता है, जिससे स्कैल्प में लगातार खुजली होने लग जाती है |   

 

त्वचा की कोशिकाएं 

त्वचा हमारी पुरानी कोशिकाओं के बहाने का काम करती है, जब यह कोशिकाएं सिर और बालों से निकलने वाले तेल से जाकर मिलकर जम जाती है, तो इससे रूसी होने लग जाती है | 

 

शुष्क त्वचा का होना 

सुखी त्वचा होने के कारण भी रूसी होने की समस्या हो सकती है | 

 

अनियमित बालों की देखभाल करना 

बालों का गलत तरीकों से ख्याल रखने से जैसे की गलत दिनचर्या में बालों को धोना, ज्यादा या फिर कम मात्रा में शैम्पू का उपयोग करना और बालों को बार-बार न धोना, रूसी होने के मुख्य कारण बन सकते है |      

 

थायराइड की समस्या का होना 

थायराइड की समस्या होने से भी सिर की त्वचा काफी रूखी हो जाती है, जिससे रूसी हो सकती है | 

 

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का ख़राब होना 

अत्यधिक तनाव में रहने से और ख़राब मानसिक स्वास्थ्य भी रुसी होने का कारण बन सकते है | 

 

रूसी से छुटकारा पाने के लिए आप कटोकोनाज़ोल, सेलेनियम सल्फाइड या फिर जिंक युक्त शैम्पू का इस्तेमाल कर सकते है, पर ध्यान रहे किसी तरह के नुस्खे को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श कर लें | आइये जानते है होम्योपैथी में डैंड्रफ का कैसे किया जाता है इलाज :- 

 

होम्योपैथी में कैसे किया जाता है डैंड्रफ का इलाज ? 

होम्योपैथी उपचार केवल एक ऐसा उपचार है, जो व्यक्ति को सामान्य रूप से ठीक कर देता है | आसान भाषा में बात करे तो होम्योपैथिक उपचार पूरे रोगी पर और उनकी विक्षिप्त स्थिति पर ध्यान अधिक केंद्रित करता है | होम्योपैथिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले रोगी के स्थिति की अच्छे से जांच-पड़ताल की जाती है, इसके बाद ही स्थिति अनुसार होमियोपैथ डॉक्टर दवाओं को निर्धारित करता है, जिसमें रोगी के मेडिकल इस्तिहास, शरीरिक और मानसिक संरचना शामिल होते है | 

यदि आप में से कोई भी डैंड्रफ की समस्या से परेशान है और कई संस्थानों या फिर घरेलू उपचार करने के बाद भी आपकी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो डैंड्रफ होम्योपैथी इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन मुंबई के बेहतरीन होमियोपैथ में से एक है, जो अपने मरीज़ों पिछले 18 सालों से होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और इलाज के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से बात कर सकते है |        

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मिस वैशाली ने बताया होम्योपैथिक की मदद से कैसे मिली उनके बेटे को जुकाम और बुखार की समस्या से मुक्ति

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से एक मरीज़ ने यह बताया की उनका नाम वैशाली है और उनके बेटे का नाम गिरीश है | उनके बेटा को काफी समय से जुखाम और भुखार की समस्या से गुजर रहा था | जब उनका बेटा 4 साल का था, तब से ही उसे मीठे पदार्थ और तले हुए पदार्थ को खाने में परेशानी हो रही थी | जब भी बर्रिश पड़ती थी उनके बेटे का काफी ठंड लगने लग जाती थी | उन्होंने अपने बेटे का कई एलॉपथी हॉस्पिटल में इलाज करवाये, लेकिन इलाज के बाद भी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधर नहीं आ रहा था | उनके बेटे ने जुखाम और भुखार से संबंधित कई तरह के एलॉपथी दवाओं का भी सेवन भी किया, लेकिन समस्या ने सुधार आने के बजाये उनके बेटे को इन दवाओं से होने दुष्प्रभाव से सामना कर पड़ रहा था | 

फिर किसी ने उन्हें डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी में जाकर अपने बेटे का इलाज कराने का सुझाव दिया और अगले दिन ही वह इस संस्था में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंच गए | इस संस्था में उनकी मुलाकात डॉक्टर सोनल जैन से हुई, जिन्होंने उनके बेटे की सस्याओं का परीक्षण किया और कुछ होम्योपैथी दवाएं निर्धारित कर दिया | दवाइयों को सेवन करते हुए अब 2 महीने हो गए है और उनके बेटे की स्थिति में काफी सुधार भी आने लग गया है | इसके साथ ही उनके बेटे को मीठे खाने में किसी भी की परेशानी नहीं हो रही और उनके बेटे को अब अपने नेबुलाइज़र रखने की ज़रुरत नहीं पड़ती | इसलिए इलाज के लिए वह डॉक्टर सोनल जैन का तेह दिल से शुक्रिया करना चाहते है | 

इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक दवाओं में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का होम्योपैथिक उपचार के माध्यम से स्थायी रूप से इलाज  कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नमक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें इसके अलावा आप वेबसाइट में दिए गए नंबरों से भी सीधा संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस विडियो को पूरा देखें | आप चाहे तो डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |

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मिस रिद्धि कांबले ने बताया होम्योपैथी दवाओं ने किया उनकी समस्याओं का सटीक इलाज

डॉ. सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी संस्था के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में सफलतापूवर्क मिले इलाज के बारे में एक मरीज़ ने यह बताया की उनका नाम रिद्धि कांबले है और वह काफी समय से पाइल्स, पीसीओडी और वजहें घटने की समस्या से गुजर रहा थे | इंटरनेट में सर्चिंग के दौरान ही उन्हें डॉ. सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी संस्था के बारे में पता लगा था और उनके वेबसाइट में मौजूद समीक्षा को पढ़कर ही उन्होंने इस संस्था में अपना करवाने का निर्णय लिया था | वह इस संस्था में इलाज के लिए 3 महीने पहले आयी थी | 

इस संस्था में पहुंचने के बाद उनकी मुलाकात डॉक्टर सोनल जैन से हुई | डॉक्टर ने विनम्रता से उनकी परेशानी को समझा और जाँच-पड़ताल के बाद उन्हें 3 महीने के लिए कुछ होम्योपैथी दवाएं निर्धारित कर दी | उन्होंने इन दवाओं को निर्धारित किये गए समय पर निरतं सेवन किया था, जिसके परिणाम स्वरुप अब उन्हें पाइल्स से जुडी कोई भी परेशानी नहीं है और इसके साथ ही जब वह इस संस्था में इलाज के लिए आये थे तब उनके शरीर में सिर्फ 7.5 ग्राम खून ही मौजूद था, लेकिन इलाज के बाद अब यह बढ़कर 11.5 ग्राम हो गया है | उन्हें पीसीओडी की भी समस्या थी, जिस वजह से उन्हें पीरियड्स इरेगुलर आते थे, लेकिन अब उस समस्या से भी उन्होंने छुटकारा पा लिया है | 

इसलिए वह इलाज के लिए डॉक्टर सोनल जैन का शुक्रिया करना चाहते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथी दवाओं में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ. सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अपॉइनमेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी सीधा संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकरी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | आप चाहे तो डॉ. सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक मुंबई नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |

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फैटी लीवर क्या है ? जाने होम्योपैथिक उपचार से कैसे किया जा सकता है फैटी लीवर का इलाज

डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल मे पोस्ट एक यूट्यूब शोर्टस के माध्यम से यह बताया कि हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद लीवर शरीर का सबसे बड़ा अंग होता है, जो भोजन को पचाने, शरीर के ऊर्जा को जमा करने और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है | यदि बात करें तो फैटी लीवर की यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमे अनियमित रूप से वसा लीवर में जमा होने लग जाते है | दरअसल लीवर में मौजूद वसा की मात्रा यदि बहुत कम है तो यह सामन्य-सी बात होती है ओर इससे किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर लीवर में मौजूद वसा इसके वजन से 5 प्रतिशत अधिक है तो इस समस्या को फैटी लीवर या फिर वसायुक्त कहा जाता है | 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह भी बताया की फैटी लीवर दो प्रकार के होते है, पहला है नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर और दूसरा है अल्कोहलिक फैटी लीवर | आइये जानते है दोनों में क्या अंतर है :- 

 

  • नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर :- यह समस्या भी दो प्रकार के होते है पहला जो साधारण फैटी लीवर की समस्या होती है, उसमे बिना लीवर की कोशिकाओं में सूजन के वसा एकत्रित होने लग जाते है, साथ ही इसकी जटिलताओं का जोखिम खतरा भी बहुत कम होता है और जो दूसरा नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर होता है उसे स्टीटोहेपेटाइटिस के नाम से से भी जाना जाता है, जो लीवर की कोशिकाएं में सूजन और लीवर को अन्य नुकसान भी पहुंचाने लग जाता है |

 

  • अल्कोहलिक फैटी लीवर :- जो व्यक्ति शराब और धूम्रपान जैसे नशीली पदार्थों का सेवन सबसे अधिक करता है वह  अल्कोहलिक फैटी लीवर का शिकार हो जाता है | 

 

यदि आप भी फैटी लिवर जैसी समस्या से गुज़र रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिट है,  जो होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग कर इस समस्या को कम करने में आपकी पूरी तरह से मदद कर सकते है | इसलिए डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी की वेबसाइट पर जाएं  और आज ही अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें या फिर वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते  है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी पूरी जानकारी पर वीडियो बनाकर पोस्ट की हुई है |

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Allergy Hindi

साइनोसाइटिस क्या होता है और जाने कैसे किया जाता है होम्योपैथिक उपचार से इस समस्या का इलाज ?

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब वीडियो में यह बताया की साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या होती है जिसमें आपके साइनस के ऊतकों में सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और साइनस के स्थान पर म्यूकस और कीटाणु भर जाते है | जिस वजह से साइनस टिशू सर्दी, एलर्जी से संक्रमित होकर सूज जाती है, जो साइनस के प्रवेश को बंद कर उस मार्ग पर म्यूकस को फंसा देती है | उस मार्ग में म्यूकस का जमा होने के कारण सिरदर्द और दबाव जैसे लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है | 

 

आसान भाषा में बात करें तो साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़त व्यक्ति के गले और नाक में सूजन और इन्फेक्शन हो जाता है | हलाकि इलाज करने के बाद भी गले और नाक का इन्फेक्शन तब तक ठीक नहीं होता, जब तक यह साफ़ नहीं हो जाता | आइये जानते है साइनोसाइटिस के मुख्य लक्षण कौन-कौन से होते है :- 

 

  • नाक का बंद होना 
  • गले और नाक में जलन होना
  • चेहरे पर दबाव पड़ना और दर्द होना 
  • गंध के प्रति कम अनुभूति होना 

 

यदि बात करें कि साइनस क्या होता है तो यह आपके सिर में मौजूद चार युग्मित गुहाएँ होती है, जो संकीर्ण मार्ग को आपस में जोड़ती है | आमतौर पर साइनस का कार्य बलगम बनाना होता है, जो नाक के मार्ग से बाहर की तरफ निकलता है | इसके साथ ही जल निकासी नाक को साफ़ और कीटाणु जैसे रोगजनकों से मुक्त रखने में मदद भी करती है | 

 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह भी बताया की साइनोसाइटिस से पीड़ित व्यक्ति कई बार इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एलॉपथी दवाओं का सहारा ले लेते है, जो समस्या को कम करने के बजाये, इसे बढ़ावा देने का काम करती है | लेकिन घबराएं नहीं साइनोसाइटिस का होम्योपैथिक उपचार की मदद से आसानी से इलाज किया जा सकता है, क्योंकि होम्योपैथी दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ता और साथ ही यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में मदद भी करते है | 

 

यदि आप ही साइनोसाइटिस की समस्या से पीड़ित हो तो इलाज के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके आलावा आप डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है |    

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एक्जिमा क्या होता है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ? जाने होम्योपैथी से कैसे करें इसका इलाज

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब शॉर्ट्स में यह बताया कि आज के समय में सबसे आम होने वाली समस्या में से एक है एक्जिमा, एक्जिमा एक किस्म की ऐसी समस्या है जिससे सामान्य-सी  दिखने वाली स्थिति भी त्वचा में लाल और सूजन जैसे विकार उतपन्न हो जाते है | त्वचा में कभी यह सुखी पपड़ी की तरह भी दिख सकता है या फिर कभी यह धब्बों के तरह भी दिख सकता है और कई बार गंभीर स्थिति होने पर यह छालों में परिवर्तित भी हो सकता है |   

 

अगर बात करें की एक्जिमा क्या होती है तो यह त्वचा से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को अपनी त्वचा  पर खुजली, लालिमा, सूजन और सूखापन जैसी समस्या होने लग जाती है | यह समस्या अक्सर शरीर की त्वचा पर पैच के रूप में दिखाई देने लग जाते है, जो पपड़ीदार और रिसने वाले तरल पदार्थ में परिवर्तित हो जाते है | हालाँकि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति काफी असुविधाजनक हो जाता है, लेकिन एक्जिमा किसी भी तरह का संक्रामक नहीं होता है | यह एक तरह की चलनसार स्थिति होती है, जिसे होम्योपैथी की दवाओं से इसे प्रंबंधित और इसके लक्षण को कम किया जा सकता है | 

आइये जानते है एक्जिमा के मुख्य लक्षण कौन से :-    

 

एक्जिमा के प्रमुख लक्षण 

 

  • त्वचा में काफी खुजली होना  
  • सुखी त्वचा या फिर लालिमा होना 
  • खारिश के बाद त्वचा का सूज जाना
  • पपड़ीदार या फिर रिसने वाले पैच का उत्पन्न होना 
  • त्वचा पर गोल सा दाग पड़ना या फिर छाले पड़ना 
  • किसी भी तरह की चीज़ से आपकी त्वचा का संवेदनशील होना 

 

लेकिन इस बात का खासकर ध्यान रखें कि हर व्यक्ति में एक्जिमा के लक्षण अलग-अलग तरह से भी दिखाई देते है | यदि आप भी एक्जिमा की समस्या से गुज़र रहे है और होम्योपैथी इलाज करवाना चाहते है तो इसमें डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी आपकी संपूर्ण रूप से मदद कर सकता है | बाकियों दवाओं की तुलना में होम्योपैथी एकलौती ऐसी दवा है, जिससे शरीर पर किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं पड़ते | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथी दवाओं में स्पेशलिस्ट है जो इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |

 

इसलिए आज ही  सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर हैं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है या फिर डॉक्टर सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी क्लिनिक नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है| इस चैनल पर आपको इस विषय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |     

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क्या होम्योपैथी दवाएं कर सकती है अस्थमा का इलाज, जानें एक्सपर्ट्स से क्या है इस पर उनकी राय

अस्थमा व्यक्ति के शरीर के श्वसन प्रणाली से जुड़ी एक गंभीर बीमारी होती है | वैसे तो यह बीमारी जीन के द्वारा बच्चों में आ जाती है, लेकिन आजकल के बदलती लाइफस्टाइल के कारण कई लोग इस बीमारी का शिकार भी हो रहे है | अस्थमा को भयंकर बीमारियों में एक माना जाता है, क्योंकि यह फेफड़ों में सांस जाने वाली नली को इतनी पतली कर देती है, जिस कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ जाता है |  

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक की निदेशक और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपनी यूट्यूब चैंनले में पोस्ट  एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसका पूर्ण रूप से इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन आप इस बीमारी को नियंत्रित ज़रूर कर सकते है | अस्थमा के सामान्य लक्षणों में शामिल है साँस लेने में तकलीफ होना, खांसी होना, बलगम आना और सांस लेते दौरान घरघर जैसे आवाज़ का आना | जो एलॉपथी विशेषज्ञ होते है वह मरीज़ को इन्हेलर लेने की सलाह देते है, ताकि अस्थमा के अटैक से मरीज़ बचे रहे | लेकिन क्या आपको इस बात का पता है की होम्योपैथी उपचार से अस्थमा का प्राकृतिक रूप से इलाज किया जा सकता है | 

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक एकलौती एक ऐसी संस्था है जहाँ अस्थमा का इलाज होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग से किया जाता है | यह न केवल समस्या से शरीर पर पड़ रहे प्रभाव को कम करता है, बल्कि समस्या को जड़ से ख़तम करने की भी कोशिश करता है | यह तो सभी जानते है की होम्योपैथिक दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता , इन दवाओं का असर भले ही धीरे-धीरे होता है, लेकिन यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में सक्षम होती है |  

 

यदि आप भी अस्थमा की समस्या से जूझ रहे है और एलॉपथी दवाओं का सहारा लेने के बाद भी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक से परामर्श कर सकते है | इस संस्था की निदेशक और सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक में स्पेशलिस्ट है और इन्हे 18 से अधिक वर्षों का तज़र्बा है, जो अस्थमा जैसी गंभीर समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है | इसलिए आज ही डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करें या फिर आप दिए गए नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट करें, यहाँ आपको इस समस्या से संबंधित संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी |        

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विटिलिगो या फिर सफ़ेद दाग के लिए होम्योपैथिक उपचार कौन से है ?

विटिलिगो त्वचा से जुड़ी एक ऐसी चिकित्सा बीमारी है, जिसमे व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से के त्वचा में सफ़ेद दाग और धब्बे नज़र आने लग जाते है | चिकित्स्कीय भाषा में इस समस्या को ल्यूकोडर्मा कहा जाता है | यह व्यक्ति के शरीर में किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है | यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब मानव शरीर में मौजूद कोशिकाएं मेलानोसाइट्स, जो मेलेनिन के उत्पादन करने का कार्य करती है, किसी कारणों से मर जाती है या फिर काम करना बंद कर देती है | विटिलिगो मानव के जीवन पर किसी भी प्रकार का संक्रमक या फिर खतरा नहीं होता है, लेकिन इससे दिखने वाली सफ़ेद धब्बे व्यक्ति के लिए तनावपूर्ण और खुद पर बुरा महसूस करवाती है | 

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक के निदेशक और सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि अक्सर लोग विलिटिगो की तुलना गंभीर बीमारियों से करते है | लेकिन यह समस्या इतनी भी गंभीर नहीं होती,  जीतन अलग दावा करते है | विलिटिगो समस्या तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति के शरीर में मौजूद प्रतीक्षा प्रणाली मेलानोसाइट्स कोशिकाएं पर हमला कर देते है है जिसकी वजह से यह कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाते है | इसके अधिकतर लक्षण में यह शरीर के किसी भी हिस्से में सफ़ेद धब्बे के रूप में नज़र आने लग जाता है | इसके अलावा त्वचा के वर्णक का कम होना भी विटिलिगो के लक्षणों में शामिल है |  

 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह बताया की विटिलिगो का कोई वास्तविक इलाज नहीं है, लेकिन होम्योपैथी एकमात्र ऐसी दवाई है, जिसके उपयोग से त्वचा के रंग में हो रहे नुकसान की प्रक्रिया को रोकने और धीमी करने में मदद मिल सकती है और साथ ही यह त्वचा के पिग्मेंट को बढ़ाने का भी कार्य करती है | यदि आप भी विटिलिगो की समस्या से गुजर रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो आप इसके लिए डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक से परामर्श कर करते है | 

 

डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक किसी भी समस्या के कारणों पर नहीं, बल्कि जड़ से ख़तम करने के लिए उपचार करती  है | यह बात तो सभी जानते है की होम्योपैथी दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है | इस संस्था में  बहुत ही सहज तरीके से हर बिमारियों का उपचार किया जाता है | 

 

इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो मिल जाएगी | इसके अलावा आप डॉ सोनल जैन होम्योपैथिक क्लिनिक से भी संपर्क कर सकते है, इस संस्था के डॉ सोनल जैन होम्योपैथी दवाओं में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने में आपकी मदद कर सकते है |

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बवासीर जैसी समस्या से निजात पाने के लिए होम्योपैथी है उत्तम, जानिए कैसे ?

भारत इकलौता ऐसा देश है, जहाँ मिर्च-मसालों का सेवन सबसे ज्यादा होता है, जिस वजह से यहाँ पाइल्स जैसी बीमारी का होना बहुत आम है | जिससे बवासीर, अर्श और हेमोर्रोइड्स की समस्या भी कहा जाता है | पाइल्स यानी बवासीर एक किस्म की गंभीर और तकलीफदेह रोग है, जिसके सबसे ज़्यादा मामले भारत में पाए जाते है | इस रोग से अधिकतर लोग पीड़ित है, खासकर महिलाएं जो शर्म और झिझक के कारण किसी को भी इस समस्या के बारे में नहीं बताती है और तकलीफ से जूझती रहती है | 

 

पाइल्स क्या है ?  

पाइल्स की वजह से गूदे की शिराओं में सूजन आ जाती है, जिसके चलते उस स्थान पर मस्से जैसे बन जाते है | आम भाषा में इस समस्या को बवासीर के मस्से भी कहते है | इस सूजन के कारण मल त्यागते दौरान काफी तकलीफ होती है साथ ही उसके बाद मस्से बने क्षेत्र में दर्द, जलन और खुजली होने लगती है | 

 

पाइल्स कितने प्रकार के होते है ?  

पाइल्स दो तरह के होते है इंटरनल और एक्सटर्नल | कई लोग इस समस्या को बादी या फिर खुनी बवासीर भी कहते है | बादी बवासीर में मस्से बने क्षेत्र में दर्द और बहुत जलन होता है, लेकिन खून नहीं निकलता | वही खुनी बवासीर में दर्द और जलन जैसी समस्या नहीं होती, लेकिन ब्लीडिंग होने लगती है | 

 

पाइल्स होने के मुख्य कारण क्या है ?  

  • कब्ज़ की समस्या का होना 
  • अनियमित दैनिक कार्य 
  • बार-बार दस्त या पेचिस की समस्या होना  
  • गर्भावस्था के दौरान 
  • विरासत अनुवांशिक
  • बहुत समय तक एक जगह में बैठे रहना 
  • मोटापे की वजह से 
  • बुढ़ापे के आने से 
  • ख़राब खानपान 
  • किसी बीमारी की वजह से 

 

पाइल्स होने के मुख्य लक्षण क्या है ?    

  • अनुस में मस्से का उत्पन्न होना 
  • मल त्यागते समय दर्द, जलन और खुजली होना 
  • बैठने समय अत्यधिक दर्द का अनुभव होना 
  • मलद्वार क्षेत्र में सूजन या फिर लाल हो जाती है 
  • मल त्यागते समय ब्लीडिंग होना 
  • पेशाब करने के लिए बार-बार जाना 
  • कोई पुराना रोग की वजह से कमर दर्द 
  • कमज़ोर महसूस होना 

 

होम्योपैथिक उपचार कैसे करें ?    

यह बात तो सभी को पता है की होम्योपैथिक दवाओं से किसी भी तरह का शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है | भले ही इसकी प्रक्रिया बाकियों के मुकलबले काफी स्लो है लेकिन यह समस्या को जड़ से ख़तम कर देता है | इसलिए होम्योपैथिक उपचार से पाइल्स बिना किसी दर्द और दुष्प्रभाव से ठीक हो सकता है | अगर आप भी पाइल्स की बीमारी से जूझ रहे है और होम्योपैथिक उपचार करवाना चाहते है तो इसके लिए आप डॉ सोनल जैन हीलिंग विथ होम्योपैथी से संपर्क कर सकते है, इस संस्था की डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथी दवाओं में एक्सपर्ट है, जो इस पाइल्स जैसी समस्या को जड़ से ख़तम करने में आपकी मदद कर सकता है |