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डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण, कारण और कैसे पाएं निदान ?

डैंड्रफ एक सामान्य विकार है, जिसकी वजह से सिर की त्वचा पपड़ीदार बनने लग जाती है | रुसी की वजह से सिर में काफी खुजली होती है और बाल झड़ने की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है | यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब सिर के त्वचा की कोशिकाओं काफी बढ़ जाती है | स्कैल्प यानी सिर की त्वचा में सिबेशियस ग्रंथि मौजूद होती है, जो स्कैल्प को नरम और मुलायम रखने के लिए सीबम का स्त्राव करती है | सीबम के अधिक मात्रा में उत्पादन होने के कारण यह त्वचा को तैलीय कर देते है, जिसके चलते स्कैल्प पर खुजली होने लग जाती है | सिर की त्वचा में आये इस तरह के बदलाव से कई तरह के त्वचा से जुड़े रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें से एक है डैंड्रफ | 

 

आमतौर पर यौवनावस्था के बाद ही बहुत से लोगों को डैंड्रफ की समस्या होने लग जाता है और जिसके मामले सबसे अधिक पुरुषों में पाए जाते है | सिबोरिया होने के लक्षणों में भी रूसी हो सकती है | सिबोरिया होने से त्वचा लाल हो जाती है और उनमें काफी जलन होने लग जाता है | डैंड्रफ के इलाज के लिए होम्योपैथी में कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है | यदि आप में से कोई भी व्यक्ति डैंड्रफ की समस्या से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉ सोनल हीलिंग  विद होम्योपैथी से परामर्श कर सकते है | आइये जानते है डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण 

डैंड्रफ होने के मुख्य लक्षण निम्नलिखित है :- 

 

  • सिर की त्वचा यानी स्कैल्प और बालों का सफ़ेद या फिर भूरे रंग की परत होना 
  • स्कैल्प पर बार-बार खुजली होना 
  • स्कैल्प में सूखापन होना 
  • बालों का लगातार झड़ना 
  • सिर की त्वचा से सफ़ेद रंग के पाउडर की तरह गिरना 
  • सिर की त्वचा में लाल और चिकने धब्बे का दिखाई देना 
  • स्कैल्प में तनाव होने का महसूस होना 
  • स्कैल्प, बालों, भौहों, दाढ़ी, मूछों पर या फिर अपने कंधों और पीठ की ऊपरी त्वचा में गुच्छों का दिखाई देना   आदि | 

 

डैंड्रफ होने के मुख्य कारण 

सिर में डैंड्रफ कई कारणों से उत्पन्न हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

यीस्ट मालासेजिया 

यह एक फंगस की तरह होता है, जो अधिकतर लोगों के सिर में ही होता है | यह सीबम पर ही पनपता है और फैटी एसिड से बनता है, जिससे स्कैल्प में लगातार खुजली होने लग जाती है |   

 

त्वचा की कोशिकाएं 

त्वचा हमारी पुरानी कोशिकाओं के बहाने का काम करती है, जब यह कोशिकाएं सिर और बालों से निकलने वाले तेल से जाकर मिलकर जम जाती है, तो इससे रूसी होने लग जाती है | 

 

शुष्क त्वचा का होना 

सुखी त्वचा होने के कारण भी रूसी होने की समस्या हो सकती है | 

 

अनियमित बालों की देखभाल करना 

बालों का गलत तरीकों से ख्याल रखने से जैसे की गलत दिनचर्या में बालों को धोना, ज्यादा या फिर कम मात्रा में शैम्पू का उपयोग करना और बालों को बार-बार न धोना, रूसी होने के मुख्य कारण बन सकते है |      

 

थायराइड की समस्या का होना 

थायराइड की समस्या होने से भी सिर की त्वचा काफी रूखी हो जाती है, जिससे रूसी हो सकती है | 

 

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का ख़राब होना 

अत्यधिक तनाव में रहने से और ख़राब मानसिक स्वास्थ्य भी रुसी होने का कारण बन सकते है | 

 

रूसी से छुटकारा पाने के लिए आप कटोकोनाज़ोल, सेलेनियम सल्फाइड या फिर जिंक युक्त शैम्पू का इस्तेमाल कर सकते है, पर ध्यान रहे किसी तरह के नुस्खे को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से ज़रूर परामर्श कर लें | आइये जानते है होम्योपैथी में डैंड्रफ का कैसे किया जाता है इलाज :- 

 

होम्योपैथी में कैसे किया जाता है डैंड्रफ का इलाज ? 

होम्योपैथी उपचार केवल एक ऐसा उपचार है, जो व्यक्ति को सामान्य रूप से ठीक कर देता है | आसान भाषा में बात करे तो होम्योपैथिक उपचार पूरे रोगी पर और उनकी विक्षिप्त स्थिति पर ध्यान अधिक केंद्रित करता है | होम्योपैथिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले रोगी के स्थिति की अच्छे से जांच-पड़ताल की जाती है, इसके बाद ही स्थिति अनुसार होमियोपैथ डॉक्टर दवाओं को निर्धारित करता है, जिसमें रोगी के मेडिकल इस्तिहास, शरीरिक और मानसिक संरचना शामिल होते है | 

यदि आप में से कोई भी डैंड्रफ की समस्या से परेशान है और कई संस्थानों या फिर घरेलू उपचार करने के बाद भी आपकी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो डैंड्रफ होम्योपैथी इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन मुंबई के बेहतरीन होमियोपैथ में से एक है, जो अपने मरीज़ों पिछले 18 सालों से होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और इलाज के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से बात कर सकते है |        

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Hair Loss Hair treatment homeopathy

Understanding Alopecia Areata: Causes, Symptoms and Homeopathic Remedies

The loss of hair in round or oval patches from the scalp or other areas, including the beard, eyebrows, etc., is known as alopecia areata. Typically, the size of bald patches is around a one- or five-rupee coin. Although it is uncommon, some people may also have complete hair loss. It can be extremely upsetting to have bald spots on one’s head, beard, and eyebrows.

About 1% of people have alopecia areata at any given moment, making it a reasonably common skin condition. Alopecia areata is reversible in contrast to other types of hair fall because the follicles—the structure that surrounds the hair root—are unharmed. Other than that, alopecia areata has no effect on a patient’s health. When hair begins to fall out, few individuals complain of itching. It doesn’t cause any bodily discomfort.

Alopecia Areata: What is it?

Alopecia areata is the term for patchy hair loss. Alopecia areata often affects the scalp, although it can affect any portion of the body where hair grows. The term ‘Barbae’ is used when the alopecia areata affects the beard hair. Alopecia areata is one of the many autoimmune disorders that homoeopathy, a sophisticated science, treats. Homoeopathic treatments are effective in halting the appearance of bald areas and promoting hair growth. Since homoeopathic remedies for alopecia areata come from natural sources, there is little chance of adverse consequences.

 

Alopecia Areata Causes

An autoimmune condition is alopecia areata. This disorder causes bald patches as the body’s defence cells begin to damage hair follicles due to a misguided response. Alopecia areata is mostly influenced by genetics and heredity. People with alopecia areata frequently talk about a family member who has the same disorder.

 

Alopecia Areata Symptoms and Signs

Bald patches are a symptom of alopecia areata. This problem can affect any part of the body with hair; most frequently, the scalp and beard are affected by alopecia areata. One or more bald patches could be present. Typically, the patches are smooth to the touch and spherical in shape.

 

Homoeopathic Treatment for Alopecia Areata

Homeopathic is the best solution and a very effective treatment in dealing with alopecia areata. Homeopathic remedies help to treat hair falls and affect our bodies by optimizing our immune systems. Certain medications used in homoeopathy: Flouricum acid and phosphorus are often and very effectively treating this problem; take consultation while going to use any medication. Moreover, homoeopathy treatment highly reduces the chances of a problem occurring again.

Medicines used  in Homeopathic  treatment:

  1. For itching and burning of the scalp, —Arsenic Album is an effective treatment for alopecia areata. These symptoms irritate at night, and the scalp is also sensitive in some cases.
  2. Another useful homeopathic treatment for alopecia areata — Vinca minor, is a useful medicine to treat hair fall, especially when the inclination of hair falls in the spot, which is then replaced by white hair. Alongside itching and scratching are also present symptoms of alopecia areata.
  3. The medicine that is prominently used by young people to treat alopecia areata is Baryta carb; it is used to recover from bald patches on the scalp.  The other one is Lycopodium, which helps to recover from bald patches on temples, and Silicea is another homoeopathy treatment that is used by young people to treat hair fall, the treatment for alopecia areata occurring on the back of the scalp.
  4. An excellent homeopathic medicine to treat alopecia areata is Fluoric acid. It helps in regrowth of hair on bald patches. It is a very effective method for treating hair fall.
  5. Phosphorus is an excellent medicine used to treat alopecia areata.  Phosphorus works well for people who are suffering from bald patches. It is also wonderful for treating dandruff and itchiness. A person may crave cold drinks that have low phosphorus.

 

Lastly, if you also suffer from the problem of hair fall, you can go for homoeopathic treatment. Homeopathy treatment gives you a long-lasting treatment of hair loss. If you are looking for the best homoeopathic treatment, then Dr. Sonal’s Homoeopathy Clinic has years of experience in the homoeopathy field. Dr Sonal believes in providing the best solutions that enhance a person’s immunity and help patients free themselves from 80% of disease. Get the best consultation for hair treatment.

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Chicken pox treatment homeopathy

चिकन पॉक्स क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें इस समस्या का इलाज ?

क्या आपके के घर में या फिर आप में से कोई भी व्यक्ति शरीर में लाल धब्बे के कारण हो रही खुजली से परेशान है ? यदि हाँ है तो यह चिकन पॉक्स या फिर चेचक की समस्या हो सकती है | कई लोगों का यह मानना है कि चेचक की समस्या केवल बच्चों को ही प्रभावित करता है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, चेचक छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार पूर्वक से :- 

 

चिकन पॉक्स क्या होता है ? 

 

चिकन पॉक्स को चेचक या फिर मेडिकल टर्म्स में इसे वैरिसेला-जोस्टर के नाम से जाना जाता है | यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो खुजली वाले और छाले जैसे त्वचा के दाने के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण दो तरह की होते है, पहला छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी है बड़ी माता यानी बड़ी चेचक | इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को छाले-फोफले, खुजली के दाने और बुखार हो सकता है | यह चेहरे, पीठ और पेट पर सबसे पहले दिखाई देते है और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर की त्वचा में फैलने लग जाते है |  यदि इस समस्या का सही समय पर इलाज न करवाया तो यह स्थिति को गंभीर कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण और कारण क्या है ? 

चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण क्या है ? 

 

  • खुजली वाले दानों का उत्पन्न होना 
  • अत्यधिक उल्टी का होना 
  • बुखार के साथ सिरदर्द 
  • दानों का धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलना 
  • पूरे शरीर में दर्द होना 
  • गर्दन में अकड़न
  • खांसी और थकान 
  • गले में खराश की समस्या 
  • मांसपेशियों का ढीला पड़ना 
  • भूख की कमी होना 
  • मुंह में घाव होना 

 

चिकन पॉक्स के मुख्य कारण क्या है ?

 

चिकन पॉक्स वैरिसीले-जोस्टर के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण नाक और गले में रहता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या केवल बात करने फ़ैल सकता है | इसके मुख्य कारण है :- 

 

  • संक्रमित व्यक्ति के छालों, लार या फिर बलगम को सीधे छू लेना  | 
  • संक्रमित व्यक्ति के दूषित वस्तुओं के संपर्क में आना  |    
  • दाद से पीड़ित व्यक्ति के छालों के संपर्क में आना | 

चिकन पॉक्स से कैसे पाएं निदान ? 

 

चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर बिस्तरे में पूरी तरह से आराम करने को और गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है, जिससे खुजली की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाती है | लेकिन आपको बता दे, ऐसे कुछ प्रभावी होमेओपेथिक उपचार मौजूद है, जो चिकन पॉक्स के इलाज के लिए बेहद कारगर सिद्ध है | चूँकि ऐसा माना जाता है की होमेओपेथिक उपचार से किसी भी तरह के संक्रमण बीमारों का इलाज बिना किसी दुष्प्रभावों के आसानी से किया जा सकता है | 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति चिकन पॉक्स की समस्या से पीड़त है तो इलाज में डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होमेओपेथिक में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी की ओफिसिअल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

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Homeopathic Doctor homeopathic medicine

थायराइड क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है इलाज ?

थायराइड हमारे शरीर के गले में मौजूद तितली की तरह एक ग्रंथि होती है, जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होता है | यह  ग्रंथि शरीर में अलग-अलग तरह के हार्मोन का निर्माण करती है, जैसे की ट्राईआयोडोथायरोनिन T3 और थायरोक्सिन T4 आदि शामिल है, जो हमारे शरीर में मौजूद मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करते है और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाये रखने का काम करती है | 

 

हमारे दिमाग में मौजूद एक ग्रंथि प्रतिक्रिया को भी थायराइड द्वारा निर्मित हार्मोन के ज़रिये नियंत्रित किया जाता है | इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि भी इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) का निर्माण करती है, जो रक्त में T3 और T4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज़्यादा करने का कार्य करता है | जब हमारे रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है, तब इस स्थिति को थायराइड के स्तर का बढ़ना कहा जाता है | इसके विपरीत जब रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो इससे भी थायराइड के स्तर कम हो जाता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज़्म भी कहा जाता है | 

थायराइड कितने प्रकार के होते है ? 

पुरुषों की तुलना में महिलाएं सबसे अधिक थायराइड से प्रभावित होती है | थायराइड के स्तर बढ़ने और घटने के अलावा और भी ऐसे कई थायराइड से संबंधित समस्याएं होती है, जैसे की थायराइड में सिस्ट का बनना, ट्यूमर और थायराइड कैंसर आदि शामिल है | अब अगर थायराइड के प्रकार के बात करें तो यह दो प्रकार के होते है पहले है हाइपोथायरॉइडिज़्म और दूसरा है हाइपरथायरॉइडिज़्म |   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है, जब गले की ग्रंथि T4 यानी  थायरोक्सिन का निर्माण सबसे अधिक करने लग जाती है | जिसकी वजह से हमारे शरीर में थायराइड से संबंधित विकार तेज़ी से बढ़ने लग जाते है, जो शरीर के वजन को तेज़ी से घटाने और दिल की धड़कन को तेज़ी से बढ़ाने लग जाता है |      

         

हाइपोथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है जब गले की ग्रंथि कुछ ज़रूरी हार्मोन का निर्माण करना बंद कर देती है | जब हमारे शरीर में बहुत कम ही मात्रा में हार्मोन मौजूद होते है तो हमारा शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है | इसके अलावा शरीर का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ने लग जाता है और ठन्डे तपमान के लिए सहनशक्ति काफी कम हो जाती है |

 

थायराइड के मुख्य लक्षण क्या है ?      

थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करता है | थायराइड में असामान्यताएं के कई लक्षण दिखाई दे सकते है, जिनमें शामिल है :-   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • वजन का तेज़ी से घटना 
  • गंजापन होना 
  • बार-बार पसीना आना 
  • चिड़चिड़ रहना 
  • गर्दन में सूजन होना 
  • गर्मी के संवेदनशील होना 
  • भूख लगना 
  • दिल के धड़कन का तेज़ी से बढ़ जाना 
  • अनियमित रूप से मासिक धर्म आदि 

 

हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • तेज़ी से वजन का बढ़ना 
  • ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होना 
  • बालों और त्वचा का शुष्क होना 
  • हर समय मांसपेशियों में दर्द और कमज़ोरी रहना 
  • हाथों का सुन्न और झुनझुनी होना 
  • अवसाद और चिंता की समस्या 
  • अधिक थकान का अनुभव करना 
  • मानसिक धुंधलापन स्थिति आदि 

थायराइड कैंसर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते है,

  • गर्दन पर गांठ जैसे महसूस होना 
  • आवाज़ का बदलना 
  • खाना को निगलने में परेशानी होनी 
  • गार्ड की समस्या 

  

थायराइड के मुख्य कारण क्या है ?

शरीर में थायराइड से जुड़े विकार होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • किसी तरह के वायरल की चपेट में आने से, थायराइड से जुड़े विकार बढ़ सकते है | 
  • आयोडीन की कमी होना 
  • ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण 
  • कुछ दवाओं के सेवन से 
  • अधिक समय तनाव में रहना 
  • बच्चे की डिलीवरी के बाद 
  • अनुवांशिक कारण से 

 

होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है थायराइड का इलाज ? 

एलॉपथी डॉक्टर थायराइड के आम उपचार में पीड़ित व्यक्ति को कुछ सप्लीमेंट्स निर्धारित कर देते है, ताकि थायराइड के स्तर पर नज़र राखी जा सके, हालांकि यह समस्या का कोई स्थिर इलाज नहीं है | होम्योपैथी एकलौता ऐसा सुरक्षित उपचार है, जिसमें सही परिणाम मिलने के बाद मरीज़ हार्मोन के सप्लीमेंट्स को लेना छोड़ सकता है | 

 

होम्योपैथिक उपचार केवल बीमारी का ही नहीं उपचार करता, बल्कि यह उसके लक्षणों को पूरी तरह से कम करने और अन्य बीमारियों की संभावना को भी ठीक कर देता है | लक्षणों को दबाने के बजाय होम्योपैथिक उपचार इन लक्षणों को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है | यह दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह काम करती है और उन एंटीबॉडी को ख़तम करने का काम करती है, जो थायराइड की ग्रंथि को नुक्सान पहुंचने का कार्य करती है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति थायराइड से जुड़े विकार से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से मिल सकते है | 

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से होम्योपैथी उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |         

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Allergy Hindi

साइनोसाइटिस क्या होता है और जाने कैसे किया जाता है होम्योपैथिक उपचार से इस समस्या का इलाज ?

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक यूट्यूब वीडियो में यह बताया की साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या होती है जिसमें आपके साइनस के ऊतकों में सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और साइनस के स्थान पर म्यूकस और कीटाणु भर जाते है | जिस वजह से साइनस टिशू सर्दी, एलर्जी से संक्रमित होकर सूज जाती है, जो साइनस के प्रवेश को बंद कर उस मार्ग पर म्यूकस को फंसा देती है | उस मार्ग में म्यूकस का जमा होने के कारण सिरदर्द और दबाव जैसे लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है | 

 

आसान भाषा में बात करें तो साइनोसाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिससे पीड़त व्यक्ति के गले और नाक में सूजन और इन्फेक्शन हो जाता है | हलाकि इलाज करने के बाद भी गले और नाक का इन्फेक्शन तब तक ठीक नहीं होता, जब तक यह साफ़ नहीं हो जाता | आइये जानते है साइनोसाइटिस के मुख्य लक्षण कौन-कौन से होते है :- 

 

  • नाक का बंद होना 
  • गले और नाक में जलन होना
  • चेहरे पर दबाव पड़ना और दर्द होना 
  • गंध के प्रति कम अनुभूति होना 

 

यदि बात करें कि साइनस क्या होता है तो यह आपके सिर में मौजूद चार युग्मित गुहाएँ होती है, जो संकीर्ण मार्ग को आपस में जोड़ती है | आमतौर पर साइनस का कार्य बलगम बनाना होता है, जो नाक के मार्ग से बाहर की तरफ निकलता है | इसके साथ ही जल निकासी नाक को साफ़ और कीटाणु जैसे रोगजनकों से मुक्त रखने में मदद भी करती है | 

 

डॉक्टर सोनल जैन ने यह भी बताया की साइनोसाइटिस से पीड़ित व्यक्ति कई बार इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एलॉपथी दवाओं का सहारा ले लेते है, जो समस्या को कम करने के बजाये, इसे बढ़ावा देने का काम करती है | लेकिन घबराएं नहीं साइनोसाइटिस का होम्योपैथिक उपचार की मदद से आसानी से इलाज किया जा सकता है, क्योंकि होम्योपैथी दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ता और साथ ही यह समस्या को जड़ से ख़तम करने में मदद भी करते है | 

 

यदि आप ही साइनोसाइटिस की समस्या से पीड़ित हो तो इलाज के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके आलावा आप डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है |