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एलोपेसिया एरीटा के लिए सबसे बढ़िया 6 होम्योपैथिक उपचार!

दरअसल एलोपेसिया एरीटा का मतलब है बालों का पैच में झड़ना, आम तौर पर एलोपेसिया एरियाटा की समस्या में व्यक्ति के सिर या अन्य जगहों जैसे भौंहों, दाढ़ी आदि से गोलाकार या अंडाकार पैच में बाल झड़ने लगते हैं। हालांकि, यह समस्या बालों से ढके हुए शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें की जब दाढ़ी में एलोपेसिया एरीटा समस्या दिखाई देती है तो उसको एलोपेसिया एरीटा बारबे के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर सिर या शरीर के किसी भी अन्य जगह पर गंजे पैच पांच रुपये या एक रुपये के सिक्के के आकार के दिखाई पड़ते हैं। इस समस्या दौरान कुछ लोगों में उनके पुरे बालों का झड़ना भी हो सकता है, हालांकि यह आम नहीं है। एलोपेसिया की समस्या सभी उम्र, नस्लों और लिंगों के लोगों को समान रूप से प्रभावित कर सकती है। आम तौर पर सिर, दाढ़ी और भौंहों पर गंजे पैच दिखाई देना व्यक्ति को बहुत परेशान कर देने वाला हो सकता है। हालांकि एलोपेसिया एरियाटा किसी अन्य तरीके से रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है। जब एक व्यक्ति के बाल झड़ने लग जाते हैं, तो ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो खुजली की शिकायत करते हैं। इससे व्यक्ति को कोई शारीरिक समस्या नहीं होती है। 

होम्योपैथिक उपचार क्या है?

दरअसल होम्योपैथी एक बहुत ही उन्नत विज्ञान है जो एलोपेसिया एरीटा के साथ- साथ ऑटोइम्यून मूल की बीमारियों का भी इलाज करता है। आपको बता दें कि शुरुआत में होम्योपैथिक दवाएँ, किसी भी गंजे धब्बों के आकार को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं और इसके साथ ही नए गंजे धब्बों को बनने से रोकती हैं। इसके इलावा होम्योपैथी बालों के पुनः विकास को बढ़ावा देने में काफ़ी मदद करती हैं। एलोपेसिया एरीटा समस्या का जब एक बार होम्योपैथी से इलाज हो जाता है, तो व्यक्ति को दोबारा एलोपेसिया एरीटा जैसी समस्या होने कि संभावना बहुत ज़ियादा कम हो जाती है। 

हालांकि कुछ लोग पारंपरिक तरीकों का प्रयोग करते हैं, और एलोपेसिया एरीटा के इलाज के लिए विशेष रूप से इम्यूनो सप्रेसेंट, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का उपयोग करते हैं। जिनको आम तौर पर या तो शीर्ष पर लगाया जाता है, स्कैल्प में इंजेक्ट किया जाता है या फिर मुंह के माध्यम से लिया जाता है। यह उपचार आमतौर पर व्यक्ति की इम्यून सिस्टम को दबाते हैं, अपने दुष्प्रभावों को दिखाते हैं और तो और नए गंजे धब्बों को दिखने से रोक नहीं पाते हैं। इसलिए होम्योपैथी आपके लिए एक बहुत ही सुरक्षित वैकल्पिक उपचार हो सकता है, जिसको एक मीठी गोलियों के रूप में दिया जाता है। यह दवा खाने में आसान और बहुत ज़्यादा प्रभावी होती हैं। 

होम्योपैथिक उपचार इम्यून सिस्टम में अंदरूनी गड़बड़ियों को दबाने की बजाय उन्हें ठीक करने के लिए अंदरूनी रूप से काम करती है। आमतौर पर होम्योपैथिक दवा का एक बड़ा लाभ यह है कि यह दुष्प्रभावों से मुक्त होते हैं।

क्या होम्योपैथी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाती है?

हाँ, होम्योपैथी इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाती है। दरअसल एलोपेसिया एरीटा के लिए होम्योपैथिक दवाएँ आमतौर पर बालों के रोमों को नष्ट करने वाली अति सक्रिय इम्यून सिस्टम को अनुकूलित करके मदद करती हैं। यह उपचार काफ़ी हद तक सफ़ल साबित होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के बालों को दुबारा से वापस बढ़ने में मदद करता है। और बार-बार व्यक्ति के गंजे धब्बे को बनने से रोकता है।

होम्योपैथी का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता

दरअसल होम्योपैथी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थों से बनाई गई दवाओं का इस्तेमाल करती है। आमतौर पर इसमें कोई भी हानिकारक रसायन नहीं होता है। इसकी वजह से ही इसका उपयोग करना बहुत सुरक्षित होता है, और तो और इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। आपको बता दें कि होम्योपैथी का उपयोग सभी आयु वर्ग के लोग बिना किसी चिंता के आराम से कर सकते हैं।

एलोपेसिया एरीटा के लिए होम्योपैथिक दवाएं

  1. विंका माइनर – एलोपेसिया एरीटा की प्रवृत्ति जब दोबारा उगे बाल सफेद होते हैं। 

दरअसल यह दवा ‘लेसर पेरीविंकल’ नामक पौधे से तैयार की जाती है। यह विंका माइनर एलोपेसिया एरियाटा के लिए एक और उपयोगी होम्योपैथिक दवा है। आमतौर पर यह एलोपेसिया एरीटा के उन मामलों में अच्छी तरह से काम करता है, जहां बालों के झड़ने की प्रवृत्ति होती है, और जो बाद में सफेद बालों से बदल जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति की खोपड़ी पर खुजली और हिंसक खरोंच भी हो सकती है। 

विंका माइनर का उपयोग कब करें?

विंका माइनर का उपयोग ज्यादातर उन मामलों में किया जाता है, जहां व्यक्ति के जगह-जगह से बाल झड़ने और उसकी जगह पर दोबारा सफेद बाल उगने की प्रवृत्ति होती है।

विंका माइनर का उपयोग कैसे किया जाता है। 

आमतौर पर इस दवा को 30C पोटेंसी में दिन में दो बार ले सकते हैं। यह दवा दो तरीकों से काम करती है, पहला यह जगह-जगह से बाल झड़ने की समस्या का इलाज करती है और दूसरा यह दोबारा उगने वाले बालों को सफेद होने से रोकने में मदद करती है। 

  1. फ्लोरिक एसिड –एलोपेसिया एरीटा के लिए शीर्ष ग्रेड होम्योपैथिक दवा। 

आपको बता दें कि एलोपेसिया एरियाटा के लिए फ्लोरिक एसिड सबसे अच्छे होम्योपैथिक उपचारों में से एक है। आमतौर पर यह सिर के किसी भी हिस्से में बाल झड़ने की समस्या को दूर करते हैं। यह व्यक्ति के गंजे पैच में बालों के दोबारा उगने में हैरानीजनक रूप से मदद करता है। जिन लोगों को इसकी जरूरत होती है उसके सिर में खुजली हो सकती है और सिर की त्वचा छूने के प्रति संवेदनशील भी हो सकती है। 

फ्लोरिक एसिड का उपयोग कब किया जाता है?

दरअसल इस दवा का इस्तेमाल एलोपेसिया एरीटा के मामले में हो सकता है। जिसमें व्यक्ति के सिर पर कहीं भी गंजे धब्बे हो, जो खुजली-दार और संवेदनशील हो।

फ्लोरिक एसिड का उपयोग कैसे किया जाता है?

हालांकि शुरुआत में फ्लोरिक एसिड का इस्तेमाल 30C दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं। जब आपके बाल दोबारा से नए उगने लगे, तो इस की खुराक को कम कर देना चाहिये। 

  1. फास्फोरस – सिर के आगे या किनारे से बाल झड़ने के साथ। 

वैसे तो सिर के किसी भी हिस्से में बाल झड़ने पर फास्फोरस का इस्तेमाल किया जा सकता है, पर यह दवा सबसे ज्यादा तब कारगर होती है, जब व्यक्ति के सामने से या फिर साइड से बाल झड़ रहे हों। जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उन लोगों के सिर पर बहुत ज़्यादा पसीना आने की संभावना होती है। आमतौर पर सिर पर गर्मी भी महसूस हो सकती है, सिर में डेंड्रफ भी हो सकती है। 

फास्फोरस का उपयोग कब किया जाता है?

दरअसल फास्फोरस का इस्तेमाल मुख्य रूप से तब किया जाता है जब व्यक्ति के सिर के सामने से या फिर बगल से बाल झड़ने लग जाते हैं। 

फास्फोरस का उपयोग कैसे किया जाता है?

वैसे तो इसको कम और ज्यादा किसी भी शक्ति में लिया जा सकता है, पर इसकी सबसे ज्यादा अनुशंसित 30C शक्ति है। आमतौर पर इसके अच्छे नतीजों को प्राप्त करने के लिए आप फास्फोरस 30C को दिन में दो बार ले सकते हैं। 

कैल्केरिया कार्ब – पसीने से सिर के बाल झड़ने के लिए

कैल्केरिया कार्ब दवा का उपयोग उन मामलों में किया जाता है, जहां पर व्यक्ति के पैची बाल झड़ने के साथ-साथ पसीना भी बढ़ जाता है। आमतौर पर व्यक्ति को अपने सिर पर ठंडक का अहसास भी हो सकता है और उसके सिर पर पर खुजली भी हो सकती है। 

कैल्केरिया कार्ब का उपयोग कब किया जाता है?

आम तौर पर कैल्केरिया कार्ब का इस्तेमाल उन लोगों के लिए अनुशंसित होता है, जिन लोगों के सिर से जगह-जगह से बाल झड़ रहे होते हैं और उनको पसीना बहुत ज्यादा आता हो। 

कैल्केरिया कार्ब का उपयोग कैसे किया जाता है?

इसका उपयोग आमतौर पर शिकायत के प्रकार के आधार पर कम से लेकर ज़्यादा तक की अलग अलग शक्तियों में किया जा सकता है, पर इसका सबसे आम उपयोग 30C शक्ति का है। इसके सबसे अच्छे परिणामों के लिए आप कैल्केरिया कार्ब 30C को सुबह एक बार और शाम को एक बार ले सकते हैं। 

  1. लाइकोपोडियम – जब सिर की त्वचा के ऊपरी हिस्से (वर्टेक्स) से बाल झड़ने लगते हैं। 

आमतौर पर लाइकोपोडियम एक प्राकृतिक उपचार है, जिस को पौधे क्लब मॉस से प्राप्त किया जाता है। दरअसल यह विशेष रूप से खोपड़ी के शीर्ष पर होने वाले गंजे धब्बों से उबरने में बहुत अच्छा काम करता है। इस दौरान व्यक्ति को अपनी खोपड़ी पर जलन और जली का अहसास होता है। इसके साथ ही लाइकोपोडियम समय से पहले बालों के सफेद होने के इलाज के लिए, एक बहुत ही प्रमुख दवा है।

लाइकोपोडियम का उपयोग कब किया जा सकता है?

लाइकोपोडियम दवा के इस्तेमाल पर तब ध्यान दिया जा सकता है जब व्यक्ति के सिर के ऊपरी भाग पर बाल झड़ने के निशान दिखाई देने लग जाते हैं 

लाइकोपोडियम का उपयोग कैसे  किया जाता है?

लाइकोपोडियम का इस्तेमाल कम से लेकर ज्यादा तक इसकी अलग अलग शक्तियों में से, इसको दिन में दो बार 30C शक्ति से शुरू करना सबसे अच्छा होता है। इसके बाद ही इसकी ज़्यादा शक्तियों पर ध्यान दिआ जा सकता है, पर केवल होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेने के बाद। 

  1. हेपर सल्फ – छूने के प्रति खोपड़ी की संवेदनशीलता के साथ

असल में हेपर सल्फ एक लाभकारी दवा है। यह दवा बालों के झड़ने के साथ-साथ खोपड़ी को छूने के प्रति संवेदनशीलता के मामलों में मदद करती है। व्यक्ति की खोपड़ी पर खुजली और जलन भी हो सकती है और खोपड़ी पर पसीना भी बढ़ सकता है, जिससे खोपड़ी से खट्टी गंध आती है। 

हेपर सल्फ का उपयोग कब किया जाता है?

आमतौर पर हेपर सल्फ की दवा को उन मामलों में चुना जाता है, जहां व्यक्ति के पैच के रूप में बाल झड़ते हैं, और साथ के साथ सिर की त्वचा छूने के प्रति संवेदनशील हो जाती है।

हेपर सल्फ का उपयोग कैसे किया जाता है?

दरअसल हेपर सल्फ की दवा 30C शक्ति में अच्छी तरह से काम करती है। इस दवा का इस्तेमाल आमतौर पर दिन में एक से दो बार तक सीमित होता है। आमतौर पर तब तक उच्च शक्ति की सिफारिश नहीं की जाती, जब तक कोई डॉक्टर आपको ऐसा करने के लिए नहीं कहता। 

एलोपेसिया एरीटा के संकेत और लक्षण

  1. अंडाकार या गोल आकार के गंजे धब्बे दिखाई देना। 
  2. व्यक्ति के बालों के रोमों का ढीला हो जाना। 
  3. ठंड के मौसम में बालों का बहुत ज्यादा झड़ना। 
  4. सिर के एक स्थान पर बाल उग आते हैं पर दूसरे स्थान पर बाल झड़ जाते हैं। 
  5. खोपड़ी की एक तरफ दूसरे की तुलना में बहुत ज़्यादा पैच का होना। 
  6. हाथों और पैरों के नाखूनों का पतला हो जाना और उनकी चमक खत्म होना। 

एलोपेसिया एरीटा के प्रकार:

एलोपेसिया एरीटा के आम गोलाकार या फिर अंडाकार आकार के पैच के अलावा, एलोपेसिया एरीटा के कुछ दुर्लभ प्रकार भी हैं :

  1. एलोपेसिया एरीटा टोटलिस : इसमें व्यक्ति के पूरे सिर से बाल झड़ जाते हैं। 
  2. एलोपेसिया एरीटा यूनिवर्सलिस : एलोपेसिया यूनिवर्सलिस में व्यक्ति के पूरे शरीर से बाल झड़ जाते हैं जिसमें, सिर, भौहें, पलकें, दाढ़ी, बगल और गुप्तांग शामिल हैं।
  3. ओफियासिस एलोपेसिया एरीटा:  ओफियासिस एलोपेसिया में व्यक्ति के टेम्पोरल क्षेत्र (साइड्स) और ओसीसीपट क्षेत्र (सिर के पीछे) से बैंड जैसा बालों का झड़ना शामिल है। 
  4. डिफ्यूज एलोपेसिया एरीटा : डिफ्यूज एलोपेसिया में लोगों के पैची बालों के झड़ने की बजाय अचानक बालों का झड़ना शुरू हो जाता है। 

एलोपेसिया एरीटा के कारण और ट्रिगर कारक

एलोपेसिया एरीटा के कारण:

1.आनुवंशिक कारक: 

आपको बता दें कि कई जीन एलोपेसिया एरीटा से जुड़े हुए हैं जो शरीर के इम्यून प्रतिक्रिया में भाग लेते हैं। ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (HLA) से संबंधित जीन इम्यून प्रतिक्रिया को संशोधित करने और आमतौर पर बालों के रोम को निशाना बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। इस विकार से पीड़ित व्यक्तियों में अक्सर देखा जाता है कि एलोपेसिया एरीटा के अलावा कोई और ऑटोइम्यून विकार होता है जो उनके परिवारों में नहीं होता है।

  1. रसायन : 

आमतौर पर सल्फर, ईथर और पैराबेन के आधारित कॉस्मेटिक जैसे कि, शैंपू, कंडीशनर और सीरम आदि चीजों का नियमित उपयोग  बालों के रोमों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे लोगों के बाल झड़ने लगते हैं। 

  1. यांत्रिक : 

दरअसल बालों को लम्बे समय तक कसकर बांधने से व्यक्ति की हेयरलाइन पीछे की ओर खिसक जाती है, जिससे ट्रैक्शन एलोपेसिया हो जाता है। 

एलोपेसिया एरीटा के ट्रिगर कारक :

की गई शोध के अनुसार, आमतौर पर एलोपेसिया एरीटा वाले व्यक्तियों को किसी और ऑटोइम्यून बीमारी का इतिहास भी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर विटिलिगो – मेलेनिन वर्णक की कमी की वजह से व्यक्ति की त्वचा पर सफेद धब्बे; थायरॉयडिटिस- थायरॉयड ग्रंथि की सूजन या फिर परिवार का कोई और सदस्य किसी ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हो सकता है। आमतौर पर वायरल संक्रमण, टीके और व्यक्ति का शारीरिक तनाव जैसे कुछ कारक एलोपेसिया एरीटा को ट्रिगर कर सकते हैं। 

एलोपेसिया एरीटा समस्या कितनी आम है और क्या इससे स्थायी रूप से बाल झड़ते हैं?

आमतौर पर एलोपेसिया एरियाटा की समस्या काफी आम है। यह समस्या व्यक्ति को किसी भी समय हो सकती है, लगभग एक प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित होती है। दरअसल एलोपेसिया एरियाटा में बालों का झड़ना स्थायी नहीं होता है। आमतौर पर एलोपेसिया एरियाटा एक उल्टा बाल झड़ना है, क्योंकि बालों की जड़ को घेरने वाली संरचना(बालों के रोम) को कोई नुक्सान नहीं होता है। 

एलोपेसिया एरीटा का निदान कैसे करें?

आमतौर पर डॉक्टर मरीज़ के बालों के झड़ने और गंजे धब्बों के पैटर्न को देखकर एलोपेसिया एरियाटा के मामलों का तुरंत निदान कर सकते हैं। दरअसल एलोपेसिया एरीटा के बहुत ही दुर्लभ मामलों में, बालों या खोपड़ी की बायोप्सी के नमूने मूल्यांकन के लिए प्रयोगशाला में भेजे जा सकते हैं। इसके निदान की पुष्टि ट्राइकोस्कोपी के द्वारा भी की जा सकती है, जो पीले और काले बिंदु (रोम पर नष्ट हुए बाल) दिखाती है। इसके अलावा कभी-कभी और ऑटोइम्यून बीमारियों की जांच करने के लिए खून टेस्ट की सिफारिश की जा सकती है।

निष्कर्ष : एलोपेसिया एरीटा की समस्या लोगों में काफी आम है। यह समस्या बालों से ढके हुए शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। एलोपेसिया एरीटा जैसी कोई भी समस्या होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये, इससे आपको बेहतर इलाज मिल सकता है। अगर आपको भी बालों से जुड़ी एलोपेसिया एरीटा जैसी कोई समस्या है और आप इस समस्या से काफी परेशान हैं और आप इसका इलाज ढूंढ रहे हैं तो आप आज ही डॉ. सोनल होम्योपैथिक क्लिनिक में जाके अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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