थायराइड हमारे शरीर के गले में मौजूद तितली की तरह एक ग्रंथि होती है, जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होता है | यह ग्रंथि शरीर में अलग-अलग तरह के हार्मोन का निर्माण करती है, जैसे की ट्राईआयोडोथायरोनिन T3 और थायरोक्सिन T4 आदि शामिल है, जो हमारे शरीर में मौजूद मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करते है और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाये रखने का काम करती है |
हमारे दिमाग में मौजूद एक ग्रंथि प्रतिक्रिया को भी थायराइड द्वारा निर्मित हार्मोन के ज़रिये नियंत्रित किया जाता है | इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि भी इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) का निर्माण करती है, जो रक्त में T3 और T4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज़्यादा करने का कार्य करता है | जब हमारे रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है, तब इस स्थिति को थायराइड के स्तर का बढ़ना कहा जाता है | इसके विपरीत जब रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो इससे भी थायराइड के स्तर कम हो जाता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज़्म भी कहा जाता है |
थायराइड कितने प्रकार के होते है ?
पुरुषों की तुलना में महिलाएं सबसे अधिक थायराइड से प्रभावित होती है | थायराइड के स्तर बढ़ने और घटने के अलावा और भी ऐसे कई थायराइड से संबंधित समस्याएं होती है, जैसे की थायराइड में सिस्ट का बनना, ट्यूमर और थायराइड कैंसर आदि शामिल है | अब अगर थायराइड के प्रकार के बात करें तो यह दो प्रकार के होते है पहले है हाइपोथायरॉइडिज़्म और दूसरा है हाइपरथायरॉइडिज़्म |
हाइपरथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है, जब गले की ग्रंथि T4 यानी थायरोक्सिन का निर्माण सबसे अधिक करने लग जाती है | जिसकी वजह से हमारे शरीर में थायराइड से संबंधित विकार तेज़ी से बढ़ने लग जाते है, जो शरीर के वजन को तेज़ी से घटाने और दिल की धड़कन को तेज़ी से बढ़ाने लग जाता है |
हाइपोथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है जब गले की ग्रंथि कुछ ज़रूरी हार्मोन का निर्माण करना बंद कर देती है | जब हमारे शरीर में बहुत कम ही मात्रा में हार्मोन मौजूद होते है तो हमारा शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है | इसके अलावा शरीर का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ने लग जाता है और ठन्डे तपमान के लिए सहनशक्ति काफी कम हो जाती है |
थायराइड के मुख्य लक्षण क्या है ?
थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करता है | थायराइड में असामान्यताएं के कई लक्षण दिखाई दे सकते है, जिनमें शामिल है :-
हाइपरथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है,
- वजन का तेज़ी से घटना
- गंजापन होना
- बार-बार पसीना आना
- चिड़चिड़ रहना
- गर्दन में सूजन होना
- गर्मी के संवेदनशील होना
- भूख लगना
- दिल के धड़कन का तेज़ी से बढ़ जाना
- अनियमित रूप से मासिक धर्म आदि
हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है,
- तेज़ी से वजन का बढ़ना
- ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होना
- बालों और त्वचा का शुष्क होना
- हर समय मांसपेशियों में दर्द और कमज़ोरी रहना
- हाथों का सुन्न और झुनझुनी होना
- अवसाद और चिंता की समस्या
- अधिक थकान का अनुभव करना
- मानसिक धुंधलापन स्थिति आदि
थायराइड कैंसर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते है,
- गर्दन पर गांठ जैसे महसूस होना
- आवाज़ का बदलना
- खाना को निगलने में परेशानी होनी
- गार्ड की समस्या
थायराइड के मुख्य कारण क्या है ?
शरीर में थायराइड से जुड़े विकार होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :-
- किसी तरह के वायरल की चपेट में आने से, थायराइड से जुड़े विकार बढ़ सकते है |
- आयोडीन की कमी होना
- ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण
- कुछ दवाओं के सेवन से
- अधिक समय तनाव में रहना
- बच्चे की डिलीवरी के बाद
- अनुवांशिक कारण से
होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है थायराइड का इलाज ?
एलॉपथी डॉक्टर थायराइड के आम उपचार में पीड़ित व्यक्ति को कुछ सप्लीमेंट्स निर्धारित कर देते है, ताकि थायराइड के स्तर पर नज़र राखी जा सके, हालांकि यह समस्या का कोई स्थिर इलाज नहीं है | होम्योपैथी एकलौता ऐसा सुरक्षित उपचार है, जिसमें सही परिणाम मिलने के बाद मरीज़ हार्मोन के सप्लीमेंट्स को लेना छोड़ सकता है |
होम्योपैथिक उपचार केवल बीमारी का ही नहीं उपचार करता, बल्कि यह उसके लक्षणों को पूरी तरह से कम करने और अन्य बीमारियों की संभावना को भी ठीक कर देता है | लक्षणों को दबाने के बजाय होम्योपैथिक उपचार इन लक्षणों को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है | यह दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह काम करती है और उन एंटीबॉडी को ख़तम करने का काम करती है, जो थायराइड की ग्रंथि को नुक्सान पहुंचने का कार्य करती है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति थायराइड से जुड़े विकार से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से मिल सकते है |
डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से होम्योपैथी उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |