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गर्भावस्था के दौरान बालों के स्वास्थ्य में आये बदलाव का कैसे करें होम्योपैथिक दवाओं से इलाज ?

माँ बनना प्रत्येक महिला के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है | गर्भवस्था के दौरान एक महिला कई तरह की चीज़ों का अनुभव करती है | लेकिन इसके साथ ही इन दिनों गर्भवती महिलाओं को कई तरह के समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है, जैसे की मूड में बदलाव होना, जी-मिचलना, उल्टी आना, सूजन, दर्द होना, चेहरे और त्वचा के बालों में बदलाव आना आदि | हालांकि गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलओं की त्वचा काफी चमकदार हो जाती है, जबकि कुछ महिलों के त्वचा का रंग काला पड़ जाता है और मुहांसे की समस्या उत्पन्न हो जाती है | इसी तरह से कुछ महिलों के बाल गर्भावस्था के दौरान काफी लम्बे और घने हो जाते है,जबकि इसके विपरीत कुछ महिलाओं के बाल गर्भावस्था के दौरान तेज़ी से झड़ने लग जाते है और रुसी की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

ऐसी समस्याओं के इलाज के लिए होम्योपैथिक उपचार को सबसे उपयुक्त तरीका माना जाता है | इसकी खास बात यह है की होम्योपैथिक दवाओं से शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और यह समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम होता है | इसलिए गर्भवती महिलाएं, जो ऐसी किसी परिस्थिति से गुजर रही है, वह एक्सपर्ट्स से मूल्यांकन करके इलाज के होम्योपैथिक उपचार का सहारा ले सकती है | आइये जानते है गर्भवस्था के दौरान किन कारणों से बालों के स्वास्थ्य में आता है बदलाव :-  

गर्भावस्था के दौरान किन कारणों से आता है बालों के स्वास्थ्य में बदलाव ?    

 

हार्मोनल परिवर्तन होना :- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में मौजूद प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोज़ोन हार्मोन स्वास्थ्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते है | यदि एस्ट्रोज़ोन नामक हार्मोन महिला के शरीर में सही मात्रा में मौजूद है तो इससे बालों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है, इसके विपरीत अगर प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का संतुलन प्रभावित हो जाता है तो  इससे बाल झड़ने और अन्य बालों के स्वास्थ्य से जुडी समस्या उत्पन्न हो सकती है | इसलिए इस बेहद संवेदनशील दौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए अपने बालों के सेहत का खास ख्याल रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है, जैसे की आपको उचित व्यायाम करना चाहिए, संतुलित भोजन का सेवन करें, नशीले पदार्थों से दूर रहे, तनाव को प्रबंधन करें आदि |  

 

इसके अलावा और भी ऐसे कारण होते है जैसे की लाइकोपोडियम, फास्फोरस, गंधक, सिलिकाया आदि, जिसकी वजह से बालों का स्वास्थ्य काफी हद तक ख़राब हो जाता है | लेकिन घबराएं नहीं, होम्योपैथिक में इस समस्या का आसानी से इलाज किया जा सकता है |    

होम्योपैथिक उपचार एक बहुत ही सुरक्षित और दुष्प्रभाव से मुक्त एक चिकित्सा उपचार है | इसमें मौजूद होम्योपैथी दवाएं बालों से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सक्षम होती है | लेकिन मरीज़ के स्थिति अनुसार होमेओपेथिक चिकित्सक दवाओं को निर्धारित करता है | यदि आप में से कोई भी महिला ऐसे किसी परिस्थिति से गुज़र रही है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से परामर्श कर सकते है | 

 

डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 15 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का होम्योपैथिक उपचार के ज़रिये इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विद होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |    

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चिकन पॉक्स क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें इस समस्या का इलाज ?

क्या आपके के घर में या फिर आप में से कोई भी व्यक्ति शरीर में लाल धब्बे के कारण हो रही खुजली से परेशान है ? यदि हाँ है तो यह चिकन पॉक्स या फिर चेचक की समस्या हो सकती है | कई लोगों का यह मानना है कि चेचक की समस्या केवल बच्चों को ही प्रभावित करता है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, चेचक छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार पूर्वक से :- 

 

चिकन पॉक्स क्या होता है ? 

 

चिकन पॉक्स को चेचक या फिर मेडिकल टर्म्स में इसे वैरिसेला-जोस्टर के नाम से जाना जाता है | यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो खुजली वाले और छाले जैसे त्वचा के दाने के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण दो तरह की होते है, पहला छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी है बड़ी माता यानी बड़ी चेचक | इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को छाले-फोफले, खुजली के दाने और बुखार हो सकता है | यह चेहरे, पीठ और पेट पर सबसे पहले दिखाई देते है और यह धीरे-धीरे पूरे शरीर की त्वचा में फैलने लग जाते है |  यदि इस समस्या का सही समय पर इलाज न करवाया तो यह स्थिति को गंभीर कर सकता है | आइये जानते है चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण और कारण क्या है ? 

चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण क्या है ? 

 

  • खुजली वाले दानों का उत्पन्न होना 
  • अत्यधिक उल्टी का होना 
  • बुखार के साथ सिरदर्द 
  • दानों का धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलना 
  • पूरे शरीर में दर्द होना 
  • गर्दन में अकड़न
  • खांसी और थकान 
  • गले में खराश की समस्या 
  • मांसपेशियों का ढीला पड़ना 
  • भूख की कमी होना 
  • मुंह में घाव होना 

 

चिकन पॉक्स के मुख्य कारण क्या है ?

 

चिकन पॉक्स वैरिसीले-जोस्टर के कारण उत्पन्न होता है | यह संक्रमण नाक और गले में रहता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या केवल बात करने फ़ैल सकता है | इसके मुख्य कारण है :- 

 

  • संक्रमित व्यक्ति के छालों, लार या फिर बलगम को सीधे छू लेना  | 
  • संक्रमित व्यक्ति के दूषित वस्तुओं के संपर्क में आना  |    
  • दाद से पीड़ित व्यक्ति के छालों के संपर्क में आना | 

चिकन पॉक्स से कैसे पाएं निदान ? 

 

चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर बिस्तरे में पूरी तरह से आराम करने को और गुनगुने पानी से नहाने की सलाह दी जाती है, जिससे खुजली की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाती है | लेकिन आपको बता दे, ऐसे कुछ प्रभावी होमेओपेथिक उपचार मौजूद है, जो चिकन पॉक्स के इलाज के लिए बेहद कारगर सिद्ध है | चूँकि ऐसा माना जाता है की होमेओपेथिक उपचार से किसी भी तरह के संक्रमण बीमारों का इलाज बिना किसी दुष्प्रभावों के आसानी से किया जा सकता है | 

यदि आप में कोई भी व्यक्ति चिकन पॉक्स की समस्या से पीड़त है तो इलाज में डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सोनल जैन होमेओपेथिक में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों का स्थायी रूप से इलाज कर रही है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होमियोपैथी की ओफिसिअल वेबसाइट पर जाएं और अपनी नियुक्ति को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

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थायराइड क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है इलाज ?

थायराइड हमारे शरीर के गले में मौजूद तितली की तरह एक ग्रंथि होती है, जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होता है | यह  ग्रंथि शरीर में अलग-अलग तरह के हार्मोन का निर्माण करती है, जैसे की ट्राईआयोडोथायरोनिन T3 और थायरोक्सिन T4 आदि शामिल है, जो हमारे शरीर में मौजूद मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करते है और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाये रखने का काम करती है | 

 

हमारे दिमाग में मौजूद एक ग्रंथि प्रतिक्रिया को भी थायराइड द्वारा निर्मित हार्मोन के ज़रिये नियंत्रित किया जाता है | इसके अलावा पिट्यूटरी ग्रंथि भी इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ( टीएसएच ) का निर्माण करती है, जो रक्त में T3 और T4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज़्यादा करने का कार्य करता है | जब हमारे रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है, तब इस स्थिति को थायराइड के स्तर का बढ़ना कहा जाता है | इसके विपरीत जब रक्त में मौजूद T3 और T4 हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो इससे भी थायराइड के स्तर कम हो जाता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज़्म भी कहा जाता है | 

थायराइड कितने प्रकार के होते है ? 

पुरुषों की तुलना में महिलाएं सबसे अधिक थायराइड से प्रभावित होती है | थायराइड के स्तर बढ़ने और घटने के अलावा और भी ऐसे कई थायराइड से संबंधित समस्याएं होती है, जैसे की थायराइड में सिस्ट का बनना, ट्यूमर और थायराइड कैंसर आदि शामिल है | अब अगर थायराइड के प्रकार के बात करें तो यह दो प्रकार के होते है पहले है हाइपोथायरॉइडिज़्म और दूसरा है हाइपरथायरॉइडिज़्म |   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है, जब गले की ग्रंथि T4 यानी  थायरोक्सिन का निर्माण सबसे अधिक करने लग जाती है | जिसकी वजह से हमारे शरीर में थायराइड से संबंधित विकार तेज़ी से बढ़ने लग जाते है, जो शरीर के वजन को तेज़ी से घटाने और दिल की धड़कन को तेज़ी से बढ़ाने लग जाता है |      

         

हाइपोथायरॉइडिज़्म तब उत्पन्न होता है जब गले की ग्रंथि कुछ ज़रूरी हार्मोन का निर्माण करना बंद कर देती है | जब हमारे शरीर में बहुत कम ही मात्रा में हार्मोन मौजूद होते है तो हमारा शरीर बहुत थका हुआ महसूस करता है | इसके अलावा शरीर का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ने लग जाता है और ठन्डे तपमान के लिए सहनशक्ति काफी कम हो जाती है |

 

थायराइड के मुख्य लक्षण क्या है ?      

थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करता है | थायराइड में असामान्यताएं के कई लक्षण दिखाई दे सकते है, जिनमें शामिल है :-   

 

हाइपरथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • वजन का तेज़ी से घटना 
  • गंजापन होना 
  • बार-बार पसीना आना 
  • चिड़चिड़ रहना 
  • गर्दन में सूजन होना 
  • गर्मी के संवेदनशील होना 
  • भूख लगना 
  • दिल के धड़कन का तेज़ी से बढ़ जाना 
  • अनियमित रूप से मासिक धर्म आदि 

 

हाइपोथायरॉइडिज़्म होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखयी दे सकते है, 

  • तेज़ी से वजन का बढ़ना 
  • ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होना 
  • बालों और त्वचा का शुष्क होना 
  • हर समय मांसपेशियों में दर्द और कमज़ोरी रहना 
  • हाथों का सुन्न और झुनझुनी होना 
  • अवसाद और चिंता की समस्या 
  • अधिक थकान का अनुभव करना 
  • मानसिक धुंधलापन स्थिति आदि 

थायराइड कैंसर होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते है,

  • गर्दन पर गांठ जैसे महसूस होना 
  • आवाज़ का बदलना 
  • खाना को निगलने में परेशानी होनी 
  • गार्ड की समस्या 

  

थायराइड के मुख्य कारण क्या है ?

शरीर में थायराइड से जुड़े विकार होने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • किसी तरह के वायरल की चपेट में आने से, थायराइड से जुड़े विकार बढ़ सकते है | 
  • आयोडीन की कमी होना 
  • ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण 
  • कुछ दवाओं के सेवन से 
  • अधिक समय तनाव में रहना 
  • बच्चे की डिलीवरी के बाद 
  • अनुवांशिक कारण से 

 

होम्योपैथिक में कैसे किया जाता है थायराइड का इलाज ? 

एलॉपथी डॉक्टर थायराइड के आम उपचार में पीड़ित व्यक्ति को कुछ सप्लीमेंट्स निर्धारित कर देते है, ताकि थायराइड के स्तर पर नज़र राखी जा सके, हालांकि यह समस्या का कोई स्थिर इलाज नहीं है | होम्योपैथी एकलौता ऐसा सुरक्षित उपचार है, जिसमें सही परिणाम मिलने के बाद मरीज़ हार्मोन के सप्लीमेंट्स को लेना छोड़ सकता है | 

 

होम्योपैथिक उपचार केवल बीमारी का ही नहीं उपचार करता, बल्कि यह उसके लक्षणों को पूरी तरह से कम करने और अन्य बीमारियों की संभावना को भी ठीक कर देता है | लक्षणों को दबाने के बजाय होम्योपैथिक उपचार इन लक्षणों को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है | यह दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह काम करती है और उन एंटीबॉडी को ख़तम करने का काम करती है, जो थायराइड की ग्रंथि को नुक्सान पहुंचने का कार्य करती है | यदि आप में कोई भी व्यक्ति थायराइड से जुड़े विकार से पीड़ित है तो इलाज के लिए आप डॉक्टर सोनल जैन से मिल सकते है | 

डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सोनल जैन होम्योपैथिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 18 वर्षों से होम्योपैथी उपचार के ज़रिये सटीकता से इलाज कर रही है | इसलिए आज ही डॉ सोनल हीलिंग विथ होम्योपैथी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मनेट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संपर्क कर सकते है |